पुलिस ने वीडियो जारी करते हुए बताया कि उन्हें दिसंबर 19 से दिसंबर 21 के बीच हुई हिंसा में इस तरह के हमले झेलने पड़े और इसी कारण उन्हें दंगाईयों को पलटकर जवाब देना पड़ा।
"पूरी हिंसा के लिए कट्टरपंथी समूहों और मुख्यधारा की राजनैतिक पार्टियाँ जिम्मेदार हैं। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) समेत समाजवादी पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भड़की हिंसा के लिए उत्तरदायी हैं।"
प्रधानमंत्री ने सीएए को लेकर हिंसा करने वालों को भी समझाया। उन्होंने कहा कि नागरिकों को अधिकार के साथ-साथ अपने दायित्व को भी निभाना चाहिए और संपत्ति को नुकसान पहुँचाने से बचना चाहिए। उन्होंने ऐसे लोगों को खुद से पूछने की सलाह दी कि क्या उनका रास्ता सही था, जो जलाया गया वो उनके बच्चों को काम आने वाला भी तो था।
अब तक के आँकड़ों के अनुसार, कुल 5558 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इसके अलावा 925 लोगों को गिरफ़्तार भी किया है। अब तक 213 एफआईआर दर्ज किए गए हैं। अकेले कानपुर में 21,500 उपद्रवियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
ये सन्देश जैश के सबसे बड़े सरगना मसूद अजहर का था। इस सन्देश से पता चला है कि कुछ बड़े आतंकी अयोध्या को दहलाने की साज़िश रच रहे हैं। एक टेलीग्राम चैनल में आए सन्देश को इंटरसेप्ट कर भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों ने इस बड़ी साज़िश की पोल खोली है।
"हमने 28 व्यक्तियों को नोटिस जारी किए जिनकी भूमिका पुलिस ने जाँच के दौरान पाई। पुलिस ने उनके खिलाफ सबूत जमा किए। उन्हें एक सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।"
पहले मुस्लिमों को हिंसा के लिए उकसाया गया। अब राणा अयूब सोशल मीडिया में मरने वालों का नाम लिख कर लोगों को भड़काने की फिराक में है। इसे मुस्लिम विरोधी नरसंहार बता रही। लेकिन, उन्होंने उन दो हिंदुओं के नाम छिपा लिए हैं जो दंगों की भेट चढ़ गए।
पीड़िता ने बताया कि 20 दिसंबर की रात वो कमरे में सोई हुई थी। तभी मदरसे का हाफिज वहाँ पहुँचा और बहला-फुसलाकर उसे अपने कमरे में ले गया। वहाँ कमरा बंद करके डरा धमकाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद आरोपित मौलाना ने छात्रा को किसी से कहने पर जान से मारने की धमकी दी।
हिंदुत्ववादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या 18 अक्टूबर को लखनऊ के उनके दफ्तर में कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। हत्यारों को गुजरात एटीएस ने राजस्थान बॉर्डर से दबोचा था।
मोहित की जान की क़ीमत नहीं है क्योंकि वो 'योगी की पुलिस' का हिस्सा हैं। वहीं सुलेमान UPSC की तैयारी करने वाला एक 'आदर्श' छात्र है, जो किसी क़ानून के पारित होने के बाद उसे पढ़ कर नोट्स नहीं बनाता बल्कि देशी कट्टा लहराते हुए आगजनी करने निकल पड़ता है। मीडिया का हीरो कौन?