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एनकाउंटर
महिलाओं को बंधक बनाकर फरीदाबाद में रुका था विकास दुबे, बोले लल्लन वाजपेयी- सदियों बाद आज़ाद हुए
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे ने साथियों संग फरीदाबाद के एक घर में शरण ली थी।
व्यंग्य: विकास दुबे एनकाउंटर पर बकैत कुमार की प्राइमटाइम स्क्रिप्ट हुई लीक
आज सुबह खबर आई कि एनकाउंटर हो गया। स्क्रिप्ट बदलनी पड़ी। जज्बात बदल गए, हालात बदल गए, दिन बदल गया, शाम बदल गई!
भैसों के सामने आने से पलटी गाड़ी, पिस्टल छीन कच्चे रास्ते से भाग रहा था विकास दुबे: यूपी STF
कैसे पलटी गाड़ी? कैसे मारा गया विकास दुबे? एनकाउंटर पर STF ने घटनाक्रमों का दिया सिलसिलेवार ब्यौरा।
विकास दुबे के पिता नहीं होंगे अंतिम संस्कार में शामिल, माँ ने भी कानपुर जाने से किया इनकार
विकास दुबे का शव लेने से परिजनों ने मना कर दिया है। उसके माता-पिता ने अंतिम संस्कार में शामिल होने से भी इनकार किया है।
विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर प्रियंका गाँधी और अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर साधा निशाना
कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपित विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल उठा सियासत शुरू कर दी है।
मार गिराए गए अमर दुबे का पिता 5 साल बाद जिंदा गिरफ्तार, विकास दुबे का था राइट हैंड
अमर दुबे को मार गिराए जाने के बाद पुलिस ने उसके पिता संजीव दुबे को गिरफ्तार किया। खुद के मौत की अफवाह उड़ा वह भूमिगत था।
रास्ते में विकास दुबे की गाड़ी बदलने की बात को पुलिस ने बताया अफवाह, नौकर के घर से मिले 7 जिन्दा बम
विकास दुबे के गाँव के लोगों का कहना है कि कुख्यात गैंगस्टर का पिछले 25 साल से बस यही काम था- दूसरों की जमीनों पर कब्जा करना और किसी को भी उठा लेना।
मैं खुश हूँ, आज मेरे बेटे की आत्मा को शांति मिलेगी: विकास दुबे एनकाउंटर पर बलिदानी जितेंद्र सिंह के पिता
"मैं उत्तर प्रदेश प्रशासन को धन्यवाद करता हूँ। मैं आज बहुत खुश हूँ। मुझे गर्व है कि मेरे बेटे का बलिदान खाली नहीं गया।"
ये हमारे कार्यकर्ता नहीं, माओवादी हैं: केरल के CM पिनराई विजयन ने एलन सुहैब, थाहा फज़ल से पल्ला झाड़ा
एलन सुहैब और थाहा फ़ज़ल पर आरोप था कि वे पलक्क्ड़ में अक्टूबर माह में मारे गए संदिग्ध माओवादियों के एनकाउंटर के विरोध के नाम पर माओवादी पर्चे बाँट रहे थे।
समाज एनकाउंटर पर जश्न मनाता है, तो उसका कारण है: उन्नाव की बेटी भी कल मर गई
जब नागरिक ऐसे मामलों से उब जाते हैं तो फिर ऐसी मौतों का जश्न मनाते हैं। इसलिए ऐसे मामलों में जब किसी की हत्या ही न्यायोचित थी, भले ही उस पर केस न चला हो, आम नागरिक के लिए यह एक छोटी-सी जीत है, जिस पर खुश होने का उन्हें हक है।