बानगियों की कमी नहीं है यह जानने के लिए कि आखिर एक सेक्युलर समाज में ऐसी क्या कमी है जो अलगाववादियों को वह मंज़ूर नहीं, और जिससे कश्मीर को आज़ाद कराने के लिए बुरहान वानी और आदिल डार ने जान लेने और देने में कोई संकोच नहीं किया।
कश्मीर में अलगाववाद को बल मिलता है पैन-इस्लामिज़म से, जो खिलाफत आंदोलन के या उससे भी पूर्व के उस विचार से प्रभावित है, जिसमें दुनिया के सभी मुस्लिमों को राष्ट्रीय सीमाओं से परे एक झंडे के नीचे खड़े होने को अपना आदर्श मानता है।
चुनाव आने वाले हैं महबूबा जी, आपकी भी मजबूरी होगी आतंक और आतंकियों को प्रश्रय देना, लगातार उनके पक्ष में बयान देना। शायद आपको भी शांति अच्छी नहीं लगती होगी?
कौन जानता है कि IMA जैसे संस्थानों पर भी ये शांतिदूत नजरें रखे हुए हों और आर्मी की गतिविधियों की सूचना कहीं भेजते हों? देहरादून में ही DRDO और आयुध निर्माण फ़ैक्ट्री भी हैं, जिन्हें बेहद संवेदनशील माना जाता है।
ऐसी हर बेहयाई के केन्द्र में ये यूजूअल सस्पैक्ट्स आते हैं, भारतीय पत्रकारिता के समुदाय विशेष, उन्हें अलग एंगल चाहिए कि बाकी लोग जवानों के परिवार से मिल रहे हैं, हम आतंकियों के घरवालों से मिल लेते हैं! उसके बाद क्या? उसके बाद यह कहना कि दोनों के माँ-बाप एक ही तरह के दुःख से गुजर रहे हैं?
भाजपा नेताओं के अनुसार मोहम्मद हनीफ़ के भाजपा में शामिल होने से राजोरी और पुंछ जिले में भाजपा को और मजबूती मिलेगी। उनके अलावा और कई प्रमुख लोग भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
कश्मीर में कार्यरत IPS अधिकारी अभिनव कुमार ने अलगाववादियों को कश्मीर पर भारतीय भावनाओं को समझने की हिदायत देने के साथ-साथ शाह फ़ैसल के इस्तीफे को प्रोपगेंडा बताया है
पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों का बचाव करते हुए भारतीय सेना के खिलाफ जहर उगला है। हमारी ये रिपोर्ट इमरान खान और पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर करती है।