NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश पांडेय ने पहले पुलिस कर्मी को धक्का मारकर गिरा दिया। फिर उसके साथियों ने पुलिस कर्मियों से हाथापाई शुरू कर दी। वायरल वीडियो में कार्यकर्ता, सुरक्षा की दृष्टि से तैनात पुलिस कर्मियों को एक के बाद एक लात घूँसों से पीटते देखे गए।
इशरत जहाँ ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था- "हम मर भी जाएँ लेकिन यहाँ से नहीं हटेंगे। हम आज़ादी लेकर रहेंगे।" इशरत के समर्थक खालिद ने भीड़ से पुलिस पर पत्थरबाजी करने को कहा था। साबू अंसारी उस भीड़ का नेतृत्व कर रहा था, जिसने पुलिस पर पत्थरबाजी की।
हाईकोर्ट में इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। कॉन्ग्रेस नेताओं के अलावा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप विधायक अमानतुल्ला खान, AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी और वारिस पठान पर भी कार्रवाई की अपील की गई है।
साबरमती आश्रम में जब ट्रंप पीएम मोदी और भारत की शान में कसीदे पढ़े रहे थे, उससे पहले नेशनल हेराल्ड ने एक लेख छाप देश को नीचा दिखाने की पूरी कोशिश की। इसके मुताबिक, भारत पहला गरीब देश है जिसकी यात्रा पर अमेरिकी राष्ट्रपति आए हैं।
"सरकार को संविधान के अनुसार इसके प्रारूप में परिवर्तन करने होंगे। संविधान में स्पष्ट है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती। जब उद्धव पूरे कानून को ध्यान से पढ़ेंगे तब उन्हें समझ आएगा कि NPR और NRC में बहुत फर्क नहीं है। एक बार आप NPR पर सहमत हुए तो NRC को नहीं रोक पाएँगे।"
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं होने को लेकर संदीप दीक्षित ने बगावती सुर दिखाए हैं। उनका समर्थन करते हुए थरूर ने कहा है, “संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देश भर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं। इनमें से कई नेता पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं।”
"भाजपा के लोगों हम हर चीज के लिए तैयार हैं। हम कॉन्ग्रेस के लोग हैं। बेईमानी, चोरी, लूट-घसोट, जुआ-शराब और अवैध कारोबार में हम लिप्त नहीं हैं। ये सारे काम आप करोगे और बदनाम कॉन्ग्रेस को करोगे। कॉन्ग्रेस का कोई भी माई का लाल..."
स्वामी ने दावा किया कि राहुल गाँधी ने इंग्लैंड में व्यवसाय शुरू करने के लिए ब्रिटिश नागरिकता का विकल्प चुना था। हालाँकि, राहुल गाँधी नागरिकता के लिए नए सिरे से आवेदन कर सकते हैं, क्योंकि उनके पिता राजीव गाँधी एक भारतीय थे।
"अतिथि विद्वानों से कॉन्ग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनने पर हमारी माँगों को पूरा किया जाएगा। हमने साल भर तक इंतजार किया। उसके बाद ही हमने अपना आंदोलन शुरू किया। मगर आंदोलन शुरू होते ही अतिथि विद्वानों को नोटिस मिलना शुरू हो गया।"
"भारत द्वारा डेबी अब्राहम का वापस भेजा जाना वास्तव में आवश्यक था क्योंकि वह केवल सांसद नहीं हैं बल्कि पाक की प्रॉक्सी भी हैं। उन्हें पाकिस्तान सरकार और आईएसआई के साथ संबंध रखने के लिए जाना जाता है। भारत की संप्रभुता पर हमला करने की कोशिश करने वाले हर प्रयास को नाकाम किया जाना चाहिए।"