Friday, April 19, 2024
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ट्रंप ने लिखा- मेरे अच्छे दोस्त मोदी, कॉन्ग्रेसी मुखपत्र नेशनल हेराल्ड ने देश को ही बता दिया- Shit Hole

भारतीय जमीन पर लैंड करने से पहले ट्रंप ने हिंदी में ट्वीट कर संदेश भेजा था। अपनी इस यात्रा को लेकर वे पिछले कई दिनों से उत्सुकता जगा रहे थे। बावजूद इसके कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड ने उनकी यात्रा से पहले एक बार फिर अपनी नीचता प्रदर्शित की है।

अमेरिकी राष्ट्रपति सोमवार को भारत पहुॅंचे। अहमदाबाद एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गले लगाकर उनका स्वागत किया। इसके साथ अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी साबरमती आश्रम पहुॅंचे। दोनों ने पीएम मोदी के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गॉंधी को श्रद्धांजलि दी। साबरमती आश्रम के विजिटर बुक में ट्रंप ने लिखा, “मेरे महान दोस्त मोदी, इस शानदार सफर के लिए शुक्रिया।” ट्रंप 36 घंटे भारत में रहेंगे। इस दौरान वे आगरा और दिल्ली भी जाएँगे। उनके इस दौरे में कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौता होने की उम्मीद है।

भारतीय जमीन पर लैंड करने से पहले ट्रंप ने हिंदी में ट्वीट कर संदेश भेजा था। अपनी इस यात्रा को लेकर वे पिछले कई दिनों से उत्सुकता जगा रहे थे। बावजूद इसके कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड ने उनकी यात्रा से पहले एक बार फिर अपनी नीचता प्रदर्शित की। उसने आकार पटेल का एक घटिया लेख छापा है। इसकी हेडलाइन है -India is the only poor and ‘shit-hole country’ that Donald Trump has ever visited

हेडलाइन से समझा जा सकता है कि लेख लिखने वाला शख्स न केवल डोनाल्ड ट्रंप को नपसंद करता है, बल्कि भारत के लिए घटिया सोच रखता है और ऐसे शख्स के विचारों को अपने मुखपत्र में जगह देना कॉन्ग्रेस की नीयत पर सवाल उठाता है।

अपने लेख की शुरुआत से ही पटेल यह समझाने में लग जाता है कि आखिर क्यों ट्रंप भारत को ‘शिट होल’ समझेंगे। लेखक अपने 30 दशक पुराने अनुभव के आधार पर बताता है कि जब वो 16 साल का था और अमेरिका के गाँव में रहता था, तो वहाँ एक डेस्क था, जिस पर एक्सचेंज स्टूडेंट प्रोग्राम चलता था, जिसके मुताबिक अमेरिकन छात्रों को विदेश जाने का मौक़ा मिलता और अन्य देशों के बच्चों को वहाँ आने का, लेकिन किसी अमेरिकन छात्र ने उस प्रोग्राम में अपना नाम नहीं लिखवाया, क्योंकि वे कहीं जाना ही नहीं चाहते थे।

हैरत की बात है कि पिछले 30 सालों में विश्व में बहुत कुछ बदला, विकासशील देशों में कई बदलाव आए। लेकिन फिर भी आकार पटेल अपने इस 30 साल पुराने अनुभव को आज के परिप्रेक्ष्य में ये समझाने के लिए गढ़ते हैं कि अमेरिकन लोगों को घूमना-फिरना पसंद ही नहीं है… इसके बाद आकार अपने लेख में ये भी समझाते हैं कि आखिर वो ट्रंप को लेकर ऐसा क्यों सोचते हैं कि वो भारत को ‘शिट होल’ समझेंगे।

आकार अपने लेख में लिखते हैं,” डोनाल्ड ट्रंप जबसे राष्ट्रपति बने हैं उन्होंने 20 देशों का भ्रमण किया। इनमें ज्यादातर यूरोप के देश शामिल हैं। वे फ्रांस 4 बार गए। दरअसल, उन्हें विकासशील देश पसंद नहीं हैं और वह वहाँ के प्रवासियों को भी नहीं चाहते, उन्हें वह शिट होल समझते हैं और अपनी इस शिट होल वाली लिस्ट में वो भारत को भी लेते हैं।”

आकार की कुंठा देखिए, वह कहते हैं कि भारत पहला गरीब देश है जिसका भ्रमण ट्रंप करने वाले हैं और भारत पहुँचकर वह पहले गरीब देश को देखेंगे। उनके लिए ये देखना दिलचस्प होगा कि भारत दौरे के बाद ट्रंप के अनुभव कैसे होंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रंप कड़वी चीजें कहने से कभी नहीं हिचकते।

इसके बाद आकार पटेल अपने लेख में जमकर कॉन्ग्रेस की तारीफों के पुलिंदे बाँधते हैं। उनके शब्द चयन और वाक्य संरचना से लेकर व्यक्ति विशेष के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विशेषणों तक से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश की छवि धूमिल करने के लिए कॉन्ग्रेस का मुखपत्र और उसमें लिखने वाले स्तंभकार किस प्रकार आतुर हैं।

आकार अपने लेख में ट्रंप से पहले भारत दौरे पर आए अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपतियों के बारे में बात करते हैं। उनकी यात्राओं के दौरान यादगार रहे बिंदुओं को उजागर करते हैं। लेकिन इसी बीच वो भाजपा नेता रामदास अठावले के संसद में दिखाए बर्ताव को इंगित करने से नहीं चूकते और न ही वाजपेयी सरकार को ‘हिंदुत्ववादी सरकार’ कहने से।

वे बताते हैं कि जब क्लिंटन भारत दौरे पर आए थे, उस समय में भारत में हिंदुत्व पार्टी का शासन था, लेकिन क्लिंटन के नेतृत्व में अमेरिका में लिबरल पार्टी का नेतृत्व था। मगर ये स्थिति बदल गई जब बुश भारत दौरे पर आए, क्योंकि उस समय भारत में लिबरल पार्टी थी और अमेरिका में कंजरवेटिव पार्टी। ध्यान देने वाली बात है कि जिस समय में बुश भारत आए थे, उस समय मनमोहन सरकार थी, जिसका मतलब साफ है कि आकार अपने पाठकों को साफ संदेश देना चाहते हैं कि कॉन्ग्रेस देश की लिबरल पार्टी है, लेकिन भाजपा (वाजपेयी जी के नेतृत्व में हो या फिर मोदी के नेतृत्व में) हिंदुत्ववादी पार्टी है।

अपने लेख में वे बराक ओबामा के दौरे का भी जिक्र करते हैं और कहते हैं कि ओबामा 2 बार भारत दौरे पर आए। एक बार तब जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और दूसरी बार तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें चाय सर्व की। बता दें, यहाँ नरेंद्र मोदी द्वारा चाय सर्व की बात किसी घटना को याद दिलाने के इरादे से उल्लेखित नहीं की गई, बल्कि यहाँ नरेंद्र मोदी की छवि पर तंज कसने के लिए इसका प्रयोग हुआ।

इसके बाद अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति को मिडिल क्लास मैन बताया गया और ये भी कहा गया कि ओबामा ने वो जूते पहने थे, जिसका तला तक दोबारा लगा था। आकार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहते हैं कि उन्हें हैरानी होती है कि ओबामा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों को सूटबूट में देखकर क्या सोचा होगा।

गौरतलब है कि नेशनल हेरॉल्ड के जरिए आकार पटेल जिस झूठ का आगे प्रचार-प्रसार करने में जुटे हैं और जिन बराक ओबामा को मध्यमवर्गीय बताकर नरेंद्र मोदी के सूट-बूट पहनने पर तंज कस रहे हैं, उन ओबामा की कुल संपत्ति 40 मिलियन डॉलर है। इसमें से 20 मिलियन डॉलर तो उन्होंने केवल अपनी सैलरी, बुक रॉयलटी और संबोधनों से एकत्रित की है।

लेख में ओबामा को एक पैराग्राफ में बुद्धिजीवी बताया जा रहा है और बताया जा रहा है कि वे मनमोहन सिंह को अपना गुरु कह चुके हैं। लेकिन ट्रंप और मोदी की बात करते हुए आकार कहते हैं कि दोनों नेता कई मामलों में एक जैसे हैं, मसलन दोनों सोशल मीडिया में एक्टिव रहते हैं और दोनों अभिमानी हैं। दोनों का रवैया घुसपैठियों के लिए आक्रामक है और दोनों मुस्लिमों को पसंद नहीं करते। एक ओर ट्रंप मुस्लिमों को अमेरिका आने से रोकना चाहते हैं और मोदी मुस्लिमों को देश से बाहर भेजना चाहते हैं।

आगे ट्रंप के भारत दौरे पर सवाल खड़ा करते हुए आकार कहते हैं कि क्लिंटन और बुश से उलट ट्रंप के भारत दौरे का कोई उद्देश्य नहीं हैं। वे यहाँ गणतंत्र दिवस के आमंत्रण पर भी नहीं आए। वे सिर्फ़ यहाँ अहमदाबाद में मोदी के लिए बोलने आ रहे हैं और ताजमहल देखकर वापस अमेरिका की उड़ान भर लेंगे। इस दौरे में व्यापार से जुड़े कोई करार नहीं होंगे।

गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस मुखपत्र में जगह पाकर अमेरीकी राष्ट्रपति ट्रंप से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के प्रति नफरत व्यक्त करने वाले आकार पटेल के लेख का अंत इस बात पर होता है कि पता नहीं ट्रंप अगले साल होने वाले चुनावों में राष्ट्रपति बने या न बनें। उन्हें आशा है कि अगले चुनावों में यूएसए में ‘लोकतांत्रिक शक्तियाँ’ वापस आएँगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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