"2013 में जब हम हारे तो कॉन्ग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे। शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं, जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया। 2019 में जब शीला जी ने फिर से कमान संभाली तो कॉन्ग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़कर 22.46 फीसदी हो गया।"
आप की जीत पर कॉन्ग्रेस नेताओं की खुशी शर्मिष्ठा मुखर्जी को नागवार गुजरी है। उन्होंने पूछा है कि अपनी बुरी हार पर चिंतित होने की बजाए कॉन्ग्रेस किसी दूसरी पार्टी की जीत पर ख़ुश क्यों हो रही है?
हिलाल अकबर लोन को कश्मीर घाटी में पाँच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने के मद्देनजर प्रशासन ने हिरासत में लिया था। इसके साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कॉन्ग्रेस, माकपा व अन्य दलों के प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया था।
किंजल ने अहमदाबाद पुलिस पर भी कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि क्राइम ब्रांच के अधिकारी रात के 10 बजे घर में घुस जाते हैं और जबरदस्ती तलाशी लेते हैं। उनका कहना है कि गुजरात पुलिस और सरकार उनके पति को बेवजह प्रताड़ित कर रही है।
उस समय विजय बहुगुणा के नेतृत्व में राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार चल रही थी। उसी सरकार ने निर्णय लिया था कि एससी-एसटी को आरक्षण दिए बिना राज्य में सारे सार्वजनिक पदों को भरा जाएगा। आज जब सदन में सच्चाई बताई गई तो कॉन्ग्रेस सांसद वॉकआउट कर गए। राहुल गाँधी मोहन भागवत को दोष दे रहे।
तो क्या कॉन्ग्रेस पार्टी ने मान लिया है कि दिल्ली में उसका अस्तित्व खत्म है और राहुल गाँधी व प्रियंका गाँधी भी पार्टी को बचाने में कामयाब नहीं हुए? जो पार्टी 2013 तक लगातार 15 वर्षों में सत्ता में रही थी, अब वो अस्तित्व बचाने के लिए भी जूझ रही है।
कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के मीडिया प्रभारी राजीव त्यागी ने उदित राज को लताड़ते हुए कहा कि ब्राह्मण होना पाप नहीं है। उन्होंने उदित राज को चुनौती देते हुए कहा कि वो इस विषय पर किसी के भी साथ बहस करने को तैयार हैं।
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल ही संसद में उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बारे में टिप्पणी की और रात में उन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लगा दिया गया। आप कश्मीर पर इस तरह राज नहीं कर सकते हैं। कश्मीर भौगोलिक तौर पर तो हमारा है लेकिन भावनात्मक रूप से नहीं।"
समीर द्विवेदी कॉन्ग्रेस के महासचिव रहे जर्नादन द्विवेदी के बेटे हैं। इंदिरा से लेकर सोनिया तक कॉन्ग्रेस अध्यक्षों के साथ काम कर चुके जर्नादन द्विवेदी ने 2018 में सक्रिय राजनीति से खुद को दूर कर लिया था।