Tuesday, April 23, 2024
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मौत के छ: माह बाद दिवंगत शीला दीक्षित पर दिल्ली चुनाव हराने का आरोप: पीसी चाको ने दिया इस्तीफा

"वर्ष 2013 में ही कॉन्ग्रेस की स्थिति खराब होने लगी थी, जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं। ऐसा इसलिए कि पार्टी का वोट बैंक आम आदमी पार्टी की ओर चला गया। चाको ने यह भी कहा कि जब तक आम आदमी पार्टी है, तब तक कॉन्ग्रेस दिल्ली में आगे नहीं बढ़ सकती है।"

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस को मिली शर्मनाक हार के बाद से पार्टी में घमासान मचा हुआ है। एक तरफ पार्टी के नेता अपने ही आला नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं, तो कुछ पार्टी पदाधिकारियों के बीच की अंदरूनी कलह सामने आने लगी है। वहीं अब करारी हार के बाद पार्टी पदाधिकारियों के इस्तीफा देने का भी सिलसिला शुरू हो चला है।

दिल्ली चुनावों के परिणाम की स्थिति मंगलवार को जैसे ही साफ़ होती गई ऐसे ही कॉन्ग्रेस पार्टी में आरोप-प्रत्यारोपों की सिलसिला शुरू हो गया। दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों पर दिल्ली कॉन्ग्रेस प्रभारी पीसी चाको ने पार्टी के प्रदर्शन पर बुधवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “वर्ष 2013 में ही कॉन्ग्रेस की स्थिति खराब होने लगी थी, जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं। ऐसा इसलिए कि पार्टी का वोट बैंक आम आदमी पार्टी की ओर चला गया। चाको ने यह भी कहा कि जब तक आम आदमी पार्टी है, तब तक कॉन्ग्रेस दिल्ली में आगे नहीं बढ़ सकती है।” इसी के साथ पीसी चाको ने अपने प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं दूसरी ओर कॉन्ग्रेस नेता और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा भी अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर चुके हैं।  

पीसी चाको के इस बयान के बाद पार्टी में घमासान शुरू हो गया। इस बयान पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने चाको पर निशाना साधते हुए कहा, “चुनावी हार के लिए दिवंगत शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। शीला दीक्षित एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ और प्रशासक थीं। मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली की तस्वीर बदली और कॉन्ग्रेस पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई। उन्होंने अपना पूरा जीवन कॉन्ग्रेस और दिल्ली के लोगों के लिए समर्पित किया था।”

वहीं कॉन्ग्रेस नेता और प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी चाको पर निशाना साधते हुए कहा, “2013 में जब हम हारे तो कॉन्ग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे। शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं, जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया। 2019 में जब शीला जी ने फिर से कमान संभाली तो कॉन्ग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़कर 22.46 फीसदी हो गया।”

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वहीं इससे पहले मंगलवार को दिल्ली चुनाव परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कॉन्ग्रेस प्रवक्ता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा था इस हार के लिए पार्टी नेतृत्व ज़िम्मेदार है। उन्होंने स्वीकार किया था कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस का पतन हुआ है। बहुत आत्मनिरीक्षण हो चुका है, अब कार्रवाई का वक्त है।

गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणाम में आम आदमी पार्टी को 70 में 62 और बीजेपी को 8 सीटें मिली हैं, जबकि कॉन्ग्रेस पार्टी अपना खाती भी नहीं खोल सकी। वहीं कॉन्ग्रेस पार्टी अपने 66 उम्मीदवारों मे से 63 उम्मीदवारों की जमानत भी नहीं बचा सकी। इस परिणाम के बाद से ही दिल्ली कॉन्ग्रेस में घमासान मचा हुआ है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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