टीवी चैनलों के एंकर जो कर रहे हैं, क्या वो प्रोपेगेंडा नहीं है। हर रात चालीस मिनट तक सरकार की हर योजना को बेकार बताना भी प्रोपेगेंडा ही है। आखिर चुनाव आयोग इसके लेवल प्लेइंग फ़ील्ड का निर्धारण करेगा कैसे? क्या मीडिया संस्थानों के लिए कोई तय क़ायदा है जहाँ चुनाव आयोग सुनिश्चित कर सके कि इतने मिनट इस पार्टी की रैली, और इतने मिनट इस पार्टी की रैली कवर की जाएगी?
सच्चाई यह है कि नमो फूड का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई लेनादेना नहीं है। वास्तव में, नोएडा में इस नाम का एक रेस्टोरेंट है। जैसा कि फूड सर्च वेबसाइट जोमेटो में भी देखा जा सकता है, नमो फूड के नोएडा में 1 नहीं बल्कि 4 आउटलेट्स हैं। यहीं से पुलिसकर्मियों के लिए लंच ऑर्डर किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सेंसर बोर्ड फ़िल्म को पास कर देती है तो इसके रिलीज में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनज़र आयोग ने फ़िल्म की रिलीज रोक दी है। आयोग ने कहा कि जबतक आम चुनाव ख़त्म नहीं हो जाते, तबतक ये फ़िल्म रिलीज नहीं होगी।
आम चुनाव से सिर्फ 2 दिन पहले इस इलाके की वोटर लिस्ट जारी की गई है। ऐसे में इतने कम समय में गलती में सुधार हो पाना अब मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन नजर आ रहा है।
चुनाव आयोग ने कॉन्ग्रेस के कैंपेन सॉन्ग के कुछ लाइनों को आपत्तिजनक बताते हुए उसमें बदलाव के लिए कहा था। इन लाइनों में मोदी सरकार द्वारा नफरत फैलाने और समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काने का आरोप लगाया गया था।
मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस ने अपने कुल नौ विज्ञापनों को चुनाव आयोग के पास अनुमति के लिए भेजा था, जिसमें से 6 पर आपत्ति जताई गई है। चुनाव आयोग का कहना है कि इसमें राफेल विवाद से जुड़ा भी एक विज्ञापन है।
चुनाव आयोग ने कॉन्ग्रेस को साफ़-साफ़ कहा कि चूँकि यह मामला कोर्ट में है, इसलिए राफेल के विज्ञापन का प्रयोग करना उचित नहीं होगा। मध्य प्रदेश चुनाव आयोग के अध्यक्ष वीएलके राव ने कहा कि अगर आयोग के आदेश से किसी को आपत्ति है, तो वो आगे अपील कर सकता है।
गुजरात से 100 किलोग्राम मादक पदार्थ ज़ब्त किया गया, जिसकी क़ीमत ₹500 करोड़ के क़रीब बताई जाती रही है। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य में यह सबसे बड़ी ज़ब्ती है। तमिलनाडु में भी ₹208.55 करोड़ की सामग्रियाँ ज़ब्त की गईं।
चुनाव आयोग ने ये निर्देश दिया है कि पहले चरण का चुनाव प्रचार थमने के बाद नेता दूसरे चरण में मतदान होने वाले क्षेत्रों में भी ऐसे भाषण नहीं दे सकते, जिससे पहले चरण के क्षेत्र के लिए वोट अपील करने का भाव उत्पन्न होता हो।