चाहे वो मोदी हों, मर्कल हों, मैक्राँ हों, जॉनसन हो या कोई वैसा राष्ट्र जो यह नहीं चाहता कि उसके किसी एयरपोर्ट पर, चर्च में, सड़क पर, पार्क में, मंदिर पर या बस-ट्रेन में बम फूटे, छुरा चले, ट्रकों से लोगों को रौंदा जाए, तो सबसे पहला काम तो वो यह करें कि एक स्वर में इस मुसीबत को उसके पूरे नाम से स्वीकारें कि हाँ, कट्टरपंथी आतंकवाद ने इन सारे देशों में दहशत फैलाई है, जानें ली है, परिवारों को तोड़ा है।
समाचारों की दुनिया के रुमानी वाचक रवीश कुमार का कहना है कि भारतीयों का आत्मविश्वास कमज़ोर है। उनका दिल छोटा है। वे दुनिया का केवल खाते हैं, खिलाते नहीं। आँकड़े कहते हैं कि रवीश झूठे हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान बताता है कि उनके शब्द प्रोपगेंडा की चाशनी में सने हैं।
ऐसा पहली बार हो रहा है जब विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता एक साथ किसी रैली को सम्बोधित कर रहे हैं। आप भी बनिए इस ऐतिहासिक पल का गवाह। 'Howdy Modi' में अमेरिका के कई नेता भी शामिल हो रहे हैं। ह्यूस्टन में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं।
बलूच, सिंधी, पश्तो, जो कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समूह हैं, दशकों से पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के हाथों उत्पीड़न का दंश झेल रहे हैं और अब पीएम मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मदद माँग रहे हैं। इन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान उनके समुदायों के ख़िलाफ़ मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (सितंबर 21, 2019) को ह्यूस्टन पहुँचे। वे आज यहाँ हाउडी मोदी कार्यक्रम में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शिरकत करेंगे। माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम में 50,000 लोग हिस्सा लेंगे।
जो लोग ह्यूस्टन में मोदी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं, वे कश्मीर अलगाववादी हैं। वे खुलेआम भारत से कश्मीर की आज़ादी की गुहार लगा रहे हैं। और इस बार इनका साथ दे रहे हैं खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े हुए सिख भी!
2014 में पीएम बनने के बाद ह्यूस्टन इवेंट भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करने का पीएम मोदी का तीसरा बड़ा कार्यक्रम होगा। मई 2019 में दोबारा चुने जाने के बाद अमेरिका में यह इस तरह की पीएम की पहली रैली है।
इस बैठक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस बैठक को लेकर एक ट्वीट किया है। ट्रंप ने लिखा कि अभी-अभी मैंने अपने दोस्त नरेंद्र मोदी के साथ जी7 समिट में एक बेहतरीन बैठक को खत्म किया।
फोन कॉल पर दोनों नेताओं की बातचीत लगभग आधे घंटे तक चली। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रम्प से बात करते हुए आतंक और हिंसा से मुक्त शांतिपूर्ण वातावरण तैयार करने की महत्ता पर प्रकाश डाला।