वो संविधान से इस हद तक घृणा करता है कि उसे 'भारत' नाम से भी नफरत है। जेएनयू के ऐसे पूर्व छात्र के बारे में जानिए, जो कहता है कि उसका बस चले तो हैदराबाद को भी लाहौर में ले जाकर रख दे। उसकी साज़िश है कि पूरे अखंड भारत में 'खलीफा राज' स्थापित हो जाए।
"राज्य विधानसभा ने सीएए के खिलाफ संकल्प प्रस्ताव आज पारित किया। हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस कानून को निरस्त करे, क्योंकि यह धार्मिक आधार पर लोगों से भेदभाव करता है जो हमारे संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।"
"ग़ैर-मुस्लिम मुस्लिमों की शर्तों पर प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े हों और नारा-ए-तक़बीर लगाएँ। अगर ग़ैर-मुस्लिम ऐसा नहीं करते हैं तो इसका अर्थ है कि वो मुस्लिमों के हमदर्द नहीं हैं, उनका इस्तेमाल कर रहे हैं।"
इससे पहले 4 एफआईआर ठाकुरगंज पुलिस थाने में दर्ज किए गए थे। इन उपद्रवियों पर दंगा करने, प्रशासन की अवज्ञा करने, अवैध रूप से जुटान करने, स्थानीय लोगों के कामकाज में व्यवधान पैदा करने और ऑन-ड्यूटी अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया गया है।
अलीगढ़ के SSP आकाश कुल्हारी के अनुसार, शरजील के खिलाफ IPC की धारा 124ए, 153ए, 153बी और 505 (2) के अंतर्गत FIR दर्ज की जा चुकी है और उनकी टीम जल्द ही शरजील को गिरफ्तार करेगी।
"यह कहते हैं सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है। इन गद्दारों की बात सुनकर कैसे मान लूँ कि इनका खून शामिल है, यहाँ की मिट्टी में? कह रहा है असम को काट कर हिंदुस्तान से अलग कर देंगे।"
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की सक्रियता ने शिवसेना की नींद उड़ा दी है। पार्टी के मुखपत्र दोपहर का सामना के संपादकीय में कहा गया है, "देश में घुसे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुस्लिमों को निकालो। उन्हें निकालना ही चाहिए, इसमें कोई दो राय नहीं।"
वास्तविकता आज बुरका पहनकर शाहीन बाग़ में अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते हुए पत्रकारों की सामूहिक लिंचिंग कर रही है। सेकुलर शाहीन बाग़ आज ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्हम्दुलिल्लाह का स्वर बोल रहा है, और क्योंकि यह स्वर क्रांतिजीवों, JNU-मतावलम्बियों के श्रीमुख से निकला है, इसलिए प्रोग्रेसिव लिबरल भी उनकी हाँ में हाँ मिलाता नजर आ रहा है।
सरिता विहार के लोगों ने 2 फरवरी को प्रदर्शन की योजना बनाई है। यहॉं से शाहीन बाग तक मार्च निकाला जाएगा। इनका कहना है कि आम लोगों की सहूलियत देख बंद सड़क को खोल दिया जाए।
"अंग्रेज मुस्लिमों के कम दुश्मन थे। 1900 से लेकर 1950 तक अंग्रेजों ने मुस्लिमों के साथ कम पक्षपात किया। लेकिन न्यायपालिका 1950 के बाद से मुस्लिमों की दुश्मन बन गई है। 1950 के बाद मुस्लिमों को एक तरह की ग़ुलामी में डाल दिया गया।"