नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ देश भर में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों में आतंकियों के स्लीपर मॉड्यूल सक्रिय हो चुके हैं। आगजनी और दंगा भड़काने के मक़सद से कट्टरपंथी आतंकी अपनी पूरी तैयारी के साथ नागरिकता क़ानून के खिलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों में शामिल हो चुके हैं। यह जानकारी ख़ुफ़िया एजेंसियों के माध्यम से...
मेंगलुरु हॉस्पिटल में दो लोगों के मरने की ख़बर आई है। ये दोनों मंगलुरु नार्थ पुलिस स्टेशन को आग के हवाले करने जा रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शन को हिंसक होते देख गोली चलाई और ये दोनों ही मारे गए। लखनऊ में भी एक प्रदर्शनकारी मारा गया।
पुलिस अधिकारी तनवीर अहमद ने उपद्रवियों क नेतृत्वकर्ता को सपाट शब्दों में कहा कि वो भड़का कर लोगों के भविष्य से न खेलें, ख़ासकर छात्रों के। पुलिस अधिकारी तनवीर ने उपद्रवी महिला वामपंथी को फटकारते हुए कहा- "छात्रों के करियर से मत खेलो। जाओ यहाँ से।"
ममता बनर्जी ने केंद्र की मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास नारे पर निशाना साधते हुए कहा था, "केवल बीजेपी यहाँ बचे और बाकी सब चले जाएँ, यही बीजेपी की राजनीति है। यह कभी नहीं हो पाएगा। भारत सभी का है। अगर सबका साथ नहीं रहेगा तो सबका विकास कैसे होगा? नागरिकता क़ानून किसके लिए है?"
मुख्यमंत्री ख़ुद स्थिति पर पैनी नज़र रख रहे हैं। उन्होंने पुलिस से कहा है कि उपद्रवियों को चिह्नित कर उनपर कड़ी कार्रवाई करें। सीएम योगी ने कहा कि उनकी सरकार उपद्रवियों की संपत्ति नीलाम कर वसूली करेगी। अफवाह फैलाने वालों पर भी निगरानी रखने के आदेश जारी किए गए हैं।
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया दंगाइयों को संरक्षण देने संबंधी याचिका ठुकरा दी थी। कोर्ट रूम में उस समय एक अजीब सा माहौल बन गया जब याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने जजों के समक्ष शेम-शेम के नारे लगाए।
आज़मगढ़ में उपद्रव करने वाले 11 लोगों को चिह्नित कर धर-दबोचा गया। जमीयत-उल-अशरफिया के छात्रों ने उपद्रव किया था, जिसके बाद पुलिस ने ये कार्रवाई की। पुलिस सोशल मीडिया पर भी पैनी नज़र रख रही है। सांसदों-विधायकों तक को भी पुलिस उठा कर ले गई।
भारत में 2 लाख से अधिक श्रीलंकाई तमिल, तिब्बती और 15,000 से अधिक अफगानी, 20-25 हजार रोहिंग्या भारत में रह रहे हैं। यह उम्मीद की जाती है कि किसी दिन जब वहाँ की स्थिति में सुधार होगा तो यह शरणार्थी अपने घर वापस लौट जाएँगे। लेकिन, पाक में स्थिति सुधरेगी क्या?
देशव्यापी विरोधों के चलते, देश के कई हिस्सों में प्रशासन की तरफ़ से धारा-144 लागू की गई। लेकिन, विपक्षी नेताओं के उकसाने पर लोगों ने क़ानून का उल्लंघन किया और क़ानून को हाथों में लेते हुए 'शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन' की आड़ में पुलिस पर हमला भी किया।