हर रात बच्ची को नशे की दवा जबरन खिलाई जाती थे और उसके साथ बलात्कार किया जाता था। जब बच्ची सुबह उठती तो उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं होता था। बच्ची ने अपनी मौसी को कई बार इस बात से अवगत कराया था लेकिन उसकी मौसी उसे डाँट-डपट कर चुप करा देती थी।
लड़कियाँ तो दूर की बात, अब बेख़ौफ़ दुष्कर्मी लड़कों तक को नहीं छोड़ रहे हैं। अब शाहजहाँपुर से गैंगरेप की नई घटना सामने आई है। ताज़ा मामले के अनुसार, शहर के पुवाया थानाक्षेत्र में एक नाबालिग किशोर के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया।
कुल मिलाकर 'Self-Styled godman' शब्द हमेशा हिन्दू धर्मगुरुओं के लिए इस्तेमाल होता है, यह मीडिया का आम सत्य है। लेकिन इंडिया टुडे समेत पत्रकारिता का समुदाय विशेष इस शब्द का इस्तेमाल उस हेडलाइन में करता है, जिसमें खबर आज़म नामक मौलवी द्वारा हैदराबाद में एक किशोरी के साथ बलात्कार की है।
12 जून को बिहार के बेगूसराय में हुई एक अन्य घटना में, सांप्रदायिक रूप से आरोपित मुस्लिम भीड़ ने एक हिंदू परिवार के घर में घुसकर दो महिलाओं से छेड़छाड़ की और उस समय वहाँ मौजूद अकेले पुरुष सदस्य को मारने की कोशिश की।
"क्राइम ब्रांच ने पूरे परिवार को बर्बाद करने की धमकी दी और लगातार दबाव बनाया कि बच्ची से दुष्कर्म और हत्या कबूल कर लो। क्राइम ब्रांच ने यातनाएँ देकर यह स्वीकार करने को कहा कि मैंने मेरठ में पेपर नहीं दिए, पेपर किसी और ने दिए थे।"
वीडियो में महिला कह रही हैं कि इलाके में समुदाय विशेष द्वारा उन पर पर रिश्वत लेकर मृतक बच्ची को खुद वहाँ फेंकने के आरोप तक लगाए जा रहे हैं। उन्हें धमकियाँ भी दी जा रही हैं। इसके साथ ही महिला को अपने परिवार की सुरक्षा का भी डर सता रहा है।
दो लोगों ने किशोरी का उसके घर के बाहर से अपहरण किया और फिर उन्होंने नजदीक के एक खेत में उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने बताया कि लड़की को चिकित्सकीय जाँच के लिए ले जाया गया है और गाँव में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
मेरठ के एक मरदसे में पढ़ाने वाले मौलाना द्वारा 12 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। घटना के बाद शोर मचाने पर छात्रों ने उक्त मौलाना को दबोच भी लिया था लेकिन अँधेरे का फायदा उठा कर वह वहाँ से भागने में कामयाब रहा। बाद में पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया।
राणा अय्यूब जैसे लोग हों या फिर स्क्रॉल जैसे मीडिया गिरोह, अलीगढ़ काण्ड में अपराधियों के नाम असलम और जाहिद होने के कारण उन सबका रोना यही है कि अपराध को साम्प्रदायिक रंग दिया जा रहा है। उन्हें समझना होगा कि यह सांप्रदायिक रंग नहीं दिया जा रहा है, बल्कि जो जहर उन लोगों ने बोया था, ये उसी के रुझान देखने को मिल रहे हैं।