Friday, November 22, 2024

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बाढ़ से बेहाल

हेल के कर जाइए न पार, ठीके त है नीतीश कुमार: बाढ़ के बीच पजामा ऊँचा कर के घूमती सरकारी निष्क्रियता

घर में फँसे डिप्टी सीएम को रेस्क्यू करना पड़ा और ​मुख्यमंत्री अमेरिका की बातें कर रहे। अधिकारियों के सामने केंद्रीय मंत्री लाचार हैं और सीएम मुंबई की याद दिला रहे। शायद, नीतीश भूल चुके हैं कि बिहार के लिए उनकी जिम्मेदारी बनती है और सवाल उनसे पूछे ही जाएँगे।

बाढ़ से बिफरे: अपनी ही सरकार पर बरसे MLA बोगो बाबू, गिरिराज भी बोले- हाँ, मैं बागी हूँ

विधायक बोगो बाबू ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार को पूर्णतया उदासीन करार दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों (बिहार सरकार व प्रशासन) की मानवीय संवेदना जीरो पर आउट हो गई है (शून्य हो गई है) और उन्हें मानवता से कोई मतलब नहीं है।

ताकि, सनद रहे! बिहारियों की जान बहुत सस्ती है…

यह भी चंद दिनों का ख़ब्त है। अभी आप पूरे देश के बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं को केरल और चेन्नै के बहाने गाली दे रहे हैं, लेकिन यह भूल जा रहे हैं कि आज के युग में आर्थिक बल ही सब कुछ है। बिहार यहाँ नीचे से पहले पायदान पर है।

बिहार में बाढ़: न पहली, न आखिरी बार… आखिर क्यों डूबते हैं शहर?

हुजूर! यही हैं हम। यही है हमारा देश… आज केवल मेरा शहर नहीं डूबा, मेरा पूरा राज्य डूब गया है। छपरा, सिवान, पटना सब डूबे हुए हैं। शहर यदि नदियों के बाढ़ से डूब जाएँ तो बात समझ में आती है, पर बरसात से डूबें तो बात समझ में नहीं आती।

हम बिहार के लोग चू@& हैं जो ऐसे नेता चुनते हैं: आखिर ये बिहारी युवक ऐसा क्यों कह रहा है

वायरल वीडियो में एक बिहारी ने मीडिया से लेकर सेलेब्रिटीज तक पर आरोप लगाए हैं कि वे सभी बिहार के लिए पक्षपात कर रहे हैं क्योंकि बाकी राज्यों में बाढ़ आने पर उनकी आँखों में आँसू आते हैं लेकिन बिहार के लिए किसी के मन में कोई संवेदना नहीं।बिहार में प्रशासन निष्क्रिय हो चुका है।

बिहार: पॉलीथीन के घर में भीगते-भीगते मर गई प्रसूता, मौत के बाद आवास योजना का लाभ देने पहुँचे BDO

पूजा की मौत के बाद पूरा परिवार शोक में है और गाँव वालों में इस बात का गुस्सा है कि यदि सरकारी आवास योजना का लाभ पहले मिला होता तो 20 वर्षीय लड़की की मौत नहीं होती।

‘केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे’: बाढ़ से 29 की मौत, 1.3 लाख छात्रों की परीक्षाएँ रद्द

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि यह प्रकृति का प्रकोप है, जिसके आगे मनुष्य अक्सर असहाय हो जाता है। उन्होंने कहा, "सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि किसी को नहीं पता कि मूसलाधार बारिश कब तक जारी रहेगी? मौसम विभाग भी ऐसी स्थिति में असहाय है।"

अरे ‘रवीश बुद्धि’ यह डूबे शहर की जिंदादिली है, कुत्ते-गाय में हिन्दू-मुस्लिम ‘एंगल’ गढ़ना नहीं

'रवीश बुद्धि' पत्रकारिता के चोले में वही असर छोड़ते हैं, जैसा समाज में 'जड़ बुद्धि'। पत्रकारिता में गहराते 'रवीश बुद्धि' का नमूना ही है कि नवभारत टाइम्स के पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा को जिंदादिली की तस्वीर में कमीनापन, बेशर्मी और प्रचार की भूख, सब एक साथ दिखे।

एक पुरुष उत्सुक नयनों से देख रहा था प्रलय प्रवाह: पटना जलमग्न, 24 घंटे में 25 मौतें

बिहार सरकार की हर घर नल से जल पहुॅंचाने की योजना की तो हालत खस्ता है। लेकिन, बारिश ने राजधानी पटना में जरूर जल को द्वारे-द्वारे पहुॅंचा दिया है। आम लोग ही बेबस नहीं हैं, राज्य के उपमुख्यमंत्री का घर भी पानी से लबालब है। सड़कें, रेल की पटरियॉं जलमग्न हैं और बिजली गुल।

बाढ़ पीड़ितों से आपकी काफ़ी तारीफ सुनी, दोबारा सुनने को न मिले: गिरिराज सिंह

"एसडीओ साहब भला गाड़ी से क्यों उतरेंगे? वो तो बाबू हैं, साहब हैं। बहुत बड़े आदमी हैं। बाढ़ पीड़ितों से मैंने आपकी काफ़ी तारीफ सुनी है। कोशिश कीजिए कि मुझे ये दोबारा सुनने को न मिले। पीड़ितों के लिए कैम्प लगाइए नहीं तो आपके दफ़्तर के बाहर धरना दूँगा। ।"

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