Friday, March 29, 2024
Homeविचारसामाजिक मुद्देताकि, सनद रहे! बिहारियों की जान बहुत सस्ती है…

ताकि, सनद रहे! बिहारियों की जान बहुत सस्ती है…

मिथिलांचल में केवल दरभंगा में सैकड़ों तालाब थे। उनमें से 300 को हमलोग लील गए। यहाँ तक कि राज-दरभंगा के किले को नहीं छोड़ा। झील जैसे बड़े तालाबों को लील गए या अतिक्रमित करते चले गए। इस होड़ में नेता, व्यापारी, प्रोफेसर, दुकानदार, मध्यवर्गीय परचून वाला आदि-इत्यादि सभी शामिल हैं।

मैं बहुत देर से और काफी डरते-डरते यह पोस्ट लिख रहा हूँ, क्योंकि काफी लोगों की भावना आपा के आहत होने का डर है। फिर भी, पटना की डूब के बारे में दो-तीन बातें लिखनी जरूरी हैं…

1.) मैं मिथिलांचल का हूँ। अभिशप्त, बाढ़ का मारा। हमारे लिए बाढ़ के साथ जीना कोई नई बात नहीं है, जीवन जीने का ढर्रा है। 1986-87 की भीषण बाढ़ के समय मैं बालक ही था, तब से अब तक करीब चार-पांच प्रलयंकारी बाढ़ मिथिलांचल में आई है, पर…और यह बहुत बड़ा पर है कि वह बाढ़ थी, पटना का डूबना बाढ़ नहीं है, यह मनुष्य-निर्मित तबाही और बर्बादी है।

मिथिलांचल में केवल दरभंगा में सैकड़ों तालाब थे। उनमें से 300 को हमलोग लील गए। यहाँ तक कि राज-दरभंगा के किले को नहीं छोड़ा। झील जैसे बड़े तालाबों को लील गए या अतिक्रमित करते चले गए। इस होड़ में नेता, व्यापारी, प्रोफेसर, दुकानदार, मध्यवर्गीय परचून वाला आदि-इत्यादि सभी शामिल हैं। अब आपने पानी सोखने का रास्ता तो बंद किया ही, साथ ही ले आए- पॉलीथीन। इससे आपने रहे-सहे जल निकालने के रास्ते भी बंद कर दिए। नतीज़ा तो यही होना था।

2.) मुझे याद है, मैट्रिक में मुझे पहला फुलपैंट नसीब हुआ था। उसके पहले हमलोग हाफ पैंट पहनते थे और वो भी उन मामाओं का फुलपैंट कटवाकर जो हमारे साथ रहते थे। जब हमारे हाफपैंट भी घिस जाते थे, तो उसका थैला बनता था और वही थैला लेकर हमलोग बाजार जाते थे, चाहे सब्जी लानी हो, या गेहूँ पिसवाने चक्की पर जाना हो। अब सबकुछ रेडीमेड है, लेकिन यह भी जान लीजिए कि आशीर्वाद आटे में भी कुछ मिलावट की ख़बरें आई हैं।

मैं व्यक्तिगत तौर पर दावा नहीं करता कि मैं बिल्कुल प्राकृतिक जीवन जी रहा हूँ, पर हाँ, बाज़ारवाद के चपेट में अब तक नहीं आया हूँ। सरकारें तो अजीब होती ही हैं, पहले समस्या (पॉलीथीन या दारू) निर्मित करो और फिर उनके समाधान खोजो।

3.) तीसरी और अंतिम समस्या है नीचे के पोस्ट की तस्वीरें। आज कमोबेश पंद्रह वर्षों से जदयू-भाजपा युति की सरकार है। अभी चंद महीनों पहले डिप्टी सीएम अपने घर के बाहर थोड़े दिन की बारिश के बाद पायजामा उतारे नज़र आए थे (उस बार नालंदा मेडिकल कॉलेज और पीएमसीएच में मछलियां तैर रही थीं)….इस बार तो एनडीआरएफ को उन्हें बचाना पड़ा। पाजामा भी घर पर ही छूट गया। सुशासन बाबू तो अटरिया पर लोटन कबूतर बने ही हैं।

यह भी चंद दिनों का ख़ब्त है। अभी आप पूरे देश के बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं को केरल और चेन्नै के बहाने गाली दे रहे हैं, लेकिन यह भूल जा रहे हैं कि आज के युग में आर्थिक बल ही सब कुछ है। बिहार यहाँ नीचे से पहले पायदान पर है। आईएएस-आईपीएस के बाद अब आपका नया खटराग केबीसी के विजेताओं का है, पर उद्योग-धंधे, खेती, सेवाएँ वगैरह कहाँ हैं…क्या आप सुशासन कुमार से लेकर डिप्टी सीएम का कॉलर थामेंगे अगली बार…या जयकारा ही लगाएँगे…

सुशासन कुमार ने तो प्रकृति पर लांछन लगाकर अपना कर्तव्य पूरा किया। हालाँकि कोशी हादसे के 700 करोड़ या पटना में स्मार्ट सिटी के नाम पर अरबों के ड्रेनेज प्रोजेक्ट और मेट्रो को कहाँ घुसा दिया, यह बताते नहीं हैं।

खैर, तीन-चार दिनों की बात है। वैसे भी इस देश में इंसानों की और खासकर बिहारियों की जान बहुत सस्ती है।

-व्यालोक पाठक

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

संदेशखाली की जो बनीं आवाज, उनका बैंक डिटेल से लेकर फोन नंबर तक सब किया लीक: NCW से रेखा पात्रा ने की TMC नेता...

बशीरहाट से भाजपा की प्रत्याशी रेखा पात्रा ने टीएमसी नेता के विरुद्ध महिला आयोग में निजता के हनन के आरोप में शिकायत दर्ज करवाई है।

कभी इस्लामी आतंकवाद से त्रस्त, आज ₹2 लाख करोड़ की इकोनॉमी: 1600+ आतंकी ढेर, 370 हटाने के बाद GDP दोगुनी… जानिए मोदी राज में...

मोदी सरकार में जम्मू कश्मीर आतंक की घटनाओं में काफी कमी आई है, राज्य की अर्थव्यवस्था इस दौरान बढ़ कर ₹2 लाख करोड़ हो गई है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe