रामलला के वकील ने अदालत से कहा कि थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाए कि वहाँ कोई मंदिर, कोई देवता नहीं थे, फिर भी लोगों का विश्वास है कि श्रीराम का जन्म वहीं हुआ था। ऐसे में वहाँ पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है।
रामलला के वकील ने 12 वीं सदी के शिलालेख का हवाला दिया और कहा कि साकेत मंडल के राजा गोविन्द चंद्र ने ग्यारहवीं शताब्दी में अयोध्या में विष्णु हरि का सुन्दर मंदिर बनवाया था जिसकी पुष्टि वहाँ से मिले एक शिलालेख से होती है जिसमें इसका पूरा वर्णन है।
योगी सरकार ने भोग (प्रसाद) के लिए 800 रुपए प्रति माह बढ़ाया है। अयोध्या के डिविज़नल कमिश्नर ने कहा कि इस कदम को उच्चतम न्यायालय में चल रहे सुनवाई से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
"जब से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तेज हुई है, राम भक्त भी उत्साह में हैं। मंदिर के लिए नक्काशीदार पत्थर की शीट्स और खम्भों की सफाई चालू है। पत्थरों को तेजी से तराशने का फैसला अयोध्या और अन्य स्थानों के संतों के सुझावों के अनुसार होगा और इस सम्बन्ध में बातचीत चालू है।"
तुसी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की इच्छा जताते हुए कहा कि हमारा परिवार उसकी पहली ईंट रखेगा और हम मंदिर की नींव के लिए सोने की शिला दान करेंगे। तुसी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को अयोध्या मामले में पक्षकार बनाने की भी अपील की थी।
मेवाड़ राजघराने के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का कहना है कि वो राम के वंशज हैं और वो चाहते हैं कि राम मंदिर जल्द से जल्द बने। वहीं, अरविंद सिंह ने यह भी कहा कि उन्हें अयोध्या में किसी भी तरह की कोई संपत्ति नहीं चाहिए।
कोर्ट ने रामलला के वकील से पूछा कि राम का जन्मस्थान कहाँ है? तो वकील एस सी वैद्यनाथन ने इसका जवाब देते हुए कहा कि राम का जन्मस्थान बाबरी मस्जिद के गुंबद के नीचे है।
बीजेपी संसद ने एक पत्रावली दिखाई, जिसमें भगवान राम के वंश के सभी पूर्वजों का नाम क्रम से लिखा हुआ है। इसी पत्रावली में 209वें वंशज के रूप में सवाई जयसिंह और 307वें वंशज के रूप में दीया के पिता महाराजा भवानी सिंह का नाम लिखा हुआ है।