न्याय तलाशते वामपंथी बहुत पीछे जाते हैं तो 1528 में पहुँचते हैं जहाँ रहमदिल, आलमपनाह बाबर, जिसके माता और पिता पक्ष पर करोड़ों हत्याओं का रक्त है, कंधे पर पत्थर उठा कर एक जंगल-झाड़ में, छेनी-हथौड़ा से कूटते हुए मस्जिद बनाता दिखता है।
इसके पहले, JNU के छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन पर फीस बढ़ाने का आरोप लगा कर विरोध प्रदर्शन भी किया था। इस दौरान छात्रों ने न सिर्फ़ पुलिस के साथ झड़प की, बल्कि महिला प्रोफेसर के साथ भी बदतमीजी की। महिला प्रोफेसर के कपड़े फाड़ने की कोशिश की गई थी।
इस की जाँच हो कि एनकाउंटर में शामिल अफसरों के हाथों इस घटना के दौरान कोई आपराधिक कृत्य तो नहीं घटित हुआ है। लेकिन इसे एनकाउंटर की सत्यता, उसकी परिस्थितियों या माओवाद के आरोपितों की मृत्यु पर सवाल के रूप में न देखा जाए।