Sunday, November 17, 2024

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हिंदी

मातृभाषया सह सापत्न्यम् आक्रान्तृभाषाभिः गर्लफ्रेंड् इव व्यवहारः किमर्थम्?

ह्यः अपि मित्रैः सह यूथं रचयितुं वाट्सैपे प्रयोजयामासिम। प्रसङ्गेऽस्मिन्नेकेन मित्रेण स्वरांशः प्रेषितः, नाम ऑडियो-क्लिप्। तदस्माभिश्चालितम् इत्युक्ते प्ले कृतं तदा मित्रस्य ध्वनिः श्रुतः “ब्रोज़ लेट्स हैंग आउट टुमॉरो! आई एंट गॉट टाइम टुडे।”

राही मासूम रजा को याद रखा, पंडित नरेंद्र शर्मा को भूल गए: महाभारत के संवादों पर वामपंथी प्रोपेगेंडा

महाभारत के संवाद-लेखन में राही मासूम रजा के साथ पंडित नरेंद्र शर्मा भी बराबर के भागीदार हैं। वामपंथियों ने जानबूझ कर 'गंगा जमुनी तहजीब' के लिए उन्हें किनारे कर दिया।

‘कमल हासन राजनीति में बिना डायपर का बच्चा, पूरे राज्य में गंध मचा रखी है’

खुद तमिल होने के बावजूद स्वामी हिंदी-संस्कृत को भारत की आधिकारिक और राष्ट्रीय भाषाएँ बनाए जाने की वकालत करते रहे हैं। उनके मुताबिक भारत की राष्ट्रीय भाषा संस्कृत होनी चाहिए, जिसे शनैः-शनैः बढ़ावा दे कर आधिकारिक भाषा बनने की तरफ़ ले जाना चाहिए।

तमिलनाडु में द्रमुक ने काले किए हिंदी के साइनबोर्ड, कहा- हिंदी वापस जाओ

भाजपा को आम तमिल ही नहीं, राज्य की प्रभावशाली हस्तियों के भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इनमें फिल्म अभिनेताओं रजनीकांत और कमल हासन के नाम भी शामिल हैं।

हिंदी बने पूरे देश की भाषा: जब गृहमंत्री रहते पी चिदंबरम ने की थी पैरवी, DMK भी थी साथ

गृह मंत्री रहते चिदंबरम ने हिंदी के पूरे देश की भाषा बनने की उम्मीद जताई थी। सरकारी दफ्तरों में संवाद के लिए हिंदी के इस्तेमाल पर जोर दिया था। लेकिन, अब जिस तरह उनकी पार्टी और गठबंधन के साथी अमित शाह के बयान पर जहर उगल रहे हैं उससे जाहिर है यह अंध विरोध के अलावा कुछ भी नहीं।

हिन्दी दिवस: एक भाषा ज़्यादा सीख लेने से संस्कृति कैसे बर्बाद होती है?

आप सोचिए कि हिन्दी जानने से आपकी संस्कृति कैसे प्रभावित हो रही है? अगर यह कहा जाए कि तुम तेलुगु छोड़ दो, और हिन्दी पढ़ो; तमिल में लिखे सारे निर्देश हटा दिए जाएँगे; कन्नड़ में अब नाटक या फिल्म नहीं बनेंगे; मलयालम की किताबों को जला दो... तब उसे हम कहेंगे कि 'हिन्दी थोपी जा रही है।'

हिंदी दिवस विशेष: मात्रा ‘मात्र’ नहीं होती, हिंदी में यह ‘माई’ है

मात्रा बड़ी महत्वपूर्ण चीज़ होती है। सिर्फ खाने में ही नहीं, भाषा में भी इसका अपना महत्व है। इसके होने या न होने से कई बार शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं। हिन्दी भाषा में मात्रा उच्चारण के हिसाब से लगती है- जो आप बोलते हैं, पक्का-पक्का वही लिखा जाता है।

हिंदी पहले ही राष्ट्रभाषा बन चुकी है, बहुत स्कोप है: जस्टिस काटजू

हिंदी-ज्ञान अपने प्रदेश के बाहर निकल कर रोजगार की आकाँक्षा रखने वाले वर्ग की आवश्यकता है। हिंदी को 'एक प्रकार की' राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिल ही चुका है।

हिंदीभाषियों के विशाल हृदय का सबूत है दक्षिण की फिल्मों का व्यापक बाज़ार

हिंदीभाषियों ने दक्षिण भारतीय भाषाओं की फ़िल्मों को एक ऐसा मार्केट दिया है, जिसकी व्यापकता देख कर हिंदी का विरोध करने वाले बेहोश हो जाएँ। बंधन प्यार से बनता है। जब वो टूटता है, तो विदेशी चीजें हमें अपना गुलाम बनाती हैं। इसे तोड़ने वालों, सावधान!

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