आप किसी साधु की तस्वीर डालते हैं। ट्विटर-फेसबुक उसे कट्टर बताते हुए सेंसर कर दें। आप वेद-पुराणों से उद्धरण डालते हैं। उन्हें अन्धविश्वास की केटेगरी में रख दिया जाए। खुश मत होइए, भारत में ये दिन जल्द ही देखने को मिल सकता है।
लिबरलों द्वारा शार्ली एब्दो के कार्टूनिस्टों की हत्या, तत्पश्चात् सैमुअल पेटी की गर्दन काटने को मुनव्वर फारूकी की गिरफ्तारी के समानांतर रखना, बताता है कि इनके तर्क कितने वाहियात हैं जहाँ कुछ बोलने के लिए किसी राष्ट्र के कानून के खिलाफ जा कर हत्या और कुछ बोलने पर राष्ट्र के कानून के आलोक में की गई गिरफ्तारी बराबर बात है।