Friday, April 26, 2024
Homeविचारराजनैतिक मुद्देमुनव्वर फारूकी अगर 'शार्ली एब्दो' होता तो उसकी गर्दन नीचे पड़ी होती... लटर-पटर बंद...

मुनव्वर फारूकी अगर ‘शार्ली एब्दो’ होता तो उसकी गर्दन नीचे पड़ी होती… लटर-पटर बंद करो लिबरलों

ये लिबरल-सेक्युलर-कट्टर इस्लामी गिरोह के लोग हैं, जो मोदी विरोधी गुट से आते हैं। ये कहानी वही विनोद और अफजल वाली है। विनोद के घर में घुस कर अफजल लगातार उसके माता-पिता और पूर्वजों को गालियाँ बक रहा है और जब विनोद ने उसे धक्का देकर निकाल दिया तो वो बड़े-बड़े नरसंहारकों से भी भयानक हो गया।

12 सितम्बर 2001 को इस्लामी आतंकवाद ने दुनिया को दहलाया था और अमेरिका के ट्विन टॉवर्स पर हुए हमले में करीब 3000 लोग मारे गए। ये एक घटना हुई। विनोद (काल्पनिक नाम) ने इसका विरोध किया। अफजल (बेहद ही काल्पनिक नाम) ने इसका समर्थन किया। कुछ दिन बाद अफजल ने विनोद के घर में घुस कर पेशाब कर दिया। विनोद ने उसे धक्का देकर बाहर निकाल दिया। मीडिया ने कहा, “विनोद और ओसामा में कोई अंतर नहीं।” तथाकथित कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के मामले में यही हो रहा है। उसकी गिरफ़्तारी की तुलना ‘शार्ली एब्दो नरसंहार’ से की जा रही है।

हिन्दू देवी-देवताओं को गाली देकर अपना व्यापार चलाने वाला, अपने हमनाम बुजुर्ग शायर के इस्लामी कट्टरवाद का अनुसरण करने वाला और देश के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को अपमानित कर के तालियाँ पिटवाने वाले एक कॉमेडियन को जब कोई आक्रोश में एकाध चाँटा लगा देता है और पकड़ के पुलिस को सौंप देता है तो सीधे इसकी तुलना हिरोशिमा और नागासाकी बम ब्लास्ट से करने वाले पैदा हो जाते हैं। कौन हैं ये लोग? कहाँ से आते हैं?

दोनों ही सवालों के जवाब स्पष्ट हैं। ये लिबरल-सेक्युलर-कट्टर इस्लामी गिरोह के लोग हैं, जो मोदी विरोधी गुट से आते हैं। ये कहानी वही विनोद और अफजल वाली है। विनोद के घर में घुस कर अफजल लगातार उसके माता-पिता और पूर्वजों को गालियाँ बक रहा है और जब विनोद ने उसे धक्का देकर निकाल दिया तो वो बड़े-बड़े नरसंहारकों से भी भयानक हो गया। मीडिया का ये गुट चाहता है कि विनोद का घर अफजल का बाथरूम बन जाए और विनोद को आपत्ति जताने तक का भी हक़ न हो।

ये वही हैं, जो दिल्ली में 50 लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं और इनके खिलाफ एक चार्जशीट तक भी दायर हो जाए तो ये पीएम मोदी की तुलना 60 लाख लोगों को मरवाने वाले हिटलर से करने लगते हैं। जबकि अगर इन्होंने हिटलर राज में अपनी इस गुंडई का हजारवाँ हिस्सा भी प्रदर्शित किया होता तो इनके शरीर में कहाँ-कहाँ शॉक दिए जाते, ये इन्हें भी नहीं पता। यहाँ ये कट्टरवाद का झंडा लिए घूम भी रहे हैं और सामने वाले पर हर वो इल्जाम लगा रहे हैं, जिसमें वो खुद हद से ज्यादा फिट बैठते हैं।

अप्रैल 2013 में ‘बिजनेस टुडे’ पत्रिका में एमएस धोनी को भगवान विष्णु बना दिया जाता है। खुद को नास्तिक बताने वाला अर्मिन नवाबी माँ काली की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट कर के उन्हें ‘सेक्सी’ बताता है। ‘पीके’ फिल्म में आमिर खान भगवान शिव का अपमान करता है। कोई कट्टरवादी अपने सोशल मीडिया हैंडल्स से खुलेआम भगवान राम और सीता की आपत्तिजनक तस्वीरें पोस्ट करता है। ऐसे सैकड़ों इन्सिडेंट्स हुए हैं।

इनमें से किसी एक को कभी कुछ नहीं हुआ। वो इसीलिए, क्योंकि हिन्दू इस विश्व का सबसे उदार और सहिष्णु समुदाय है। उनके खिलाफ अगर किसी ने आक्रोशित होकर विरोध का एक स्वर उठा भी दिया तो ये बड़ी खबर बन गई और ऐसा दिखाया गया जैसे पूरे देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी (FOE) के लिए कोई जगह ही नहीं रही। हिन्दुओं के लिए भावनाएँ आहत होने पर विरोध में चूँ करने की तुलना नरसंहार से हो रही है।

ये वही बात हुई कि ओसामा बिन लादेन एक साथ 3000 लोगों का नरसंहार कर के भी ‘अच्छा शौहर’ के रूप में देखा जाता है। रियाज़ नाइकू कइयों को मौत के घाट उतार कर भी ‘गणित का शिक्षक’ बना रहता है और विनोद अपने घर में पेशाब करते अफजल को धक्का दे दे, तो वो इन दोनों से भी बड़ा ‘आतंकी’ साबित कर दिया जाता है। हिन्दू देवी-देवता कोई कॉमिक आइटम हैं क्या? मोदी-शाह ने इन कथित कॉमेडियनों का कर्जा खाया है कि वो उनसे अपमानित होते रहें?

ये भूमिका थी। मध्य प्रदेश की घटना पर वापस आते हैं, जहाँ इंदौर में एक कार्यक्रम में हिन्दू देवी-देवताओं को अपशब्द कह कर और मोदी-शाह को अपमानित कर तालियों की अपेक्षा करने वाले मुनव्वर फारूकी को कुछ लोगों ने पुलिस को सौंप दिया। इन लोगों की भावनाएँ आहत हुईं और उन्होंने प्रतिक्रिया दी। फारूकी के दोस्त को कोर्ट में वकीलों ने भी एकाध चाँटा लगा दिया। अब किसी को पकड़ कर सबूतों के साथ पुलिस को सौंपना कब से अपराध हो गया?

वहाँ के हिन्दुओं ने कार्यक्रम का वीडियो बनाया है और उस वीडियो को सबूत के रूप में पुलिस को सौंपा है। लेकिन, इधर सोशल मीडिया पर कुछ लिबरल-सेक्युलर-कट्टरवादी एक्टिव हो गए। कर्नाटक कॉन्ग्रेस के नेता श्रीवत्स ने ‘भक्तों’ पर तंज कसते हुए लिखा कि ये लोग शार्ली एब्दो को FOE के रूप में देखते हैं, जबकि मुनव्वर फारूकी को FOE का अधिकार नहीं देना चाहते। उन्होंने लिखा कि अमेरिका में कोई भेदभाव नहीं है और सब बराबर हैं, जबकि भारत में हिंदुत्व का राज है और कोई धर्मनिरपेक्षता नहीं है।

उन्होंने आगे लिखा, “भाजपा भक्त कभी स्वतंत्रता या बराबरी के अधिकारी को लेकर सजग नहीं हैं। वो असहिष्णु लोग हैं, जो अपने हिसाब से अपना स्टैंड बदलते रहते हैं।” अगर ऐसा है, तो कभी कोई ‘भक्त’ हाफिज सईद, लखवी, बुरहान वानी, लादेन या अफजल का गुणगान करता हुआ क्यों नहीं पाया जाता? जब ‘भक्त’ हमेशा अपना स्टैंड बदलते रहते हैं तो कभी वो अलकायदा और ISIS का समर्थन क्यों नहीं करते?

इसी तरह प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘ऑल्टन्यूज़’ की सह-संस्थापक सैम जावेद ने शार्ली एब्दो की FOE के दक्षिणपंथी झंडाबरदार एक कॉमेडियन से ऑफेंड महसूस कर रहे हैं? असल में इनका मकसद ये तो है ही कि अपने देवी-देवताओं को गालियाँ देने वालों का विरोध करने वाले हिन्दुओं को गलत साबित करें , लेकिन इससे भी बड़ा इनका मकसद है कि ये उन लोगों को सही साबित कर सकें, जिन्होंने शार्ली एब्दो के दफ्तर में घुस कर 12 लोगों की बेरहम हत्या कर दी थी।

लखनऊ में कमलेश तिवारी सिर का एक बयान के कारण कलम कर दिया जाता है। वो भी तब, जब वो इसी के लिए जेल की सज़ा भुगत कर आए होते हैं। फ्रांस में शिक्षक सैमुअल पैटी का गला रेत दिया जाता है। ऐसी न जाने कितनी ही घटनाएँ हैं, जहाँ मुस्लिमों की भावनाएँ आहत करने के नाम पर खून बहाए गए, लेकिन हिन्दुओं की भावनाएँ आहत होने पर प्रतिकार स्वरूप सोशल मीडिया पर दो शब्द लिख देना भी सैमुअल पैटी और कमलेश तिवारी के हत्यारों से भी बड़ा अपराध बन जाता है।

जब भारती, रवीना टंडन और फराह खान जैसी बड़ी फ़िल्मी हस्तियाँ बाइबिल के एक शब्द को लेकर कुछ मजाक कर देती हैं तो उन्हें सोशल मीडिया पर, मीडिया में और वेटिकन के पादरी से मिल कर हस्तलिखित माफीनामा सौंप कर- तीन तरह से माफी माँगनी पड़ती है। लेकिन, हिन्दू देवी-देवताओं को गाली देकर विरोध कर रहे हिन्दुओं को ही दोषी ठहरा कर हर कोई खुद को ‘बहादुर’ दिखाना चाहता है।

लिबरलों द्वारा शार्ली एब्दो के कार्टूनिस्टों की हत्या, सैमुअल पैटी की गर्दन काटने को मुनव्वर फारूकी की गिरफ्तारी के समानांतर रखना, बताता है कि इनके तर्क कितने वाहियात हैं। जहाँ कुछ बोलने के लिए किसी राष्ट्र के कानून के खिलाफ जा कर हत्या और कुछ बोलने पर राष्ट्र के कानून के आलोक में की गई गिरफ्तारी बराबर बात है। मुनव्वर फारूकी अगर ‘शार्ली एब्दो’ होता, तो उसकी गर्दन नीचे पड़ी होती, कानून के हिसाब से कोर्ट और पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही होती। अगर ये ‘शार्ली एब्दो के बराबर घटना होती, तो मुनव्वर फारूकी के साथ-साथ उसके दोस्तों, दोस्तों के रिश्तेदारों- सभी की गर्दन जमीन पर पड़ी होती।

सूचित करते चलें कि मध्य प्रदेश के इंदौर में हिन्दू देवी-देवताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार कथित कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी समेत 5 आरोपितों को 13 जनवरी तक न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) अमन सिंह भूरिया ने फारूकी और अन्य चार को जमानत देने से इनकार कर दिया। फारूकी की तरफ से वकील अंशुमन श्रीवास्तव ने अदालत में बहस की, जो कॉन्ग्रेस का नेता भी है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024: बंगाल में हिंसा के बीच देश भर में दूसरे चरण का मतदान संपन्न, 61%+ वोटिंग, नॉर्थ ईस्ट में सर्वाधिक डाले गए...

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के 102 गाँवों में पहली बार लोकसभा के लिए मतदान हुआ।

‘इस्लाम में दूसरे का अंग लेना जायज, लेकिन अंगदान हराम’: पाकिस्तानी लड़की के भारत में दिल प्रत्यारोपण पर उठ रहे सवाल, ‘काफिर किडनी’ पर...

पाकिस्तानी लड़की को इतनी जल्दी प्रत्यारोपित करने के लिए दिल मिल जाने पर सोशल मीडिया यूजर ने हैरानी जताते हुए सवाल उठाया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe