हाथरस केस हर बीतते घंटे और दिन के साथ नया रूप लेता जा रहा है। नई जानकारियाँ सामने आ रही हैं। कुछ पत्रकार और नेता इसे वैसा ही बनाना चाहते हैं, जैसा कि इन्होंने ठीक 5 साल पहले 2015 के 28 सितंबर को अखलाक की लिंचिंग केस में किया था। 29 सितंबर से इस देश की जनता अचानक से अहिष्णु हो गई थी, क्योंकि आगे बिहार का चुनाव था।
सपा की सरकार थी, लेकिन दोष मढ़ा गया बीजेपी और नरेंद्र मोदी पर। फिर जनवरी 2016 में रोहित वेमुला कांड होता है। इसके बाद असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी में हुए चुनाव में अखलाक और रोहित वेमुला केस को लगातार भुनाया गया। हाथरस कांड में सामने आई मेडिकल और बॉडी स्टेटस में अब तक रेप की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन केस को हाथरस की ‘निर्भया’ बनाया जा रहा है। आप सोचिए, निर्भया कांड क्या था और इसमें तो अभी तक रेप की पुष्टि भी नहीं हुई है।