वामपंथी पत्रिका The Economist ने कवर पेज बनाया। इस पर रवीश लिख रहे हैं कि पूरी दुनिया में भारत की पहचान का अगर कोई ब्रांड एंबेस्डर है तो वह है देश का लोकतंत्र। ये अपने आप में विचित्र और गलत अवधारण है। रवीश के लिए सही होगा लेकिन भारत कई बातों से जाना जाता है।
भारत अपनी संस्कृति, अपनी क्षमता, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री, सर्विस इंडस्ट्री और ऐसी ही तमाम बातों के लिए जाना जाता है। तो क्या अब वामपंथी पत्रिका तय करेगी कि भारत का लोकतंत्र कैसा है और वह कहाँ जा रहा है? वो मानदंड तय करेगी? और ये वही पत्रिका है, जिसने डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी कैंपेन के दौरान उनके खिलाफ वोट करने के लिए टाइम्स स्क्वायर पर होर्डिंग्स लगाए थे। वो वहाँ के लोगों और वोटरों को खुल्लम-खुल्ला प्रभावित कर रहे हैं।
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