Friday, May 17, 2024
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‘पतंजलि आयुर्वेद’ और ‘दिव्य फार्मेसी’ के इन 14 दवाओं के लाइसेंस रद्द: फिर से माफीनामे के बाद भी नाराज़ हुआ सुप्रीम कोर्ट, पूछा – अख़बार का पूरा पेज रिकॉर्ड पर क्यों नहीं रखा?

ये शिकायत हरिद्वार के चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराई गई है। 'ड्रग्स एन्ड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनेबल एडवर्टाइजमेंट्स)' एक्ट, 1954 के तहत ये कार्रवाई की जा रही है।

हरिद्वार स्थित ‘पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड’ और ‘दिव्य फार्मेसी’ के 14 उत्पादों का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस ‘उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी’ ने रद्द कर दिया है। संस्था ने बताया कि 15 फरवरी, 2024 को ये कार्रवाई की गई है। सोमवार (29 फरवरी, 2024) को दायर किए गए एक एफिडेविट में ये जानकारी दी गई है। ड्रग्स एन्ड कॉस्मेटिक रूल्स, 1954 के तहत त्वरित रूप से रद्द किए जाने की कार्रवाई की गई। 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध विज्ञापन के मामले में उत्तराखंड प्रशासन को फटकार लगाई थी।

अथॉरिटी ने ये भी बताया कि ‘पतंजलि आयुर्वेद’ के खिलाफ़ब आपराधिक शिकायत भी दर्ज कराई गई है। इसमें इसके प्रबंध निदेशक (MD) आचार्य बालकृष्ण और सह-संस्थापक स्वामी रामदेव के अलावा उनकी एक अन्य कंपनी ‘दिव्य फार्मेसी’ का भी नाम है। ये शिकायत हरिद्वार के चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराई गई है। ‘ड्रग्स एन्ड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनेबल एडवर्टाइजमेंट्स)’ एक्ट, 1954 के तहत ये कार्रवाई की जा रही है।

जिन उत्पादों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं, वो हैं – स्वसारी गोल्ड, स्वसारी वटी, ब्रोन्कोम, स्वसारी प्रवाही, स्वसारी अवलेह, मुक्त वटी एक्स्ट्रा पॉवर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रीत, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा वटी, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड और पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप। साथ ही एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट से उसके आदेश के पालन में जाने-अनजाने में हुई किसी भी लापरवाही के लिए बिना शर्त माफ़ी भी माँगी है। उक्त प्रोडक्ट्स का निर्माण तत्काल रोकते हुए नए फॉर्मूले की शीट सौंपने को भी कहा गया है।

SLA ने उत्तराखंड में स्थित सभी आयुर्वेदिक दवा कंपनियों की फैक्ट्रियों को निर्देश दिया है कि वो 1954 के ड्रग्स एन्ड रेमेडीज एक्ट का पालन करें, कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019, केबल टेलीविजन नेटवर्क एक्ट, 1995, और एम्ब्लेम्स एन्ड नेम्स एक्ट, 1950 का पालन करने को भी कहा है। किसी भी उत्पाद के लिए ‘आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाणित’ लेबल प्रयोग में नहीं लाया जाएगा। लेबलिंग में ड्रग्स एन्ड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1945 का पालन करना होगा।

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी पहुँचे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अब ‘पतंजलि’ द्वारा दायर माफीनामे पर तो संतोष जताया है, लेकिन अख़बार का पूरा पेज रिकॉर्ड में न रखने पर नाराज़गी व्यक्त की। साथ ही बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत पेशी से छूट दी है। वहीं IMA (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) द्वारा एलोपैथी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की आलोचना पर जजों ने कहा कि वो इसे सख्ती से देखेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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