Sunday, December 22, 2024
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गेम खेल रही थी नाबालिग, हो गया गैंगरेप: मेटावर्स की वर्चुअल दुनिया से पहली बार आया दरिंदगी का केस, लंदन पुलिस करेगी जाँच

वर्चुअल रियलिटी प्लेटफॉर्म मेटावर्स पर एक 16 साल की नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। इस वारदात के बाद से पीड़िता की हालत बेहद खराब है। इस वारदात के सामने आने के बाद से असली दुनिया में खलबली मच गई है और दुनिया की सबसे खतरनाक पुलिस फोर्स में से एक लंदन पुलिस ने इस वारदात की जाँच शुरू कर दी है।

वर्चुअल रियलिटी की दुनिया मेटावर्स पर 16 साल की एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। इस वारदात के बाद से पीड़िता की हालत बेहद खराब है। लंदन पुलिस ने इस वारदात की जाँच शुरू कर दी है। हालाँकि, जाँ के दौरान लंदन पुलिस के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं, क्योंकि ऐसे मामलों के लिए कानून ही नहीं है।

मेटावर्स में हुए यौन अपराध से जुड़ा ये पहला मामला है, जिसकी जाँच असली पुलिस कर रही है। डेली मेल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 16 साल की पीड़िता ने मेटावर्स पर आधारित फेसबुक के वर्चुअल रियलिटी में एक गेम खेल रही थी। उसने वर्चुअल हेडसेट पहना हुआ था। मेटावर्स में वो अपने वर्चुअल अवतार में थी, तभी कुछ लोगों ने उसका गैंगरेप कर दिया।

पुलिस ने बताया कि है कि लड़की को शारीरिक तौर पर तो कोई चोट नहीं आई है, क्योंकि ये वारदात वर्चुअल दुनिया में हुई, लेकिन वो मानसिक ट्रॉमा से जूझ रही है। ये ठीक वैसा ही है, जैसे एक वास्तविक गैंगरेप पीड़िता को मानसिक और भावनात्मक आघात से गुजरना पड़ता है। ऐसे मामलों में दूरगामी परिणाम होते हैं और इस तरह के हादसों से निपटना आसान नहीं होता।

लंदन पुलिस से जुड़े अधिकारियों ने बताया है कि इस मामले में एक ही समस्या है कि ऐसे अपराधों से निपटने के लिए अभी कोई कानून ही नहीं है। वर्तमान कानून में बलात्कार जैसे मामलों में शारीरिक-चिकित्सकीय पुष्टि जरूरी होती है। यौन हमला उसे ही माना जाता है, जिसमें बिना सहमति से यौन संबंध या संपर्क बनाए जाएँ। पुलिस पर इस बात को लेकर ये दबाव ये भी पड़ रहा है कि वो असली मामलों को छोड़कर वर्चुअल रियलिटी से जुड़े मामलों की जाँच में अपने संसाधन क्यों झोंक रही है?

इस मामले में गृह सचिव जेम्स क्लिवर्ली ने जाँच का समर्थन किया है। उन्होंने एक टीवी कार्यक्रम में कहा, “ये असल दुनिया में हुआ गैंगरेप नहीं है, इसलिए इसे खारिज कर देना आसान लगता है, लेकिन सच ये है कि एक बच्ची मानसिक आघात से गुजर रही है। इस केस का महत्वपूर्ण प्रभाव होगा। ऐसे में इस जाँच को रोकना सही नहीं है।”

ब्रिटेन के बाल संरक्षण एवं उनसे दुर्व्यवहार के मामलों की जाँच करने वाले समूह के अध्यक्ष इयान क्रिचली ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ हुई बैठक में क्लेवर्ली की बातों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मेटावर्स खूँखार यौन अपराधियों को बच्चों को शिकार बनाने के लिए एक प्रवेश द्वार उपलब्ध कराता है। ऐसा होने से रोकने के लिए नए कानूनों की भी जरूरत है।

बता दें कि मेटावर्स पर यौन अपराधों के कई मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे ही एक मामले में पिछले साल 21 साल की लड़की का रेप हुआ था। उस रेप को दूसरा यूजर देख रहा था और वो वोडका बाँट रहा था। उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे अपराधों पर रोकथाम के लिए नए कानून बनाए जाएँ।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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