सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 अप्रैल 2024) को कहा कि तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन खुद को मीडिया और समाचार चैनलों के समान नहीं बता सकते। साल 2023 के अंत में उदयनिधि ने सनातन को डेंगू-मलेरिया बताते हुए इसे खत्म करने की बात कही थी। इसको लेकर उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। उदयनिधि ने इन सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ने का आग्रह किया था।
सुप्रीम कोर्ट से उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों को क्लब करने का आग्रह करते हुए स्टालिन ने रिपब्लिक टीवी के एंकर अर्नब गोस्वामी और मोहम्मद जुबैर के मामलों का भी हवाला दिया। हालाँकि, जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि स्टालिन पत्रकार या मीडिया संस्थानों की स्थिति में होने का दावा नहीं कर सकते।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की, “आखिरकार, आपने स्वेच्छा से बयान दिया है। आपने जिन मामलों का हवाला दिया है, वे समाचार मीडिया के लोग थे जो टीआरपी पाने के लिए अपने मालिकों के आदेश के अनुसार काम कर रहे थे। आप अपनी तुलना मीडिया से नहीं कर सकते।” स्टालिन के खिलाफ उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में FIR दर्ज हैं।
सुप्रीम कोर्ट में स्टालिन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, पी विल्सन और चितले पेश हुए। वकीलों ने राजस्थान में दर्ज एफआईआर/समन को क्लब करने की सुप्रीम कोर्ट की शक्ति के संबंध में एक सबमिशन नोट दाखिल करने के लिए समय माँगा। इस मामले को 6 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, “सुशांत सिंह राजपूत मामले को सीबीआई में कैसे स्थानांतरित किया गया? मैं तब बॉम्बे में था और वहाँ मामले निरर्थक हो गए।” इसके बाद सिंघवी ने भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के मामले पर के बारे में बताया, जिनके खिलाफ कई राज्यों में एफआईआर की गई थी और बाद में उसे एक राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस पर सिंघवी ने कहा, “नूपुर शर्मा शुद्ध राजनीतिज्ञ हैं।”
न्यायालय ने सवाल किया कि उदयनिधि स्टालिन ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 406 (मामलों और अपीलों को स्थानांतरित करने की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति) को लागू करने के बजाय संविधान के अनुच्छेद 32 (मौलिक अधिकारों को लागू करने के उपाय) के तहत शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका क्यों दायर की थी। कोर्ट ने इसे CrPC की धारा 406 तहत लाने का आदेश दिया।
स्टालिन ने सितंबर 2023 में चेन्नई में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स आर्टिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में सनातन की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोनावायरस से की थी और इसे खत्म करने की अपील की थी। उनके भाषण के कुछ दिनों बाद उच्च न्यायालय के 14 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों सहित 262 व्यक्तियों ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर इस संज्ञान लेने का आग्रह किया था।