Saturday, November 16, 2024
Homeदेश-समाजशादीशुदा महिला ने 'यादव' बता गैर-मर्द से 5 साल तक बनाए शारीरिक संबंध, फिर...

शादीशुदा महिला ने ‘यादव’ बता गैर-मर्द से 5 साल तक बनाए शारीरिक संबंध, फिर SC/ST एक्ट और रेप का किया केस: हाई कोर्ट ने कहा – पुरुष हमेशा गलत नहीं, किया बरी

महिला ने साल 2019 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपित ने उससे शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन बाद में वो अपने वादे से मुकर गया।

यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में कानून महिलाओं की पक्ष लेता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हमेशा पुरुष ही गलत हो। यह बात इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कही, जिसमें महिला ने एक व्यक्ति पर शादी का झाँसा देकर सालों तक रेप करने का आरोप लगाया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों का आँकलन करना हमेशा बेहद महत्वपूर्ण होता है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस राहुल चतुर्वेदी और जस्टिस नंद प्रभा शुक्ला की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सबूत पेश करने की जिम्मेदारी सिर्फ आरोपित का ही नहीं है, बल्कि शिकायतकर्ता का भी है। हाई कोर्ट ने रेप के आरोपित को बरी करने के सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए ये टिप्पणी की।

हाई कोर्ट ने कहा, “इसमें कोई शक नहीं है अध्याय XVI के तहत यौन अपराधों में एक महिला/लड़की की गरिमा और सम्मान की रक्षा को प्रमुखता देते हुए कानून महिला केंद्रित हैं। ये जरूरी भी है, लेकिन परिस्थितियों का आँकलन भी जरूरी है। हर बार ये जरूरी नहीं कि पुरुष ही गलत हो।” इस मामले में महिला ने आरोपित के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में भी मामला दर्ज कराया था।

महिला ने साल 2019 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपित ने उससे शादी का वादा करके शारीरिक सम्बंध बनाए, लेकिन बाद में वो अपने वादे से मुकर गया। यही नहीं, उसने पीड़ित महिला की जाति को लेकर भी अपमानजनक बातें कही। इस मामले में आरोपित के खिलाफ 2020 में चार्जशीट दाखिल की गई थी। हालाँकि ट्रायल कोर्ट ने आरोपित को रेप के आरोपों से बरी कर दिया था और सिर्फ आईपीसी की धारा 323 के तहत दोषी ठहराया था। इसके बाद महिला हाई कोर्ट पहुँची थी।

इस मामले में आरोपित व्यक्ति ने हाई कोर्ट से बताया कि महिला के साथ उसके संबंध सहमति थे। महिला ने उससे खुद को ‘यादव’ जाति का बताया था, लेकिन उसकी जाति कुछ और थी, जिसके बाद उसने शादी से मना किया। कोर्ट ने रिकॉर्ड के आधार पर पाया कि महिला ने साल 2010 में शादी की थी, लेकिन 2 साल बाद ही वो अपने पति से अलग हो गई थी, हालाँकि दोनों का तलाक नहीं हुआ था।

ऐसे में कोर्ट ने अहम टिप्पणी की और कहा, “परिस्थितियों के मुताबिक, इस बात की संभावना कम है कि आरोपित ने महिला को शादी के झूठे वादे में फँसाया हो। दूसरी बात ये है कि महिला पहले से ही विवाहित थी और उसका विवाह अब भी कानून की नजर में मौजूद है। ऐसे में शादी का वादा करने का आरोप अपने आप खत्म हो जाता है।” हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। यही नहीं, कोर्ट ने कहा था कि समाज में किसी भी रिश्ते को स्थायित्व देने में दोनों पक्षों की जाति की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जबकि ये साफ है कि महिला ने अपनी जाति छिपाई थी।

कोर्ट ने कहा, “महिला पहले से शादीशुदा थी और पिछली शादी को खत्म किए बिना और बिना किसी आपत्ति के वो 5 साल तक आरोपित से संबंध बनाए रखती है। दोनों ने इलाहाबाद, लखनऊ के कई होटलों और लॉज में एक-दूसरे के साथ का आनंद लिया। ऐसे में ये तय करना मुश्किल है कि कौन किसे बेवकूफ बना रहा था। ऐसे में यौन उत्पीड़न या रेप का मामला सही नहीं लगता।” हाई कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत का फैसला सही था। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपित के खिलाफ ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिनके पति का हुआ निधन, उनको कहा – मुस्लिम से निकाह करो, धर्मांतरण के लिए प्रोफेसर ने ही दी रेप की धमकी: जामिया में...

'कॉल फॉर जस्टिस' की रिपोर्ट में भेदभाव से जुड़े इन 27 मामलों में कई घटनाएँ गैर मुस्लिमों के धर्मांतरण या धर्मांतरण के लिए डाले गए दबाव से ही जुड़े हैं।

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -