महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे, तो इंडी गठबंधन में शामिल पार्टियाँ (कॉन्ग्रेस, शिवसेना-यूबीटी, एनसीपी-शरद पवार) आगे निकल गई थी, लेकिन सवा महीने के अंदर हुए महाराष्ट्र के एमएलसी चुनाव में इस गठबंधन को जोरदार धक्का लगा है।
महाराष्ट्र में एमएलसी चुनाव के लिए 11 सीटों पर 12 उम्मीदवार खड़े थे। इसमें से बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति (बीजेपी, शिवसेना-शिंदे और एनसीपी-अजित पवार) के पास 8 उम्मीदवारों को जिताने की ताकत थी, लेकिन उसने 9 उम्मीदवार खड़े किए और सभी जीत गए, जबकि संख्या बल होने के बावजूद इंडी गठबंधन के 4 में से 3 ही उम्मीदवार जीत सके। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि कॉन्ग्रेस के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी।
ऐसा रहा एमएलसी चुनाव का हाल
गुरुवार (12 जुलाई, 2024) को आयोजित इन चुनावों में भाजपा महायुती ने 11 में से 9 सीटें हासिल की। उसने इन चुनावों के लिए 9 उम्मीदवार ही उतारे थे। इस प्रकार उसके सभी उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई। इन 9 में 5 पर भाजपा जबकि 2 पर NCP (अजित पवार) और 2 पर शिवसेना (शिंदे) को जीत हासिल हुई। दूसरी तरफ INDI गठबंधन की तरफ से कॉन्ग्रेस, शिवसेना UBT और PWP पार्टी ने अपना एक-एक उमीदवार उतारा था। इनमें से PWP के उम्मीदवार जयंत पाटील को शरद पवार की NCP का समर्थन हासिल था। वोटों की गिनती के बाद शिवसेना और कॉन्ग्रेस उम्मीदवार जीत हासिल कर सके जबकि जयंत पाटील को हार का मुंह देखना पड़ा।
महायुती में भाजपा की तरफ से पंकजा मुंडे, परिणय फुल्के, अमित गोरखे, योगेश तिलेखर और सदाभाव खोत ने जीत हासिल की। वहीं NCP (अजित पवार) के राजेश विटेकर और शिवाजीराव गरजे भी जीत हासिल करने में सफल रहे। इसके अलावा शिवसेना की भावना गवली और कृपाल तमाने ने भी जीत हासिल की। कॉन्ग्रेस की तरफ से प्रज्ञा साटव जबकि शिवसेना (UBT) की तरफ से मिलिंद नार्वेकर भी जीत गए। लेकिन शरद पवार के समर्थन से चुनाव लड़ रहे जयंत पाटील को हार मिली।
एमएलसी चुनाव में वोटों का ऐसा रहा गणित
महाराष्ट्र विधान परिषद की 11 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए कम से कम 23 विधायकों का वोट चाहिए था। महायुती की तरफ से उतारे गए उम्मीदवारों में से अधिकांश को 23 से अधिक वोट मिले। कुछ उम्मीदवारों को 26 तो कुछ को 24 वोट मिले। इस प्रकार उन्हें जीतने में कोई परेशानी नहीं हुई। वहीं दूसरी तरफ INDI गठबंधन के उम्मीदवारों को कुल मिलाकर 59 वोट मिले।
एमएलसी चुनाव में तीनों पार्टियों के पास इस चुनाव में 66 वोट थे, इस प्रकार इनका 7 वोट का नुकसान दिखा। इसी कारण से जयंत पाटील की हार भी हुई, वह 23 की जगह केवल 12 वोट पा सके। उन्हें इस गठबंधन ने इस उम्मीद में उतारा था कि अजित पवार की NCP के कुछ विधायकों का समर्थन मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इंडी गठबंधन के कथित चाणक्य शरद पवार की हार
खास बात ये है कि आखिरी समय में उद्धव ठाकरे ने अपने पीए-मिलिंद नार्वेकर को मैदान में उतारा और उन्हें जिता भी लिया, लेकिन जिस जयंत पाटील के पक्ष में महाराष्ट्र की राजनीति के कथित चाणक्य और गठबंधन के अगुवा शरद पवार खुद खड़े थे, उन्हें ही हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में मान सकते हैं कि क्रॉस वोटिंग करने वाली कॉन्ग्रेस में तो गड़बड़ दिख ही रही है, लेकिन एमएलसी चुनाव में हार हुई है सीधे-सीधे शरद पवार की।
दरअसल, शरद पवार का खेमा दावा कर रहा था कि उसके पक्ष में एनसीपी-अजित पवार गुट के भी विधायक हैं। लेकिन अजित गुट के तो छोड़िए, खुद एमवीए के अपने सहयोगी यानी कॉन्ग्रेस के ही वोट शरद पवार के समर्थन वाले जयंत पाटील को नहीं मिले।
खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस बात पर मुहर लगाई कि इंडी गठबंधन के विधायकों ने उनके प्रत्याशी के लिए वोट किया। ऐसे में साफ दिख रहा है कि जिस इंडी गठबंधन को लोकसभा चुनाव में सफलता मिली थी, वो एमएलसी चुनाव आते-आते तक महज सवा महीनों में ही बिखर गया है।
…तो फिर बिखर जाएगा इंडी गठबंधन?
अगले 2-3 माह बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। कॉन्ग्रेस के जिन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, माना जा रहा है कि उन्हें अब कॉन्ग्रेस से कोई मौका नहीं मिलने वाला। वो शिंदे या अजित पवार के गुट में जाएँगे, अगर सीधे बीजेपी में नहीं आ सके तो, इससे फायदा तो महायुती गठबंधन यानी एनडीए का ही होना है। वहीं, इस चुनाव से पहले जहाँ शिंदे गुट और अजित पवार गुट में सेंध लगाने के दावे किए जा रहे थे, उसकी भी सच्चाई सामने आ चुकी है।
एमएलसी चुनावों के नतीजे साफ बताते हैं कि इस चुनाव में बीजेपी गठबंधन को फायदा ही फायदा हुआ है, तो इंडी गठबंधन को नुकसान ही नुकसान। ऐसे में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इंडी गठबंधन कैसे खुद को एकजुट रख पाएगा, अभी तो यही सवाल खड़ा हो गया है।