थूक-मूत्र के डर से हम बनाते हैं अपना खुद का भोजन
गाजियाबाद के हिंडन विहार में स्थित हनुमान मंदिर के महंत मछेन्द्र पुरी ने इस मामले में ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रशासन का कई बार धन्यवाद किया और कहा कि असली पहचान बताने वाले आदेश से समाज में एक सकारात्मक जागरूकता फैल गई है। मछेन्द्र पुरी का दावा है कि वो कम से कम 8 बार हरिद्वार से काँवड़ ला चुके हैं। हमें बताया गया कि पहली कांवड़ में ही उन्होंने भांप लिया था कि रास्ते में कई मुस्लिम नाम बदल कर हिन्दुओं के प्रतीकों पर व्यापार कर रहे हैं।
महंत मछेन्द्र पुरी ने हमें आगे बताया कि उन्होंने रास्ते में कई बार महसूस किया कि नाम बदले ढाबे वाले मुस्लिम काँवड़ियों के भोजन को गंदे ढंग से अपवित्र कर रहे हैं। अब मच्छेंद्र पुरी अपने सैकड़ों अनुयायियों के साथ काँवड़ लेने जाते हैं। इस दौरान वो भोजन आदि बनाने के लिए अपना खुद का कारीगर साथ लेकर चलते हैं। मछेन्द्र पुरी ने आरोप लगाया कि रास्ते में कई नाम बदले लोग धर्म भ्रष्ट करने की फिराक में है जिनसे बचने का एकमात्र तरीका उनको यही लगा। मछेन्द्र पुरी के साथ न सिर्फ काँवड़ यात्री और कारीगर चलते हैं बल्कि खाना बनाने का पर्याप्त रसद भी उनके साथ ही रहता है।
कई बार तो भूखे ही चलना पड़ता है
मेरठ और मुज़फ्फरनगर के बीच में हमें काँवड़ यात्री अभिषेक गुप्ता मिले। अभिषेक ने हमें बताया कि वो काँवड़ यात्रा मार्ग पर असली नाम लिखने के प्रशासनिक आदेश से काफी खुश हैं। उनको उम्मीद है कि अंत में सुप्रीम कोर्ट से भी ऐसा ही आदेश आएगा। अभिषेक ने बताया कि पहले लाई गई काँवड़ों में उन्होंने कई दुकानों के बोर्ड पर नाम तो हिन्दुओं के देखे लेकिन हावभाव से लग गया कि वो उसके मालिक असल में मुस्लिम हैं।
खाने में मिल चुकी है कटी उंगली
काँवड़िया अभिषेक का दावा है कि तब उनको ये समस्या होती थी कि कौन असली और कौन नकली? इसी समस्या के चलते उनका दावा है कि वो कई बार भूखे से लम्बे समय तक चलते रहे थे। अभिषेक ने कुछ साल पहले की एक घटना का जिक्र भी किया जिसमें उनको बुलंदशहर के पास एक ढाबे में खाने के दौरान इंसान की कटी हुई ऊँगली मिली थी। हालाँकि तब उन्होंने इस मामले को तूल देना उचित नहीं समझा था।
हमें बाहर किसी ढाबे पर पर भरोसा नहीं
ऑपइंडिया ने मुज़फ्फरनगर के पास काँवड़ियों के एक जत्थे को रोक कर उनसे बातचीत की। इस जत्थे में विनोद सैनी, हैरी राजपूत, भोला और मनोज कुमार सिंह थे। इन सभी ने कहा कि नाम में डुप्लीकेसी से वो इतने परेशान हैं कि खाना अपना खुद का बना कर ही खाते हैं। सभी काँवड़ियों के खुद को आधे दर्जन काँवड़ में शामिल बताते हुए दावा किया कि रास्ते में कई दुकानें ऐसी हैं जिनके मालिक मुस्लिम हैं पर बोर्ड पर नाम हिन्दुओं के हैं। इन सभी ने सामूहिक रूप से कहा कि वो खुद भी कई ऐसी घटनाओं को देख चुके हैं जिसमें मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं को दिए जा रहे खाने-पीने के सामानों को अपवित्र किया जा रहा है।
काँवड़ियों की सुविधा के लिए भगवान वराह के चित्र
असली नाम लिखने का आंदोलन शुरू करने वाले मुज़फ्फरनगर के स्वामी यशवीर भारती ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने दावा किया कि एक ही नहीं बल्कि ऐसे होटल ढाबों की तादाद सैंकड़ों में है जो मुस्लिम हो कर हिन्दू नाम से कारोबार कर रहे हैं। उनका दावा है कि इन होटल और ढाबों पर थूक, मूत्र और माँसाहार के जरिए आए दिन ऐसी हरकतें की जाती हैं जो हिन्दुओं का धर्म भ्रष्ट करने की साजिश जैसी होती है। यशवीर भारती ने हमें बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिन्दुओं को सनातनी दुकान की पहचान के लिए उन्होंने अपने अभियान को नया मोड़ दिया है।
अब स्वामी यशवीर और उनके अनुयायी मुज़फ्फरनगर और आसपास के जिलों में ढाबों पर भगवान वराह का चित्र लगवा रहे है। भगवान वराह को विष्णु के अवतारों में से एक माना जाता है जिसमें उनका आधा शरीर वराह (सूअर) का नजर आता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह रूप उन्होंने तब धारण किया था जब हिरण्याक्ष नाम के राक्षस ने धरती को किसी जगह पर डुबोने का प्रयास किया था। स्वामी यशवीर का दावा है कि हिन्दू दुकान मालिक भगवान वराह के चित्र ख़ुशी-ख़ुशी अपनी दुकानों पर लगवा रहे हैं।