Thursday, October 10, 2024
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दशहरे में जहाँ भगवान राम की जीत का उत्सव मना रहे करोड़ों हिंदू, वहीं Al Jazeera छाप रहा ‘विवादित मंदिर’

अल जजीरा ने इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान को लेकर भारत के अलग-अलग हिस्सों में मुस्लिमों द्वारा की गई हत्याओं की कभी आलोचना नहीं की। शायद यह कतर की इस्लामी विचारधारा एवं उसकी कट्टरपंथी नीतियों के अनुरूप शरिया कानून के तहत जायज था। यही अल जजीरा का दोगलापन है।

दुनिया भर में इस्लामी प्रोपेगेंडा चलाने वाले क़तर के सरकारी फंड से चलने वाला आतंकवादी समर्थक मीडिया नेटवर्क अल जजीरा भारत और हिंदुओं को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ता है। इसके लिए चाहे मीडिया की संपादकीय नीतियों की तिलांजलि ही क्यों ना देनी पड़े। भारत में अभी त्योहारों का मौसम है। ऐसे में उसने नौ महीने पहले लिखे गए एक व्यंग्यात्मक लेख को आधार बनाकर भारत और हिंदुओं को निशाना बनाने की कोशिश की है।

दरअसल, इस साल जनवरी में अंग्रेजी व्यंग्यात्मक लेख पर आधारित अमेरिका पर अंग्रेजी वेबसाइट The Onion पर आधारित एक मलयालम में ‘द सावला वड़ा’ (The Savala Vada) का सोशल मीडिया हैंडल 2023 में बनाया गया था। इस हैंडल को केरल के दो अल्पसंख्यक समुदाय के लड़के चलाते थे, जिस पर राष्ट्रवादी सरकार की नीतियों की आलोचना की जाती थी।

जनवरी में सावला वड़ा हैंडल ने अयोध्या के रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर एक व्यंग्य पोस्ट किया था। इसका कैप्शन था, ‘राम मंदिर के नीचे भारतीय संविधान के अवशेष: एएसआई सर्वेक्षण’। इस हैंडल ने भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय और एक सरकारी विभाग ASI का मजाक उड़ाया था। आगे भी यह हैंडल समय-समय पर हिंदुओं और यहूदी तथा भारत एवं इजरायल का मजाक उड़ाता रहा।

हालाँकि, सबसे महत्वपूर्ण बात अल जजीरा द्वारा 9 माह पुराने इस कंटेंट पर स्टोरी करना है। यह कंटेंट अयोध्या में राम मंदिर पर आधारित था। इस समय देश और दुनिया भर के हिंदू नवरात्रि का पर्व मना रहे हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि के अंतिम दिन यानी दशहरा को भगवान राम ने अत्याचारी रावण का वध किया था। ऐसे में अल जजीरा ने उस हैंडल के बहाने हिंदुओं और पर्व एवं त्योहार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है।

अल जजीरा ने अपने लेख में अयोध्या के मंदिर को ‘विवादित मंदिर’ बताकर भारत की धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को एक तरह से खारिज कर दिया है, क्योंकि राम मंदिर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बना है। द सावाल वड़ा का सहारा लेकर अल जजीरा ने अपने लेख में लिखा, “हिंदू राष्ट्रवादी नेता (पीएम मोदी) पर 16वीं शताब्दी की मस्जिद के खंडहर पर बने मंदिर में धार्मिक समारोह का नेतृत्व करके भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान को कथित रूप से कमजोर करने का आरोप लगाया गया था।”

एक इस्लामी मुल्क, जहाँ गैर-मुस्लिमों को अपने हिसाब से धर्म एवं दिनचर्या का पालन करने का अधिकार नहीं है… जहाँ बादशाह के नाम पर इस्लामी तानाशाही चलती है, उस मुल्क का एक मीडिया हाउस भारत की धर्मनिरपेक्षता एवं संविधान की बात अपने लेख में कर रहा है। यह हास्यास्पद एवं वैचारिक दोगलापन के अलावा कुछ नहीं है।

अल जजीरा ने एक सरकारी संस्था ASI को, जिसने अयोध्या मामले में कोर्ट के समक्ष सारे तथ्य रखे, उस पर सवाल उठा रहा है। उसने लिखा है कि सरकार संचालित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने हिंदू समूहों के दावे का समर्थन किया। अल जजीरा जैसे कट्टरपंथी सोच वाले मीडिया में बैठे लोग इस बात अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि लोकतंत्र एवं स्वायत्तता क्या होती है।

द सावला वड़ा हैंडल चलाने वाले अल्पसंख्यक के हवाले से अल जजीरा ने लिखा कि ‘जे’ नाम का यह लड़का कभी सामने नहीं आया, क्योंकि दक्षिणपंथियों द्वारा उसकी हत्या कर दिए जाने का खतरा था। अल जजीरा का यह भी एक बड़ा प्रोपगेंडा है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, जहाँ विमर्श की प्राचीन परंपरा रही है, वहाँ कुरान में लिखी बातों को सार्वजनिक रूप से कह देने वाले व्यक्ति का समर्थन करने पर किसी की गला काट दी जाती है, वहाँ वह एक अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति को डरा हुआ बताकर नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहा है।

इसी अल जजीरा ने इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान को लेकर भारत के अलग-अलग हिस्सों में मुस्लिमों द्वारा की गई हत्याओं की कभी आलोचना नहीं की। शायद यह कतर की इस्लामी विचारधारा एवं उसकी कट्टरपंथी नीतियों के अनुरूप शरिया कानून के तहत जायज था। यही अल जजीरा का दोगलापन है। अल जजीरा ने तो यहाँ तक लिख दिया कि उस हैंडल कोे चलाने वाले अनाम लड़के ने यह भी उससे कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को असहमति व्यक्त करना कठिन है।

जिस तरह से 9 महीने पुराने कंटेंट पर अल जजीरा ने हिंदुओं के त्योहार के दौरान भगवान राम और अयोध्या मंदिर के साथ-साथ सरकार एवं यहाँ की निष्पक्ष न्यायपालिका पर सोच पर सवाल खड़े करने की कोशिश की है, वह उसकी सोच में कट्टरता को दर्शाती है। अल जजीरा फिलिस्तीन में आतंकी संगठन हमास का खुलकर समर्थन करता है। यहाँ तक कि उसका एक पत्रकार पार्ट टाइम आतंकी के रूप में काम करते हुए हाल में मारा गया है।

ऐसे में अल जजीरा की विश्वसनीयता इस्लामी मुल्क के बाहर संदिग्ध है। यह संगठन कतर के आमिर द्वारा फंडेंड है, जो दुनिया भर में आतंकियों के समर्थन में माहौल बनाता है और आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने वालों को ही खलनायक बनाने की कोशिश करता है। समय-समय पर वह गैर-मुस्लिमों का मजाक उड़ाने से भी बाज नहीं आता है, जो कि उसके इस लेख से साफ झलकता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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