इतिहास के साथ रोज छेड़छाड़ करते हुए हिन्दू प्रथाओं और राजा महाराजों को बदनाम करने वाली कथित इतिहासकार रुचिका शर्मा इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गई। रोज हिन्दुओं को गालियाँ देने वाली रुचिका शर्मा ने एक बार इस्लाम और हिजाब को लेकर हाल ही में लिखा और फिर उसे हफ़्तों तक मुस्लिमों और ‘लिबरल’ समुदाय से गालियाँ और ट्रोलिंग झेलनी पड़ गई।
रुचिका शर्मा को इसके बाद पता चल गया कि हिन्दुओं के अलावा बाकी समुदाय सहिष्णु नहीं हैं और उसने अब उन पर ना बोलने की कसम खा ली है। रुचिका शर्मा का रोना सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहा। हिन्दुओं और हिन्दू इतिहास के खिलाफ लिखे गए उसके सभी लेख और वीडियो को धड़ाधड़ शेयर करने वाले ‘लिबरल’ भी इस बार उसके बचाव में नहीं आए।
उलटे कुछ उस पर ही हमलावर हो गए। इस्लामी कट्टरपंथियों और लिबरलों से अच्छी खासी बेइज्जती पाकर रुचिका शर्मा ने समाचार वेबसाइट द प्रिंट से कहा, “मेरे साथ जो हुआ, वह बहुत कुछ बताता है। धमकियों के बाद बाद मुझे डर लग रहा है। अगली बार, मैं हिंदू धर्म के अलावा शायद किसी और मजहब पर चर्चा करने से पहले दो बार सोचूँगी।”
क्या था पूरा मामला?
यह पूरा मामला 3 नवंबर, 2024 को चालू हुआ जब रुचिका शर्मा ने इस्लामी देशों में जबरदस्ती हिजाब पहनाए जाने को लेकर बात रखी। शर्मा ने ईरानी-अमेरिकी पत्रकार मसीह अलीनेजाद का एक ट्वीट कोट करते हुए उस ईरानी छात्रा की तारीफ की जिसने हिजाब के विरोध में अपने सारे कपड़े उतार दिए थे।
रुचिका शर्मा ने लिखा, “मुझे इस महिला परगर्व है। यह आपको रोज़ाना याद दिलाता है कि हिजाब उत्पीड़न का प्रतीक है। इसकी शुरुआत महिलाओं के विरोध से हुई है और अबइसे कई महिलाओं पर अत्याचार करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।”
इसके बाद रुचिका शर्मा ने अपने एक पुराने लेख का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने हिजाब की दमनकारी प्रकृति और इसकी उत्पत्ति के बारे में लिखा था। रुचिका शर्मा ने कुछ लोगों से बहस की और बताया कि कैसे हिजाब दमनकारी है और कई तर्क दिए।
हिजाब पर बोलते ही रुचिका शर्मा ने अपने लिए समस्याओं का पहाड़ खड़ा कर लिया। इसके बाद इस्लामी कट्टरपंथी और कथित तौर अपने आप को ‘प्रोग्रेसिव’ बताने वाले मुसलमान पिल पड़े। हिजाब और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर बात करने के लिए शर्मा को 10 दिनों तक तक बेरहमी से ट्रोल किया गया और धमकियाँ दी गईं।
Decency, shamelessness tera invisible burger in the sky decide nahin karega. Baith ja, chhote. Every woman can decide her morality for herself. The illusion here is wearing hijab somehow protects you, makes you better in the eyes of some invisible burger in the sky.
— Dr. Ruchika Sharma (@tishasaroyan) November 8, 2024
रुचिका शर्मा को हिजाब वाले मसले में ईशनिंदा तक का आरोपित बता दिया गया। यह तब हुआ जब उसने एक कमेंट में ईश्वर को ‘आकाश में रहने वाला अदृश्य बर्गर’ बताया। यहाँ तक कि फिल्म लेख और इस्लामी कट्टरपंथी दारेब फारुकी ने उसे निशाने पर ले लिया।
Please tone down the saviour complex; neither Muslims, Hindus, nor atheists need it.
— Darab Farooqui (@darab_farooqui) November 10, 2024
I've read all of your so-called Op-Eds, which are, at most, extremely mild and balmy hot air, sirocco. You are no Ambedkar, and there are plenty of ex-Muslims throughout the world who rip… https://t.co/Y2GHUwwSSI pic.twitter.com/lL6hPPiLPi
कई लोगों ने ट्विटर पर रुचिका शर्मा के खिलाफ अभियान चलाया और गिरफ्तार करने तक की माँग की। रुचिका के खिलाफ भद्दी टिप्पणियाँ की गईं। इन सब के बीच वह कोई लिबरल और कथित ‘बुद्धिजीवी’ रुचिका के बचाव में नहीं आए जो हिन्दुओं पर लिखे गए उसके उल्टे-सीधे लेख को नाचते गाते हुए साझा किया करते थे।
Non hijab means vaishyavriti, próstîtutîon. Yeh log mujhe arrest karayengey 😂 https://t.co/7wWxOHLJXi
— Dr. Ruchika Sharma (@tishasaroyan) November 8, 2024
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस बार रुचिका की आलोचना करने वाले बहुसंख्यक हिन्दू नहीं थे। इस बार रुचिका इस्लामी कट्टरपन्थियों के हत्थे चढ़ गई थीं। इतिहास गवाह है ऐसे मामले कट्टरपन्थियों ने मात्र एक पोस्ट के कारण दरजी कन्हैया लाल जैसे व्यक्तियों की हत्या तक की है।
सच्चाई का पता चला तो प्रिंट से रोई रुचिका शर्मा
रुचिका शर्मा को इसके बाद उस सच्चाई का पता चल गया तो हमेशा भारत के वामपंथी और लिबरल रेत के भीतर दबाने की कोशिश करते हैं। यह सत्य है कि यदि आप हिन्दुओं के खिलाफ बोलेंगे तो सारे आपके समर्थन में खड़े होंगे, यहाँ तक कि कोर्ट कचहरी की लड़ाई भी लड़ लेंगे।
लेकिन जैसे ही आप इस्लाम के किसी आयाम की आलोचना करेंगे तो आप अपने आप को अकेला पाएँगे। अपनी सुविधानुसार लिबरल जमात उसे दूसरे धर्म का मसला बता कर निकल लेगी। इस मामले में मुस्लिम लिबरल तुंरत कट्टरपंथी बन जाएँगे और आपको लताड़ा जाएगा। इस सत्य का ज्ञान होने के बाद रुचिका शर्मा ने इस जमात की शिकायत द प्रिंट वेबसाईट में की।
I spoke to @SagrikaKissu at @ThePrintIndia about my harrowing ordeal for the past few days, the hijab and the now famous "invisible burger in the sky" comment! https://t.co/vvQJmhiCsN
— Dr. Ruchika Sharma (@tishasaroyan) November 12, 2024
उसने कहा, “हिजाब के खिलाफ बोलने के बाद से मेरा यह सबसे बड़ा अकेलापन का दौर है। जेएनयू के मेरे कई बुद्धिजीवी जो मेरे साथी थे, किसी ने भी मेरे समर्थन में कुछ नहीं कहा।” रुचिका ने बताया कि जब उसने 2023 में सती प्रथा पर वीडियो बनाया था, तब यही सब दौड़ दौड़ कर उसकी प्रशंसा कर रहे थे।
इस्लाम पर बोलने के खतरों और हिन्दुओं की सहनशीलता को देखने के बाद रुचिका शर्मा ने ठान लिया है वह अब बाकी मजहबों को लेकर नहीं बोलेगी। उसने प्रिंट से साफ़ तौर पर कहा कि हिन्दू धर्म के अलावा अब वह किसी मजहब पर बोलने के पहले दो बार सोचेगी।
कौन है रुचिका शर्मा?
वैसे तो ये बताना कठिन है लेकिन ऐसे समझिए कि रुचिका अपने आप को इतिहासकार बताती है। उसका कहना है कि वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़ी हुई है और इतिहास को बोरिंग नहीं बल्कि मजेदार तरीके से बताती है। वह यूट्यूब पर इतिहास के पाठ पढ़ाने का दावा करती रहती है, इस बीच मेकअप भी करती है।
मेकअप करने के साथ किए इस मजाक को रुचिका शर्मा इतिहास पढ़ाना बताती है। वह अपने निजी विचार इतिहास के तौर पर लोगों को समझाती है। आमतौर पर देश के बाकी लिबरलों की तरह उसके निशाने पर हिन्दू धर्म, उनके रीति रिवाज और हिन्दू राजा महाराजा होते हैं। वह भी इस्लामी आक्रान्ताओं, जैसे कि औरंगजेब आदि पक्षधर है।
हिन्दुओं के खिलाफ सालों से लिख रही रुचिका शर्मा
रुचिका शर्मा के एक लेख को स्क्रॉल ने झूठे दावे पेश करने के चलते हटा दिया था। 2017 में लिखे गए इस लेख में रुचिका शर्मा ने दावा किया था कि रानी पद्मावती को राजपूत राजकुमार ने बलि चढ़ाया था, न कि इस्लामी आक्रांता अला-उद-दीन खिलजी ने। लेख को बाद में हटा दिया गया क्योंकि इसमें इतिहास के बारे में गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए थे।
रुचिका शर्मा मुगल शासकों औरंगजेब और टीपू सुल्तान की भी प्रबल समर्थक है और यहाँ तक कि अपने ट्वीट और अपनी विचारधारा में उनकी बड़ाई करती है। गौरतलब यह है कि वामपंथियों और लिबरलों के मनगढ़ंत दावों को छोड़कर इस इस्लामी आक्रांताओं के कामों पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।
रुचिका शर्मा यह तक दावा करती हैं कि सोमनाथ मंदिर पहले एक बौद्ध हॉल हुआ करता था। कहीं वह दावा करती है कि चाणक्य असली नहीं थे। इसके अलावा वह सती प्रथा को लेकर भी काफी दावे करती रही है। हालाँकि तब रुचिका को कोई डर नहीं लगा लेकिन अब सच्चाई से उसका सामना हो गया है।