1993 में उत्तर प्रदेश के देवबंद में पुलिस पर ग्रेनेड अटैक हुआ। कुछ महीनों बाद इस मामले में एक आतंकी की गिरफ्तारी हुई। 1994 में इस आतंकी को जमानत भी मिल गई। इसके बाद 17 नवंबर 2024 को श्रीनगर से जब यह आतंकी फिर पकड़ा गया तो पता चला कि नाम, वेशभूषा और जगह बदलकर वह करीब 30 साल से सबको चकमा दे रहा था।
यह कहानी है आतंकी नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल की। फरारी के दौरान ही उसने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव भी लड़ लिया। आम आदमी पार्टी (AAP) की स्टार प्रचारकों की सूची में भी शामिल हो गया। एक रिपोर्ट की माने तो हाल ही में संपन्न हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में वह आप का उम्मीदवार बनते-बनते रह गया था।
नजीर अहमद ने लगातार बदले नाम
ऑपइंडिया की पड़ताल में सामने आया है कि नजीर अहमद वानी लगातार अपना नाम बदलता रहा है। देवबंद में दर्ज मुकदमे में उसका नाम नजीर अहमद है। लेकिन वह सहारनपुर में मुश्ताक अहमद के नाम से रहता था। ग्रेनेड अटैक उसने फरारी मुस्तफा नाम से काटी थी। इसी मामले में जमानत मिलते ही वह कश्मीर वापस लौट गया। फिर अपना नाम जावेद इकबाल वानी रख लिया।
नाम के साथ उसने अपने पते भी बदले। पहले नजीर अहमद का पता जम्मू-कश्मीर के बड़गाम जिले में पड़ने वाले इंजक शरीफाबाद हुआ करता था। यह पता पारिमपुरा थाना क्षेत्र में पड़ता है। जमानत के बाद कश्मीर लौट कर वह बड़गाम जिले के ही सोईबुध कस्बे के पास गाँव हाकर मुल्ला में रहने लगा। पुलिस सूत्र बताते हैं कि जिस थाना क्षेत्र का नजीर अहमद वानी निवासी है, वहाँ से लगभग 50 एक्टिव आतंकी अलग-अलग समय में निकल चुके हैं।
देवबंद अटैक में जमानत के बाद निकाह
देवबंद में UP पुलिस पर ग्रेनेड अटैक के समय नजीर अहमद की उम्र 20 वर्ष थी। वह अविवाहित था। जमानत के बाद कश्मीर लौटते ही उसने सबरीना नाजिर से निकाह कर लिया। उसके 3 बच्चे हैं। इनके नाम मकीत, सादात और सुगरा हैं। साल 2019 में उसने वैगन आर कार खरीदी थी। सरकारी दस्तावेजों में वह खुद को और अपनी बीवी को कारोबारी बताता था।
उमर अब्दुल्ला के खिलाफ लड़ा चुनाव
नजीर अहमद वानी ने 2024 का जम्मू कश्मीर का विधानसभा चुनाव भी लड़ा है। उसने बड़गाम सीट से उमर अब्दुल्ला के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया था। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार उसे विधानसभा चुनाव में केवल 1583 वोट मिले थे। इसी सीट पर NOTA को 1757 वोट मिले हैं। इससे पहले उसने नगर पालिका का भी चुनाव लड़ा था। लेकिन इसमें भी उसे हार मिली थी।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उसने AAP से विधानसभा चुनाव के लिए टिकट माँगा था। लेकिन अंतिम समय में पार्टी को उसके आतंकवादी होने का पता चल गया, जिसके कारण टिकट नहीं मिला। इस दावे की पुष्टि के लिए हमने आप की जम्मू-कश्मीर ईकाई के नेताओं से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन उनका पक्ष नहीं मिल सका।
इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि नजीर ने साल 1989 से 1991 के बीच पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) और अफगानिस्तान में आतंकवाद की ट्रेनिंग ली थी। ट्रेनिंग पूरा होने के बाद वह 1991 में देवबंद आया और पहचान छिपाकर रहने लगा। इस दौरान उसने टोपी बेचने का धंधा भी किया।
चुनावी हलफनामे में नहीं दी देवबंद अटैक की जानकारी
विधानसभा चुनाव के लिए नजीर अहमद ने जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें देवबंद के ग्रेनेड अटैक को लेकर जानकारी नहीं दी है। केवल एक केस का जिक्र किया है जो उसके खिलाफ जनवरी 2023 में बड़गाम जिले में दर्ज हुआ था। केस में IPC की धारा 341 और 506 के तहत कार्रवाई की गई थी।
बताते चलें कि साल 1993 में नजीर अहमद वानी पर पुलिसकर्मियों सहित आम नागरिकों पर ग्रेनेड फेंकने की घटना पर IPC की धारा 307 व विस्फोटक अधिनियम के तहत दर्ज हुआ था। 1994 में उसकी गिरफ्तारी के बाद उस पर फर्जी दस्तावेज प्रयोग करने के अपराध में IPC की धारा 467, 468 व 471 के तहत एक और FIR दर्ज हुई थी। इन दोनों मुकदमों में नजीर अहमद करीब 30 वर्षों से पेश नहीं हो रहा था।
दैनिक जागरण ने बड़गाम के जिला एसएसपी निखिल बोरकार के हवाले से बताया है कि नजीर अहमद के खिलाफ कश्मीर के किसी हिस्से में कोई आतंकी मामला दर्ज नहीं है। उसके खिलाफ एक आपराधिक मामला है।
AAP ने बनाया स्टार प्रचारक
नजीर अहमद फेसबुक पर वानी जावेद इकबाल के नाम से सक्रिय है। इस प्रोफाइल को खंगालने पर आम आदमी पार्टी से उसके जुड़ाव की पुष्टि होती है। आप के दिल्ली मुख्यालय से जारी एक आधिकारिक पत्र में उसका नाम कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए शीर्ष 40 स्टार प्रचारकों की सूची में दर्ज है। यह पत्र 24 अगस्त 2024 को आप के नोडल पर्सन बिपुल डे ने जारी किया था। इसमें 38वें नंबर पर जावेद इकबाल नाम का जिक्र है।
पत्र की प्रतियाँ नई दिल्ली और जम्मू कश्मीर चुनाव आयोग को भी प्रेषित की गई थी। नजीर ने इसे फेसबुक पर शेयर करते हुए पार्टी को धन्यवाद भी दिया है। इस पत्र और जावेद इकबाल की पहचान सुनिश्चित करने के लिए भी हमने AAP की जम्मू-कश्मीर ईकाई से संपर्क करने के कई प्रयास किए हैं। उनका पक्ष आने पर हम इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे।
नजीर अहमद के खिलाफ 20 मई 2024 को सहारनपुर की एक अदालत ने स्थायी वारंट जारी किया। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। 17 नवंबर 2024 को यूपी एटीएस ने उसे श्रीनगर से दबोच लिया। एक रिपोर्ट में सहारनपुर के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सागर जैन के हवाले से बताया गया है कि नजीर अपनी पहचान बदलकर इतने समय तक बचता रहा था।