Sunday, December 22, 2024
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फिर से वही जामिया, फिर से वही दिसंबर, फिर से वही ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ के नारे… देश को फूँकने की वामपंथियों-कट्टरपंथियों की वह साजिश न भूले हैं, न भूलेंगे, न भूलने देंगे

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि मुस्लिम भीड़ जब-जब सड़कों पर उतरी है तो उस भीड़ ने कैसे नारे लगाए और कैसी प्रदर्शनों को अंजाम दिया है। हालिया मामलों से याद दिलाएँ तो संभल की घटना याद कर लीजिए चाहे तो बाराबंकी की...आपको इस भीड़ का पैटर्न मालूम पड़ जाएगा।

जामिया मिलिया इस्लामिया में 16 दिसंबर 2024 को एक प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन में AISA, SFI और NSUI के सैंकड़ों छात्रों ने मिलकर “तेरा-मेरा क्या रिश्ता- ला इलाहा इल्ललाह” और “हम क्या माँगे आजादी” जैसे नारे जोर-जोर से लगाए।

इनका ऐसा करने के पीछे तर्क था कि ये लोग 2019 में यानी पाँच साल पहले CAA-एनआरसी विरोध प्रदर्शन में जो कुछ भी हुआ था वो उसे याद करने के लिए इकट्ठा हुए हैं।

इनके मुताबिक, 5 साल पहले प्रशासन ने इनपर अत्याचार किया था, दिल्ली पुलिस ने बेवजह परिसर में अपनी ताकत दिखाई थी, इनके साथियों की पिटाई हुई थी।

अपने इस प्रदर्शन को इन्होंने ‘जामिया रेजिस्टेंस डे’ का नाम दिया। हालाँकि ये लोग ये बताना भूल गए कि प्रदर्शन के समय जो ये आजादी-आजादी के नारे लगा रही थी इन्हें आजादी किससे चाहिए?

एक्स पर वामपंथियों और इस्लामियों के ट्वीट पढ़कर लगे कि शायद वाकई साल 2019 में इनपर अत्याचार हुआ था या प्रशासन ने इन्हें दबाने की कोशिश की थी, लेकिन हकीकत क्या है ये इससे एकदम अलग है

आइए एक बार याद करें 2019 में क्या हुआ…

9 दिसंबर 2019 वो तारीख है जब नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लोकसभा में पास हुआ था, इसके बाद 11 दिसंबर 2019 को CAA बना… एक तरफ जहाँ इस फैसले से वह पाकिस्तानी-बांग्लादेशी (जिन्हें कभी उनकी धार्मिक पहचान के कारण अपने मुल्कों में सताया गया था और अब भारत उन्हें अपने देश का नागरिक बनने का मौका दे रहा था) सब खुश थे। तो, वहीं दूसरी ओर भारत के इस्लामी कट्टरपंथी, उनके हितैषी वामपंथी पूरी तरह बिलबिला गए थे।

कानून में कोई गलती न ढूँढ पाने के कारण इन लोगों ने मिलकर एक नई साजिश रची… इस्लामी वर्ग को बरगलाने की। अफवाह फैलाई गई कि ये कानून इसलिए आया है ताकि भारत के मुसलमानों को देश से निकाल दिया जाए।

मुस्लिम वर्ग के छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक को समझाया गया कि मोदी सरकार पहले NRC के जरिए कागज माँगेगी, फिर जो कागज नहीं दिखा पाएँगे उसे देश से निकाला जाएगा। इस प्रक्रिया में CAA बाकी समुदाय के लोगों को तो बचा लेगा लेकिन मुस्लिम को छँटनी करके बाहर कर दिया जाएगा क्योंकि इस कानून में मुस्लिमों को देश का नागरिक बनाने की बात ही नहीं है।

इस तरह एक मनगढ़ंत बात को हर मुस्लिम के मन में भरा गया और साल 2019 की दिसंबर में जामिया मिलिया इस्लामिया से विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई।

13 दिसंबर 2019 से जामिया में इस्लामी-वामपंथी इकट्ठा हुए और 15 दिसंबर 2019 को जामिया नगर में बसों को आग के हवाले करने की घटना सामने आई। आग किसने लगाई? आज इस पर कोई बात नहीं करता, मगर आप सिर्फ कल्पना करिए कि यदि इस हरकत के बाद उस दिन बस में लगे सीएनजी सिलिंडर फट जाते तो उस इलाके का हाल क्या होता…

आग लगाने वालों ने बस में बस में बैठे न ड्राइवर का ख्याल किया और न ही यात्रियों का। आसपास मौजूद लोग बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर वहाँ से भागे। स्थिति हाथ से निकल रही थी, उपद्रवी हर सीमा लांघ रहे थे, तभी दिल्ली पुलिस एक्शन में आई और लाठीचार्ज कर अपनी कार्रवाई शुरू की। आँसू गैस तक छोड़े गए मगर हिंसा ने थमने का नाम नहीं लिया। बड़ी मशक्कत के बाद जब चीजें थमीं तो सोशल मीडिया पर उन वीडियोज ने हक्का-बक्का कर दिया जिसमें खुलेआम छात्रों की भीड़ इस्लामी नारे लगा रही थी

ये नारे ‘नारा-ए-तकबीर’ के नारे थे, ‘अल्लाहु-अकबर’ के नारे थे, ‘तेरा-मेरा क्या रिश्ता ला इलाहा इल्लाह’ के नारे थे और साथ ही साथ उसी आजादी के नारे थे जिसकी गूँज के बाद कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार हुआ।

इस घटना के बाद में दिल्ली में लगी आग थमी नहीं, शाहीन बाग के प्रदर्शन ने इसे और ज्यादा विस्तार दिया। और उस प्रदर्शन के बाद क्या हुआ ये याद करके भी रूह कांप जाए।

इतनी व्यापक स्तर पर हिंदू विरोधी हिंसा यूँ ही नहीं अंजाम दे दी गई थी, यूँ ही पुलिस कॉन्सटेबल रतनलाल की ड्यूटी पर हत्या नहीं हुई थी, यूँ ही गुलेल के जरिए हिंदुओं के घरों को पेट्रोल बम से निशाना नहीं बनाया गया था… इसके लिए शरजील इमाम जैसे कट्टरपंथियों ने बीज बोया था।

15 दिसंबर को शुरू हुए प्रदर्शन में पहले दिन से मुस्लिमों को भड़काने का काम अलग-अलग स्तर पर चल रहा था, कहीं पैंफलेट बाँटे जा रहे थे तो कहीं ऑनलाइन ऑडियो-वीडियो भेजकर भीड़ को उकसाया जा रहा था… इस हरकत का खुलकर पता तब चला जब 17 दिसंबर को शरजील इमाम की एक वीडियो वायरल हुई।

इस वीडियो में शरजील ने मुस्लिमों को भड़काते हुए दिल्ली में चक्का जाम करने की बात कही थी। उसने कहा था कि मुसलमान दिल्ली के 500 शहरों में चक्का जाम कर सकता है। इस भाषण के वायरल होने के बाद पुलिस शरजील को ढूँढने में जुट गई और दूसरी ओर इस्लामी, वामपंथी बुद्धिजीवी ये फैलाने में जुट गए कि शरजील तो मुस्लिमों को उनके अधिकार बता रहा था और पुलिस ने उसे आतंकी दिखा दिया।

अब ये बात किसी से छिपी नहीं है कि मुस्लिम भीड़ जब-जब सड़कों पर उतरी है तो उस भीड़ ने कैसे नारे लगाए और कैसी प्रदर्शनों को अंजाम दिया है। हालिया मामलों से याद दिलाएँ तो संभल की घटना याद कर लीजिए चाहे तो बाराबंकी की…आपको इस भीड़ का पैटर्न मालूम पड़ जाएगा।

साल 2019 में तो खुलेआम इस्लामी कट्टरपंथी और वामपंथी इस भीड़ को उकसा रहे थे और जब पुलिस इन्हें रोकने आगे बढ़ रहे थी तो ये ऐसा दिखाया जा रहा था जैसे पुलिस लोगों को बचाने नहीं लोगों को मारने आई है।

आज जिस जामिया में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन सामने आया है, उसी जामिया के मेंकभी भी दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों में मारे गए अंकित शर्मा को याद नहीं करते किसी को नहीं देखा गया जिन्हें इस्लामी भीड़ ने चाकुओं से गोद-गोदकर मार डाला था, कभी किसी को उत्तराखंड का दिलबर नेगी भी याद नहीं आया जो दिल्ली कमाने आया था और हाथ-पाँव काटकर उसे जलकर मरने के लिए छोड़ दिया गया

इन्हें याद आते हैं शरजील इमाम, सफूरा जरगर, उमर खालिद जैसे लोग…जिन्होंने सीएए-एनआरसी के बारे में सब कुछ पढ़ने समझने के बाद भी उन्हें अपने वर्ग के कम पढ़े लिखे लोगों तक गलत ढंग से पहुँचाकर भड़काया।

अजीब बात ये है कि दिल्ली पुलिस की जाँच भी बताती है कि जामिया की हिंसा एक सुनियोजित घटना थी, जहाँ दंगाइयों के पास पत्थर थे, लाठियाँ थी, पेट्रोल बम थे, ट्यूबलाइट थी। अगर ऐसा नहीं था तो सोचिए कि उन दंगाइयों को कैसे पता चला कि जामिया में ऐसा कुछ होने वाला है जहाँ पुलिस आँसू गोले चला सकती है, उन्होंने इस तरह की कार्रवाई से बचने के लिए अपने पास गीले कंबल तक रखे हुए थे…।

इन सारी घटनाओं को देख सुन पढ़ने के बाद इसमें कोई दोराय नहीं है कि 2019 की दिसंबर में शुरू हुई हिंसा हिंदुओं के खिलाफ की गई हिंसा थी। एक बार को उस दिसंबर को जामिया के ये ‘वामपंथी और इस्लामी’ भूल भी जाएँ, लेकिन दिल्ली वाले और खासकर दिल्ली के हिंदू कभी नहीं भूलेंगे। उस आग में उन्होंने अपने अपनों को जलते हुए देखा है

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