Wednesday, May 15, 2024
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अब एक नए मंदिर का मामला कोर्ट में पहुँचा, एक पक्ष ने कहा- यह अनंतकाल से मौजूद है

याचिका दाखिल करने वाले प्रोफ़ेसर का अतीत दागदार रहा है। उन्हें 2017 में एक प्रोफ़ेसर के साथ झगड़ा करने के कारण आईआईटी ने सस्पेंड कर दिया था। नवंबर 2018 में उन्हें दोबारा बहाल किया गया था।

राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुओं के पक्ष में फ़ैसला सुनाया। ये विवाद सैकड़ों वर्षों से चला आ रहा था। अब एक और मंदिर विवाद अदालत की चौखट पर जा पहुँचा है। असम के आईआईटी गुवाहाटी कैम्पस में भी यह मंदिर है। संस्थान और एक प्रोफेसर इस मामले में आमने-सामने खड़े हो गए हैं। अस्सिस्टेंट प्रोफेसर बृजेश राय ने दावा किया कि इस मंदिर को 4 वर्ष पूर्व ही बनाया गया था। आईआईटी गुवाहाटी का कहना है कि मंदिर अनन्तकाल से मौजूद है। मामला गुवाहाटी हाई कोर्ट पहुँच गया है।

राय ने एक पीआईएल दायर किया है, जिसपर हाई कोर्ट अगले कुछ दिनों में फ़ैसला सुनाएगा। असिस्टेंट प्रोफेसर ने आरोप लगाया है कि संस्थान की अनुमति लिए बिना इस मंदिर का निर्माण कर दिया गया। इसके बाद ये अफवाह फ़ैल गई कि राय को आईआईटी गुवाहाटी से निकाला जा सकता है। समर्थक छात्रों ने उनके पक्ष में कैंडल मार्च निकाला। राय ने अदालत में दायर किए गए पीआईएल में कहा है कि ये मंदिर 2015 तक सिर्फ़ एक चबूतरा था, जहाँ पीपल के पेड़ के नीचे कुछ मजदूरों ने देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ रख दी थी।

राय का कहना है कि इसे 2015 के बाद एक मंदिर का रूप दे दिया गया। प्रोफेसर राय द्वारा डाले गए आरटीआई एप्लिकेशन के जवाब में आईआईटी गुवाहाटी ने कहा कि मंदिर के निर्माण के लिए उसने सहायता नहीं दी है और कैम्पस में ऐसे किसी भी निर्माण के लिए संस्थान की अनुमति लेनी ज़रूरी है। एक सवाल के जवाब में आईआईटी गुवाहाटी ने कहा कि ये मंदिर वहाँ तब से है, जब से ये शिक्षण संस्थान भी वहाँ नहीं था। साथ ही आईआईटी ने यह भी कहा कि ये मंदिर अनंतकाल से वहाँ मौजूद है।

राय ने ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ को गूगल मैप्स से उपलब्ध डेटा दिखाते हुए बताया कि पहले से यहाँ रहा चबूतरा अब एक पक्के मंदिर में बदल गया है। प्रोफ़ेसर राय का अतीत दागदार रहा है। उन्हें 2017 में एक प्रोफ़ेसर के साथ झगड़ा करने के कारण आईआईटी ने सस्पेंड कर दिया था। नवंबर 2018 में उनका सस्पेंशन ख़त्म हो गया, जिसके बाद उन्हें पुनः बहाल किया गया। राय कहते हैं कि ये सब साज़िश है और उनपर लगे आरोप झूठे हैं। उन्होंने कहा कि वो मंदिर के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन पूजा करने के लिए लोगों के पास अपनी व्यक्तिगत जगह होनी चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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