Wednesday, November 27, 2024
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2 साल में 629 पाकिस्तानी लड़कियों को खरीद कर ले गए चीनी, देह के धंधे पर पाक चुप

चीन के नागरिक महिलाओं को शादी के नाम पर अपने साथ ले जाते हैं और फिर उनसे वेश्यावृत्ति करवाते हैं। 31 चीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ इसकी सुनवाई भी चल रही थी। लेकिन, अदालत ने सभी को बाइज्जत बरी कर दिया। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें डराया-धमकाया गया था।

पाकिस्तान की महिलाओं को खरीद कर चीन के लोग अपने घर ले जा रहे हैं। पाकिस्तानी महिलाओं को बेचने का धंधा बड़े पैमाने पर हो रहा है। पाकिस्तान के अधिकतर इलाके गरीब हैं। वहॉं के लोग आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े हैं। इसका फायदा उठाकर ह्यूमन ट्रैफिकिंग नेटवर्क ने जाल बिछा लिया है। ‘एसोसिएट प्रेस’ के आँकड़ों के अनुसार, 2018 से अब तक 629 पाकिस्तानी महिलाओं को बेचा जा चुका है। पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पाकिस्तान के एक ख़ुफ़िया अधिकारी ने बताया कि चीन को ख़ुश रखने के चक्कर में पाकिस्तान सरकार देह व्यापार के इस धंधे पर कार्रवाई करने के लिए हरी झंडी नहीं दिखा रही है। इन देह व्यापारियों के ख़िलाफ़ अदालत में मामला दर्ज कराया गया था। कुल 31 चीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ सुनवाई चल रही थी। अदालत ने सभी चीनी नागरिकों को बाइज्जत बरी कर दिया। पीड़ित महिलाओं ने बयान देने से इनकार कर दिया, क्योंकि या तो उन्हें प्रलोभन दिया गया था या फिर उन्हें डराया-धमकाया गया। इन महिलाओं को दुल्हन बना कर चीन ले जाया जाता है, लेकिन वहाँ जाकर इनका सामना क्रूर हकीकत से होता है।

2 पीड़ित महिलाओं ने पहचान न उजागर करने की शर्त पर ‘एसोसिएट प्रेस’ को बताया कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग करने वालों के ख़िलाफ़ बयान देने पर उनका बहुत बुरा अंजाम होता, इसीलिए वो हिम्मत नहीं जुटा पाईं। एक ईसाई एक्टिविस्ट ने कई पाकिस्तानी महिलाओं को चीन के लोगों को बेचे जाने के ख़िलाफ़ अभियान चलाया। इस मामले की जाँच कर रहे कई ख़ुफ़िया अधिकारियों का तबादला कर दिया गया और पाकिस्तान की सरकार ने इसके पीछे कोई कारण भी नहीं बताया। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। न सिर्फ़ ख़ुफ़िया अधिकारियों पर शिकंजा कसा गया है, बल्कि मीडिया को भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग व इससे जुड़े लोगों के बारे में लिखने से मना कर दिया गया है।

पाकिस्तान के ही अधिकारी मानते हैं कि वहाँ ह्यूमन ट्रैफिकिंग का नेटवर्क लगातार फैलता जा रहा है और इस पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा। इसके लिए झूठी शादी का सहारा लेकर ग़रीब परिवारों को झाँसा दिया जाता है। अधिकारियों व पुलिस पर दबाव बनाया जा रहा है कि वो ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े अपराधों की जाँच न करें। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वो दोनों देशों के नियमों का पालन करते हुए पाकिस्तान और चीन के बीच होने वाली शादियों का ‘हैप्पी फैमिली फॉर्मेशन’ के अंतर्गत समर्थन करता है। साथ ही मंत्रालय ने जोड़ा कि अवैध शादियों के ख़िलाफ़ चीन ने कड़ा रुख अपनाया हुआ है।

इससे पहले ख़बर आई थी कि देह-व्यापार के इस धंधे में सबसे ज्यादा पाकिस्तान की ईसाई लड़कियों को शिकार बनाया जा रहा है। ग़रीब ईसाई परिवार की महिलाओं को चीनी नागरिकों के हाथों बेच दिया जाता है और वो उन्हें अपने देश ले जाते हैं। चीनी नागरिक इन ईसाई महिलाओं के साथ शादी करते हैं और चीन ले जाकर उन्हें वेश्यावृत्ति में ढकेल देते हैं। ह्यूमन ट्रैफिकिंग के दलाल चीनी नागरिकों से तो 50 लाख रुपए तक वसूल लेते हैं लेकिन पाकिस्तान परिवारों को इसका मात्र 20-25% ही दिया जाता है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के पास 50 से भी अधिक ऐसी महिलाओं की सूची भेजी गई है, जिन्हें चीनियों के हाथों बेच डाला गया। पाकिस्तान को चीन से हर साल मदद के रूप में अरबों रुपए मिल रहे हैं। चीन ने अपने बेल्ट्स एन्ड रोड प्रोजेक्ट में भी पाकिस्तान को साझीदार बनाया हुआ है। वह पाकिस्तान के कई इलाक़ों में विकास कार्य कर रहा है। इन सबको देखते हुए पाकिस्तान अपनी महिलाओं की ख़रीद-बिक्री पर चुप रहना ही बेहतर समझ रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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