भारत के विदेश मंत्रालय ने वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार के खिलाफ आई उस शिकायत पर अमेरिका स्थित अपने संबंधित अधिकारी को गौर करने को कहा है, जिसमें उसे भारत से तुरंत निकाल देने की बात कही गई थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल के साउथ एशिया ब्यूरो के डिप्टी चीफ एरिक बेलमैन नामक इस पत्रकार ने दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों के बारे में झूठी और भ्रामक रिपोर्टिंग की थी।
भारतीय विदेश मंत्रालय की इस पहल के बाद नेशनल पब्लिक ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती ने अपने आधिकारिक पेज से कुछ ट्वीट्स, किए जिनमें यह दावा किया गया कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमरिका स्थित भारतीय दूतावास से वॉल स्ट्रीट जर्नल के इस रिपोर्टर को भारत से तुरंत डिपोर्ट करने के मामले में कुछ करे, जिसका बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने खंडन किया।
A complaint was registered against @EricBellmanWSJ, @WSJIndia by a private individual on Government’s Online Grievance Redressal platform. Referring the complaint to related office is a routine matter as per standard procedure. No such decision on deportation has been taken by us
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) March 13, 2020
मीडिया खबरों के अनुसार इस मुद्दे पर शुक्रवार देर शाम प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि बेलमैन के खिलाफ यह शिकायत सरकार के ऑनलाइन शिकायत निवारण प्लेटफॉर्म ‘ऑनलाइन ग्रीवांस रिड्रेसल प्लेटफॉर्म’ पर एक व्यक्ति ने निजी हैसियत से की। रवीश कुमार ने आगे कहा कि संबंधित विभाग को शिकायत फॉरवर्ड करना एक रूटीन प्रक्रिया है और इस जर्नलिस्ट के डिपोर्टेशन पर विदेश मंत्रालय ने कोई फैसला नहीं लिया है। जिसके बाद प्रसार भारती ने अपने ट्वीट्स हटा लिए।
Clarification from @MEAIndia on earlier tweets by PBNS that had wrongly interpreted a routine procedure related to a private complaint https://t.co/7gF9raTnpV
— Prasar Bharati News Services (@PBNS_India) March 13, 2020
इस विदेशी पत्रकार की शिकायत ‘लीगल राइट्स ऑब्ज़र्वेट्री’ नामक एक्टिविस्ट ग्रुप ने की थी। याद रहे कि विदेशी मीडिया पोर्टल ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ)’ ने अपने लेख में लिखा था कि अंकित के भाई अंकुर ने उसे बताया कि ‘जय श्री राम’ बोलते हुए आई भीड़ ने अंकित की हत्या कर दी। बाद में अंकित के भाई अंकुर ने प्रोपेगेंडा पोर्टल की इस ख़बर को नकार दिया था। अंकुर ने ऑपइंडिया से बात करते हुए स्पष्ट कहा था कि डब्ल्यूएसजे में उनके हवाले से जो बातें लिखी है, वह उन्होंने कही ही नहीं है।
अंकुर ने ऑप इंडिया को बताया था कि गुरुवार (फरवरी 25, 2020) को उनके भाई अंकित ड्यूटी से लौट कर बाइक पार्क करने के बाद मोहल्ले के लोगों से बातचीत करने निकल गए थे। उन्होंने कहा था कि वे इलाक़े के लोगों को जानते हैं और दंगा रोकने में कामयाब होंगे। परिवार के लाख मना करने के बावजूद अंकित हिन्दुओं और मुस्लिमों- दोनों से ही बातचीत करने और उन्हें समझाने निकल गए। हालाँकि, हिन्दुओं ने तो अंकित की बात मान ली लेकिन मुस्लिम समुदाय शांति के लिए राजी नहीं हुआ। तभी ताहिर हुसैन के इमारत से पत्थरबाजी शुरू हो गई और मुस्लिम भीड़ ने अंकित को पकड़ कर घसीटना शुरू कर दिया। वे उन्हें पकड़ कर हुसैन की इमारत में ले गए थे।