Friday, November 22, 2024
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‘द लायर’ ने पैदा किए ‘मुस्लिम पीड़ित’, बिना सबूत कहा ‘जय श्री राम’ कहने वालों ने किया मोलेस्ट

द वायर की खबर का क्रॉस चेक करने के बाद कुछ तो आप को साफ हो ही गया होगा, लेकिन इसके बाद भी सैकड़ों सवाल खड़े होते हैं कि द वायर को कोई भी हिंदू दंगा पीड़ित क्यों नहीं मिला, क्या द वायर को ताहिर हुसैन और राजधानी स्कूल नहीं मिला, जिसे दंगाइयों ने हिदुओं को आसानी से निशाना बनाने के लिए अपना केन्द्र बनाया। या वायर को मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं पर हमले की महीनों से की जा रही तैयारी नहीं दिखी।

दिल्ली दंगों के बाद से लेफ्टिस्ट मीडिया बौखलाया हुआ है क्योंकि आज तक वह ये साबित नहीं कर पाया कि दिल्ली दंगों में हिंदुओं का हाथ है, क्योंकि आप से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की छत से हिंदुओं के खिलाफ मुस्लिमों द्वारा महीनों से की जा रही तैयारी दुनियाँ के सामने आ गई। इसके बाद जिस खबर को ऑपइंडिया ने ग्राउंड जीरो से एक्सक्लूसिव दिया था उसी खबर को ‘द वायर’ ने अपने प्रोपेगेंडा के तहत उल्टा चला दिया।

प्रोपगेंडा फैलाने में कुख्यात पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में खुद को भी पाक साफ रखते हुए बड़ी ही आसानी से अंत की एक लाइन में बता दिया कि सभी पीड़ितों के नाम काल्पनिक हैं और किसी का भी बयान ऑडियो या वीडियो में रिकॉर्ड नहीं किया गया है।

इस खबर में हिदुओं के ऊपर वहीं परदा डाल रहे हैं, जो गली नंबर 5-6 की महिलाओं ने हमसे बात करते हुए बताया था। ऑपइंडिया ने दंगाइयों की नीचता का खुलासा करते हुए ग्राउंड जीरो से लिखा था- ‘हमारी बेटियों को नंगा करके भेजा दंगाइयों ने, कपड़े उतारकर अश्लील हरकतें की’– करावल नगर ग्राउंड रिपोर्ट। इसके बाद ‘द वायर’ ने इस खबर के उलट एक रिपोर्ट बनाई, जिसमें दंगाइयों को दंगा पीड़ित बताते हुए हिंदुओं को दंगाई बताया गया।

चौंकाने वाली बात यह कि ‘द वायर’ की टीम पूरी खबर को लिखते हुए चाँदबाग से लेकर शिव विहार तक पहुँच गई, लेकिन उसे कोई भी दंगों का असली पीड़ित नहीं मिला, जो भी मिला वह दंगाइयों के घर से था, जिनमें से किसी का नाम आफरीन था, किसी का रेशमा, किसी का तरन्नुम तो किसी का शबाना था।

हमने दंगाइयों के घर से इसलिए कहा कि दिल्ली दंगों में न सिर्फ मुस्लिम युवक शामिल थे बल्कि, उसमें जवान से लेकर बूढ़े और महिलाओं से लेकर बच्चों तक समुदाय के सभी लोग शामिल थे। इतना ही नहीं घर के मुखिया अपनी बहन-बेटियों और अपनी बीबियों को हाथों में ईंट-पत्थर और लाठी-डंडे देकर कह रहे थे कि चलो सभी घरों से बाहर निकलो

दिल्ली हिंदू विरोधी दंगों की आग

आगे ‘द वायर’ की रिपोर्ट में गौर करने वाली बात यह है कि खबर में हर एक तथाकथित दंगा पीड़िता की आपबीती में इस तरह की भूमिका बना दी गई कि उन्होंने (तथाकथित दंगा पीड़ित ने) हमें पहले ही मना कर दिया या फिर इस शर्त पर ही बयान दिया कि वह इसे न तो ऑडियो और न ही वीडियो के रूप में रिकार्ड करेंगे और इसी के साथ अपना एजेंडा भी चला दिया और कोई सबूत भी नहीं।

इसके उलट ऑपइंडिया ने न सिर्फ सबसे पहले दंगाइयों की करतूतों को लोगों के सामने रखा बल्कि पीड़ित महिलाओं के दुख-दर्द भरे बयानों को सबूत के तौर पर अपने पास रिकार्ड भी किया, लेकिन जब दंगाइयों की पोल खुली तो द वायर जैसे पोर्टल दंगाइयों के हितैशी बनकर सामने आए और उनको (दंगाइयों को) पीड़ित बताने में भी कोई देरी नहीं की।

‘द वायर’ ने आगे अपनी रिपोर्ट में काल्पनिक नाम के तौर पर रेशमा नाम का प्रयोग किया और उसके हवाले से लिखा सुबह से ही खबरें मिल रहीं थीं। गौर करने वाली बात यह कि उसने यह नहीं बताया कि खबरें कहाँ और किस रूप में मिल रहीं थीं। इस बात का खुलासा पहले ही ऑपइंडिया ने अपनी खबरों में किया था कि दंगाई महीनों से हिंदुओं पर हमले की योजना बना रहे थे।

इसके लिए दंगाइयों ने न सिर्फ ईंट-पत्थरों, पेट्रोल बम को छतों पर पहुँचाया बल्कि मस्जिद से ऐलान भी कर दिया गया था। वहीं खबर में आगे लिखा है कि घर में पेट्रोल बम फेंके जा रहे थे, लेकिन खबर में यह नहीं बताया गया कि पेट्रोल बम कहाँ पाए गए और कहाँ से फेंके जा रहे थे, क्योंकि दिल्ली पुलिस को अभी तक किसी भी हिंदू के घर में पेट्रोल बम नहीं मिले।

द वायर’ के प्रोपेगेंडा वाली खबर की कटिंग

‘द वायर’ की खबर में तथाकथित पीड़ित मुस्लिम महिला ने ये तो बता दिया कि उसको पहले से कुछ पता था कि इलाके में कुछ होने वाला है, लेकिन द वायर ने ये नहीं पूछा कि ऐसा क्या देखा कि हिंदू उन पर हमला करने वाले हैं। आश्चर्य की बात यह कि इस आशंका के चलते मुस्लिम महिला ने अपनी बेटियों को कुछ उसी तरह से अपने रिश्तेदारों के यहाँ सुरक्षित भेज दिया, जैसे कि मुस्लिमों ने दंगों से पहले अपने कीमती सामनों को बाहर निकाल लिया था। बृजपुरी में मुस्लिम ने अपने शोरूम से बाइकों को पहले ही निकाल लिया था और फिर खुद ही तोड़-फोड़ कर उसमें आग लगा दी, जिससे कि केजरीवाल से मुआवजे और कंपनी से बीमा मिल सके।

खबर के अंत में लिखे गए एक पेराग्राफ को पढ़कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से ‘जय श्री राम’ के प्रयोग से हिंदुओं को न सिर्फ दंगाई बताया गया बल्कि सारी हदों को पार कर खबर में अश्लीलता भी परोसी गई कि हिंदुओं ने ही मुस्लिम महिलाओं के सामने अपने पैंट उतारे और उनको अपना लिंग दिखाया।

‘द वायर’ द्वारा हिंदुओं को दंगे का आरोपित साबित करने के लिए ‘जय श्री राम’ का किया गया प्रयोग

खुद के झूठी रिपोर्ट की वजह से फँसने के डर से वायर ने खबर के अंत में एक लाइन में लिख दिया कि सभी नाम काल्पनिक हैं। अब हम ये भी नहीं कह सकते कि ऐसा नहीं हुआ होगा, लेकिन द वायर के साथ-साथ ऐसे लोगों की आपबीती अपने आप में संदेह पैदा करती है, जिनकी घर की छतों पर पत्थर जमा हो और पूरा समुदाय आगजनी, पेट्रोल बम और तेजाब की बोलतें फेंककर हिंदुओं पर हमला कर रहा हो।

द वायर की खबर का क्रॉस चेक करने के बाद कुछ तो आप को साफ हो ही गया होगा, लेकिन इसके बाद भी सैकड़ों सवाल खड़े होते हैं कि द वायर को कोई भी हिंदू दंगा पीड़ित क्यों नहीं मिला, क्या द वायर को ताहिर हुसैन और राजधानी स्कूल नहीं मिला, जिसे दंगाइयों ने हिदुओं को आसानी से निशाना बनाने के लिए अपना केन्द्र बनाया। या वायर को मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं पर हमले की महीनों से की जा रही तैयारी नहीं दिखी।

क्या उसे मुस्लिमों की छतों पर लगी गुलेल दिखाई नहीं दी, क्या उसे ताहिर की छत पर रखे पेट्रोल बम और वहाँ से फेंके गए ईंट-पत्थर दिखाई नहीं दिए। ये सभी वो सवाल हैं जो दंगाइयों पर नहीं बल्कि दंगाइयों को अपना अनुसांगिक संगठन के सदस्य के रूप में मानने वाले मीडिया गिरोह पर खड़े होते हैं। अब आपको यह भी बता दें कि द वायर वालों का ट्रैक रिकॉर्ड प्रोपगेंडा फैलाने में बहुत ही खराब रहा है। खासतौर पर दिल्ली दंगों की रिपोर्ट को लेकर, क्योंकि ये लोग अभी तक ताहिर या फैसल की प्रॉपर्टी को लेकर कोई लेख लिखना तो दूर ये तक नहीं बता पाए हैं कि ताहिर हुसैन की छत और मकान से क्या-क्या मिला था और हाँ दिल्ली हिंसा पर जो भी लिखा है, वहाँ उनके पक्ष में जरूर खड़े ही दिखाई दिए हैं। खैर, अब आप खुद ही तय करें कि ये हिंदू विरोधी साजिश की कड़ी कहाँ से- कहाँ तक जाती है।

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