मुंबई में ग़रीबों के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फरिश्ता बन कर आया है। ताबड़तोड़ राहत-कार्य चलाया जा रहा है। वैश्विक महामारी की आपदा के बीच संघ के स्वयंसेवक सड़कों पर ज़रूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। यहाँ तक कि मजहब विशेष और ईसाइयों को भी संघ से ख़ूब मदद मिल रही है। मुंबई कोरोना से सबसे ज्यादा ग्रस्त महानगर है। यहाँ जितने मामले अकेले हैं, उतने किसी अन्य राज्य में भी नहीं हैं। ऐसे में संघ ने लॉकडाउन के पहले ही दिन 30 कम्युनिटी किचेन बना कर जनसेवा का कार्य शुरू कर दिया था।
रोज 1 लाख पैकेट से भी ज्यादा भोजन बाँटा जा रहा है। ग्रोसरी के भी 28000 से अधिक पैकेट रोज बाँटे जा रहे हैं। ख़ासकर मुंबई के ट्राइबल क्षेत्रों में आरएसएस ज्यादा ध्यान दे रही है। पूरे मुंबई में कुल 120 डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर्स बनाए गए हैं। अब तक संघ 1.25 लाख लोगों तक अपनी सेवाएँ दे चुका है। कुल 30 हज़ार परिवारों को मदद दी गई है। 2000 से भी अधिक संघ स्वयंसेवक सड़कों पर राहत-कार्य में जुटे हुए हैं। यहाँ तक कि रोज 18,000 लोगों के नाश्ते और चाय का भी प्रबंध किया जा रहा है।
संघ उनका भी ख्याल रख रहा है, जो कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में फ्रंटलाइन पर हैं। ट्रैफिक पुलिस, बेस्ट के बस कर्मचारियों और बीएमसी के कर्मचारियों के बीच 12,000 से भी अधिक मास्क और सैनिटाइजर बाँटे। काफ़ी सारे अस्पतालों के डॉक्टरों को भी भोजन मुहैया कराने का काम संघ ने किया है। रोगियों के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की गई है। 1500 से भी अधिक घरों और मंदिरों को सैनिटाइज किया गया है। 205 लोगों ने ब्लड डोनेशन भी किया है। वरिष्ठ नागरिकों का संघ ख़ास ख्याल रख रहा है। आरएसएस की जन-कल्याण समिति ने ऑन-ड्यूटी कर्मचारियों की देखरेख का जिम्मा उठाया हुआ है।
More than 10,000 food packets were distributed by RSS volunteers to needy people in Borivali and Dahisar areas of Mumbai. #RSSinAction pic.twitter.com/sgh1JWLEmX
— Friends of RSS (@friendsofrss) April 13, 2020
संघ मुंबई के कई एनजीओ के साथ मिल कर काम कर रहा है। ट्राइबल क्षेत्रों में बेघर लोगों और ग़रीबों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। मजहब विशेष और ईसाईयों की भी मदद की जा रही। कुल मिला कर देखें तो बिना मजहब और ऊँच-नीच का भेद किए संघ लगातार सबकी सेवा में तत्पर है। विश्व हिन्दू परिषद् सहित कई संगठन इस काम में संघ की लगातार मदद कर रहे हैं। अब तक ब्लड डोनेशन के बाद 205 बोतल ब्लड भी रोगियों के लिए रखे गए हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों की भी मदद की जा रही है।