उत्तर प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों की एसोसिएशन ने एक तरफ फीस बढ़ाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है तो वहीं दूसरी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन देकर प्राइवेट स्कूल एक्ट बनाने की माँग की है। हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका के बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट में सरकार के फैसले के खिलाफ जाते हुए प्राइवेट स्कूलों ने यह दलील दी कि वह लोग ऑनलाइन क्लासेज चला रहे हैं और उनको स्कूल में तैनात शिक्षकों की सैलरी को भी बढ़ाना है। इसके साथ-साथ स्कूल के खर्चे भी उन्हीं को चलाने हैं। ऐसे में सरकार फीस बढ़ाने के उनके अधिकार को नहीं रोक सकती।
प्राइवेट स्कूलों के एसोसिएशन की ओर से दाखिल की गई याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस देकर जवाब माँगा है। यह आदेश जस्टिस अनिल कुमार और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने पारित किया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 जून को की जाएगी।
दरअसल याचिका पर सुनवाई के दौरान प्राइवेट स्कूलों की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए थे।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल श्रीवास्तव ने बताया, “हम लोग लॉकडाउन में अभिभावकों की परेशानी समझ रहे हैं, लेकिन स्कूलों की परेशानी भी सरकार को समझनी पड़ेगी। हम ऑनलाइन क्लासेज चला रहे हैं। हम लगातार लॉकडाउन के बाद भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं और जब तक लॉकडाउन रहेगा तब तक बच्चों को पढ़ाते भी रहेंगे, हमें शिक्षकों को बढ़ी हुई सैलरी भी देनी है।”
श्रीवास्तव ने कहा, “हम स्कूलों के खर्चे भी मेंटेन करते हैं। अगर हम बच्चों को पढ़ा रहे हैं तो फीस बढ़ाने के हमारे अधिकार हमारे पास होने चाहिए। सरकार जैसे दूसरे क्षेत्रों को मदद कर रही है वैसे हमें भी मदद करें, हमें भी अनुदान दे या फिर अभिभावकों को कुछ अनुदान दें ताकि हमारे स्कूल भी चल सकें। अगर हम शिक्षकों की सैलरी नहीं बढ़ाएँगे तो हम अच्छे शिक्षकों को रोक नहीं पाएँगे। इसलिए हम लोगों ने फीस बढ़ाने के अपने अधिकार को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया है।”
मामले को लेकर उप मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग के प्रमुख दिनेश शर्मा ने कहा, “प्राइवेट स्कूल अगर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं तो हम भी इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे। अगर कोरोना संकट के इस दौर में प्राइवेट स्कूल किसी तरह की फीस को बढ़ाने की मनमानी करते हैं तो भारी जुर्माना लगाया जाएगा।”
डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि कोरोना संकट को देखते हुए सिर्फ एक साल के लिए आदेश निकाला गया है। लोगों की आर्थिक तंगी के चलते उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होगी, इसलिए जो स्कूल हैं, वह एक साल के लिए फीस नहीं बढ़ाएँ। हर महीने की फीस लें।
साथ ही एक बार में 3 महीने या 6 महीने की फीस न वसूली जाए, ऐसा भी आदेश राज्य सरकार ने जारी किया है। और अभी जब तक बस नहीं चलनी है तो कोई वाहन शुल्क ना लें, यह सरकार का आदेश है। यह मानना इन स्कूलों की बाध्यता है, लेकिन अगर यह लोग मनमानी करेंगे तो राज्य सरकार एक्शन लेगी।
वहीं दूसरी तरफ एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन देकर प्राइवेट स्कूल एक्ट बनाने की माँग की है। साथ ही जो फीस वृद्धि एक साल तक रोकने का ऑर्डर निकाला गया है, उसे भी खत्म करने की माँग की गई है।
दरअसल कोरोना की रोकथाम के लिए देश में जारी लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक आदेश निकालकर सभी प्राइवेट स्कूलों में एक साल के लिए फीस वृद्धि पर रोक लगा दी थी। साथ ही वाहन शुल्क भी लेने से मना कर दिया था, जिसके खिलाफ एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल उत्तर प्रदेश ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।