Sunday, September 8, 2024
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‘भारतीय अपने अधिकारों से अनजान हैं’: विनोद दुआ ने अमेरिका की तरह ही दंगे करने के लिए लोगों को उकसाया

विरोध प्रदर्शन के नाम पर सड़कों पर उतरी हिंसक भीड़ को सही ठहराने को लिए विनोद दुआ ने दुकानों में तोड़फोड़ और लूटपाट करने वालों को 'मानवाधिकार के धर्मयोद्धा' की संज्ञा दी। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि ट्रम्प को बेसमेंट में शिफ्ट हो जाना चाहिए।

विवादित पत्रकार और मी टू के आरोपित विनोद दुआ ने सोमवार (जून 1, 2020) को अपने डेली शो में भारतीयों को उसी तरह से हिंसा और दंगा करने के लिए उकसाया, जैसा कि फिलहाल अमेरिका में हो रहा है। बता दें कि अमेरिका में एक अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों हुई हत्या के बाद दंगे और हिंसा अब भी जारी हैं।

वीडियो की शुरुआत में विनोद दुआ कहते हैं, “हमारे यहाँ धर्म को लेकर नफरत है और उधर नस्ल को लेकर नफरत है।” वीडियो में 9 मिनट तक वो ये कहते नजर आते हैं कि कैसे एक अश्वेत आदमी की हत्या के खिलाफ ‘विरोध’ करने के लिए भीड़ सड़कों पर उतरी।

विनोद दुआ ने आगे कहा, “अमेरिका में 40 शहरों में कर्फ्यू हैं। लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। उनमें से कुछ हिंसक भी हो गए। अमेरिका में सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की बड़ी मौजूदगी ने उनके अंदर की सहानुभूति और मानवता का परिचय दिया है।” फिर आह भरते हुए वो कहते हैं, “लेकिन भारतीय अपने अधिकारों से अनजान हैं।”

अमेरिकी दंगों से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने कहा कि जब प्रवासी श्रमिकों को अपने मूल गाँव जाने के लिए हजार किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था, तो भारतीय नागरिक समाज ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

विरोध प्रदर्शन के नाम पर सड़कों पर उतरी हिंसक भीड़ को सही ठहराने को लिए विनोद दुआ ने दुकानों में तोड़फोड़ और लूटपाट करने वालों को ‘मानवाधिकार के धर्मयोद्धा’ की संज्ञा दी। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि ट्रम्प को बेसमेंट में शिफ्ट हो जाना चाहिए।

आगे विनोद दुआ ने इस बात का हवाला देते हुए कि कैसे अमेरिका में लोगों ने राष्ट्रपति को राष्ट्रपति भवन में ही बंधक बना दिया है, उन्होंने कहा, “हम यहाँ भी ऐसे लोगों को देखना चाहेंगे। हमारे पास 130 करोड़ लोग हैं। अमेरिका के पास इतनी आबादी भी नहीं है।” इसके साथ ही शो के अंत में भी वो इसी बात को दोहराते नजर आए कि भारत में लोग अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ अपने आक्रोश को प्रदर्शित करने में विफल रहे।

बता दें कि पिछले दिनों 46 वर्षीय अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मिनिपोलिस में पुलिस अधिकारी के हाथों मौत हो गई। कथित तौर मिनिपोलिस में पुलिस अधिकारी ने फ्लॉयड की गर्दन पर लगभग 9 मिनट तक अपना घुटना रखा। जॉर्ज फ्लॉयड इस दौरान घुटना हटाने की गुहार लगाता रहा। उसने यह भी कहा कि वह साँस नहीं ले पा रहा है। लेकिन पुलिस अधिकारी नहीं पिघला और फ्लॉयड की मौत हो गई। इसके बाद लोगों का गुस्सा पुलिस के प्रति भड़क गया और हिंसक रुप ले लिया।

शनिवार को यह विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया। जिसके कारण कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया। फिलाडेल्फिया में प्रदर्शनकारियों ने मियामी में राजमार्ग यातायात को बंद करने के दौरान एक मूर्ति को गिराने की कोशिश भी की।

हिंसा और दंगे के दौरान ANTIFA से जुड़े वामपंथियों और दंगाइयों ने एक बेघर इंसान के पास जो भी था, उसे जला दिया। इसका वीडियो भी सामने आया था, जिसमें आप देख सकते है कि किस तरह दंगाइयों ने बेघर इंसान के गद्दे को आग में डाल दिया जिसके बाद लाचार और बेबस गद्दे का मालिक राख में बदलती अपनी चीजों को किसी तरह बचाने की असहाय कोशिश करता है। वीडियो में सुना जा सकता है कि वह आदमी अपने सामानों को जलता हुआ देख किस तरह चिल्लाते हुए कह रहा है – “मैं यहाँ रहता हूँ।” दंगे को दौरान ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ के नारे भी लगाए गए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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