Sunday, November 24, 2024
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कॉन्ग्रेस ज्वाइन करते ही लोग बौरा काहे जाते हैं? प्रियंका तो ‘C’ फ़ैक्टर है, पर बाकी?

प्रियंका गाँधी वाड्रा जब कॉन्ग्रेस के बारे में कहती हैं तो समझ में आता है कि बचपन से ही भारत के मैप के साथ 'व्यापारी' खेलते हुए पलने वाले लोग शायद देश को खेल ही समझते हों कि यहाँ से जो भी जाएगा कॉन्ग्रेस को 'किराया' देकर जाएगा, लेकिन बाक़ियों का क्या?

प्रियंका का तो चलता है, वो तो ‘सी’ फ़ैक्टर है कॉन्ग्रेस के लिए, जिसके बारे में पत्रकार याद दिलाना नहीं भूलते, लेकिन कॉन्ग्रेस में आते ही सरदार को असरदार कहने से लेकर, राहुल गाँधी में डायनमिक लीडरशिप देखने और ‘कॉन्ग्रेस ही भारत का कर्ता-धर्ता है’ कहने वालों की कमी नहीं है। 

कुछ दिन पहले प्रियंका गाँधी ने देश को बताया और जताया कि माचिस से मिसाइल तक जो भी है भारत में, सब कॉन्ग्रेस की देन है। उसके बाद पीसी चाको ने कहा है कि भारत को कॉन्ग्रेस का शुक्रगुज़ार होना चाहिए क्योंकि गाँधी परिवार भारत की ‘फ़र्स्ट फ़ैमिली’ है। उसके बाद मुंबई में नई नवेली कॉन्ग्रेसन उर्मिला मार्तोंडकर ने सूचना दी कि ‘मुंबई कॉन्ग्रेस की है’। 

मुझे यह सोचने में समस्या हो रही है कि क्या कॉन्ग्रेस पार्टी में आजकल नया इंडक्शन प्रोसेस चालू हुआ है जहाँ कुछ वाक्य रटा दिए जाते हैं? सिद्धू का तो समझ में आता है कि उसके पास मोदी जी समय का लिखा हुआ स्पीच था, जिसमें फ़ाइंड और रीप्लेस मारकर राहुल गाँधी करते हुए, उसने कॉन्ग्रेस की सभा में वही स्पीच पढ़कर लहरिया लूटने की कोशिश की थी। बाद में इंटरनेट के योद्धाओं ने पकड़ लिया था।

प्रियंका गाँधी, जो कि सिर्फ अपनी नाक और हेयर स्टाइल के कारण ही कॉन्ग्रेस समर्थकों में पार्टी के प्रति विश्वास जगाने में सफल हुई हैं, जिनकी चाटुकारिता में तल्लीन पत्रकार उनके ऑफिस के बाहर के नेम प्लेट का विडियो बनाकर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट करते हैं, जिनके बारे में जनता को बताया जाता है कि वो ट्विटर पर कपड़े बदलकर जीन्स वाली फोटो भी लगा सकती हैं, और जो गाँधी के साथ-साथ वाड्रा भी हैं, जब कॉन्ग्रेस के बारे में कहती हैं तो समझ में आता है कि बचपन से ही भारत के मैप के साथ ‘व्यापारी’ खेलते हुए पलने वाले लोग शायद देश को खेल ही समझते हों कि यहाँ से जो भी जाएगा कॉन्ग्रेस को ‘किराया’ देकर जाएगा। 

प्रतीत होता है कि दिव्या स्पंदाना टाइप के लोग और एजेंसियाँ मोटा माल पाए हैं कॉन्ग्रेस की छवि को ‘सुधारने’ के लिए। स्पंदाना तो कॉन्ग्रेस के ऑफिशियल हैंडल को ‘भारतीय राष्ट्रीय मीम आयोग’ बनाकर पार्टी को उल्लू बना रही है कि देखो इतने लाइक्स और रीट्वीट्स मिले। जिस तरह की पार्टी है, और जैसे चाटुकार लोग हैं, वो लोगों की गालियों वाले ट्वीट को भी ‘चर्चा में तो हैं हमलोग’ मानकर निकल ले रहे हैं। मालिक तो पहले ही मूर्ख है, वो तो पेपर देखकर पढ़ नहीं पाता, उसको कुछ भी कह दो, क्या फ़र्क़ पड़ता है! 

इसी में अगली कड़ी है कि अब भारत के लोगों को विश्वास दिलाया जाए कि भारत में जो भी है, वो कॉन्ग्रेस की वजह से है, या भारत जो भी है, वो कॉन्ग्रेस ने बनाया है, या भारत है इसका मतलब है कि कॉन्ग्रेस ने दया किया है वरना वो तो मोज़ाम्बिक भी जाकर, उस देश को सुधार सकते थे। अब लोगों को यह बताया जा रहा है कि भारत का अस्तित्व कॉन्ग्रेस के पार्टी फ़ंड से गढ़ा गया है।

जबकि है इसका उल्टा कि कॉन्ग्रेस ने भारत को अपने पहले दिन से लूटा है। परिवार के हर प्रधानमंत्री का नाम घोटाले से सना हुआ है। जो प्रधानमंत्री नहीं थी, वो प्रधानमंत्री की पत्नी, एक परिवार की बहू और पीएम बनने की उम्मीद में बैठे लड़के की माँ, उसने भी लूटने में कसर नहीं छोड़ी। फिर देश को इन्होंने कैसे बनाया? या तो भारत की जनता के कॉन्स्पेट्स हिले हुए हैं कि लूटने वालों को हम लोग आज तक गलत समझते आए हैं, जबकि वो तो अच्छे लोग हैं जिनके डिम्पल पड़ते हैं और उन्हें प्रधानमंत्री बनाकर जनता खुद को कृतार्थ करे! 

गलती उर्मिला की है भी नहीं। फिल्म के लोग वैसे भी स्क्रिप्ट पढ़कर, भाव के साथ मेक-बिलीव में यक़ीन रखते हैं। उर्मिला को भी कॉन्ग्रेस के इंडक्शन में कहा गया होगा कि मुंबई कॉन्ग्रेस की है, उन्होंने जाकर पढ़ दिया। असली समस्या तो उनकी है, जो इस बात में विश्वास करने लगे हैं। ये बात और है कि वो लोग पार्टी के वैसे लोग हैं जो अपने अस्तित्व की लड़ाई उस नाव पर खड़े होकर लड़ रहे हैं जिसमें छेद है। 

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अजीत भारती
अजीत भारती
पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी

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