सदर एसडीएम प्रेम प्रकाश के मुताबिक़ हाथरस मामले में एसआईटी जाँच पूरी हो चुकी है। इसके साथ ही प्रशासन ने मीडिया को भी अनुमति दे दी है कि वह पीड़ित परिवार वालों से मिलकर बात कर सकते हैं। एसडीएम ने कहा, “इस मामले में एसआईटी की जाँच पूरी हो चुकी है इसलिए मीडिया के लिए लगाई गई पाबंदी भी हटा दी गई है। फ़िलहाल उस इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लागू है, इसलिए एक समय पर 5 से अधिक मीडियाकर्मी मौजूद नहीं रह सकते हैं।”
Hathras: Media allowed to enter the village of the victim of Hathras case. Sadar SDM Prem Prakash says, “Since SIT probe in the village is complete, the restriction on media has been lifted. More than 5 media persons are now allowed to gather as Section 144 of CrPC is in place.” pic.twitter.com/BGb6F0VAGU
— ANI UP (@ANINewsUP) October 3, 2020
उन्होंने कहा, “अभी वहाँ सिर्फ मीडियाकर्मियों को जाने की अनुमति है। जब प्रतिनिधिमंडल के लिए हरी झंडी दिखाई जाएगी तब हम सभी को प्रवेश करने की अनुमति देंगे। इस तरह के जितने भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि पीड़िता के परिवार वालों के फोन लिए जा चुके हैं या उन्हें घर में बंद करके रखा गया है, यह सभी आरोप बेबुनियाद है।” उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन पर इस तरह के आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने पीड़िता के परिवार वालों के फोन जब्त कर लिए हैं।
Only media is allowed right now. When orders come in to allow delegations, we will let everybody know. All allegations about phones of the family members being taken away or confining them in their homes are absolutely baseless: Hathras Sadar SDM Prem Prakash Meena https://t.co/LE1mi6eZm8
— ANI UP (@ANINewsUP) October 3, 2020
इस मुद्दे को लेकर सबसे पहले इंडिया टुडे समूह ने ख़बर प्रकाशित की थी। राहुल कँवल ने उत्तर प्रदेश सरकार से कुछ ‘कठिन प्रश्न’ पूछे थे, जब उनके संस्थान की एक कर्मचारी का ऑडियो ऑपइंडिया ने चलाया था। इसके अलावा भी तमाम मीडिया संस्थानों ने यह ख़बर चलाई थी कि पीड़िता के परिजनों का मोबाइल फोन पुलिस ने जब्त कर लिया है।
Right to report freely must be strongly defended by journalists of this generation. Why is Hathras victim’s family being treated like they were the accused? Why have their phones been snatched? Rule of law must prevail in our country. A state cannot be run like a banana republic.
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) October 2, 2020
परिवार द्वारा लगाए गए फोन जब्त करने के आरोप भी ठीक उस समय ही सामने आए जब मीडिया वालों की पीड़िता के भाई से फोन पर बातचीत की ऑडियो लीक हुई।
पीड़िता की चोटों की वजह से मृत्यु होने के बाद से ही हाथरस मुद्दे पर बहस और राजनीतिक खींचतान का दौर जारी है। ऐसा आरोप लगाया जा रहा था कि 2 हफ्ते पहले पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ था। घटना को लेकर पूरे देश के लोगों में काफी गुस्सा था। इसके बाद कई मीडिया संस्थाओं ने आरोप लगाया कि परिवार की रज़ामंदी के बिना पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया था। बाद में पता चला कि अंतिम संस्कार के दौरान पीड़िता के पिता भी मौजूद थे।
एडीजी प्रशांत कुमार ने एएनआई से बात करते हुए बताया था कि फोरेंसिक रिपोर्ट मिल गई है और उसके मुताबिक़ लड़की के साथ बलात्कार की घटना नहीं हुई थी। पीड़िता के साथ किसी भी तरह का यौन शोषण नहीं हुआ था। मौत का कारण गला दबाना और रीढ़ की हड्डी में लगी चोटें थीं। कल (2 अक्टूबर 2020) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर बड़ी कार्रवाई करते हुए हाथरस के एसपी, डीएसपी और इंस्पेक्टर समेत अन्य अधिकारियों को निलंबित किया था। उन्होंने यह फैसला जाँच की प्राथमिक रिपोर्ट सामने आने के बाद किया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार के जिस तरह प्रशासन ने हाथरस मामले पर कार्रवाई की थी उससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाराज़ थे। इस पूरे घटनाक्रम जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि हाथरस के एसपी और आईपीएस अधिकारी विक्रांत वीर को निलंबित किया जा रहा है। उन्होंने इस पूरे मामले पर लापरवाही दिखाई है। ऐसे ही डीएसपी राम शबद, इंस्पेक्टर दिनेश वर्मा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह और हेड कांस्टेबल महेश पाल को निलंबित किया जा चुका है। इस कार्रवाई के बाद शामली के एसपी विनीत जायसवाल को हाथरस का एसपी नियुक्त किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए इस बयान में यह भी कहा गया है कि आरोपित, जाँच में शामिल पुलिस वालों और पीड़ित परिवार का नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया जाएगा।