Tuesday, May 7, 2024
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बंगाल में वहाबी कट्टपंथियों का बढ़ रहा प्रभाव, ‘जिहाद’ के लिए युवाओं की हो रही भर्ती: रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की वजह से कट्टरपंथी मौलवियों के लिए युवाओं के बीच वहाबी मजहब की शिक्षा का प्रचार-प्रसार आसान हो गया है। वे प्रिंटेड सामग्री, व्हाट्सएप फॉरवर्ड, बैनरों को स्थानीय आबादी में प्रसारित कर उन्हें भारत में इस्लामी शासन लाने के लिए साथ जुड़ने को 'प्रेरित' कर रहे हैं।

पिछले महीने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में अलकायदा के 7 आतंकी पकड़े गए थे। अब संडे गार्जियन के अनुसार इन आतंकियों के पकड़े जाने के बाद राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के लिए पड़ताल का विषय यह है कि आखिर सीमावर्ती जिलों में ऐसे नेक्सस ने स्थानीय युवकों पर कितना प्रभाव डाला है और उन्हें किस हद तक उन्हें कट्टरपंथी बना दिया है।

जाँच एजेंसियों के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में कई छोटे-छोटे संगठन निकल कर सामने आए हैं जिनका काम नवयुवकों को अपने समूह में शामिल करना और उन्हें कट्टरपंथी बनाना होता है। ऐसे समूहों में युवकों को वहाबी के सिद्धांत पढ़ा कर जिहाद के लिए तैयार किया जाता है।

आतंकियों का खुलासा

संदिग्ध आतंकियों ने गिरफ्तार होने के बाद एनआईए की पूछताछ में खुलासा किया कि वह कई महत्वपूर्ण जगहों पर हमला करके बेगुनाहों को मारने वाले थे। रिपोर्ट बताती है कि ये आतंकी सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भी शामिल हुए थे और इन्होंने सड़कों पर हमला बोलने के लिए भीड़ को भी जुटाया था।

एनआईए को अपनी पड़ताल में इन आतंकियों के पास से जिहादी लिट्रेचर, डिजिटल डिवाइस, धारदार हथियार आदि मिले हैं। संडे गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में एनआईए के सूत्रों का हवाला देते हुए कहा, “हम इस बारे में भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ये लोग अपने संगठन में नए लोगों की भर्ती के लिए कैसे काम कर रहे थे। इसके अलावा, अगर बंगाल में किसी भी तरह के इनके ट्रेनिंग कैंप मौजूद हैं, तो उनका सरगना कौन है और कितने लोग उसमें शामिल हैं।”

मीडिया रिपोर्ट्स में एनआईए के सूत्रों का हवाला देकर यह भी बताया गया है कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान 6 आतंकियों को मुर्शिदाबाद में पिछले साल दिसंबर में तैनात किया गया था। वहाँ इन्होंने भीड़ को बड़े पैमाने पर आगजनी, दंगों और लूटपाट के लिए जुटाया था।

जनसांख्यिकीय बदलाव, बेरोजगारी और कट्टरपंथ की अवधारणा

पिछले कुछ सालों में पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफिक) बदलाव देखने को मिला है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। जाँच एजेंसियाँ मानती हैं कि कई कट्टरपंथियों और वहाबी मौलवियों ने भारत-बांग्लादेश बॉर्डर क्रॉस कर लिया है। वह ‘मजहबी लड़ाई’ के लिए भारत के स्थानीय मुस्लिम आबादी के साथ काम कर रहे हैं।

पिछले दिनों एनआईए ने 6 अलकायदा आतंकियों को पकड़ा था। वह कई कट्टरपंथियों के साथ बंगाल में काम कर रहे थे। जाँच एजेंसी ने जमात उल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश के आतंकियों को भी देश के अलग-अलग कोनों से पकड़ा था। इन बातों का खुलासा होने के बाद ऐसा माना गया था कि हो सकता है शेख हसीना की सरकार बंगाल में कट्टरपंथियों को निशाना बना रही हो, जिस कारण वह भागकर बॉर्डर क्रॉस करके बंगाल आ रहे हो।

जाँच एजेंसियों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की वजह से कट्टरपंथी मौलवियों के लिए युवाओं के बीच वहाबी मजहब की शिक्षा का प्रचार-प्रसार आसान हो गया है। वे प्रिंटेड सामग्री, व्हाट्सएप फॉरवर्ड, बैनरों को स्थानीय आबादी में प्रसारित कर रहे हैं। इनके जरिए युवाओं को भारत में इस्लामी शासन लाने के लिए साथ जुड़ने को ‘प्रेरित’ कर रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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