Sunday, September 8, 2024
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‘किसानों को हानि कम, मिलेगा अच्छा दाम’: 10 साल कृषि मंत्री रहे शरद पवार ने तब प्राइवेट सेक्टर की पैरवी करते लिखे थे पत्र

2010 में कृषि मंत्री शरद पवार ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था। फिर 2011 में भी सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजा। बात वही थी - किसानों के फायदे के लिए प्राइवेट सेक्टर की पैरवी, APMC एक्ट में बदलाव... फिर अब विरोध क्यों?

NCP के संस्थापक-अध्यक्ष शरद पवार आज ‘किसानों’ के आंदोलन को समर्थन देते हुए कृषि कानूनों पर मोदी सरकार को घेर रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिए तीन दलों का गठबंधन बनाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले शरद पवार यूपीए के 10 वर्षों में लगातार केंद्रीय कृषि मंत्री बने रहे थे और तब वो इन्हीं कृषि सुधारों की पैरवी कर रहे थे, जिनके विरोध में आज वो खड़े हैं। उन्होंने APMC सुधारों को लेकर मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा था।

अब सवाल ये उठता है कि आखिर तब इन्हीं कृषि सुधारों की पैरवी करने वाली कॉन्ग्रेस गठबंधन की सरकार में शामिल रही पार्टियाँ आज इसके विरोध में क्यों हैं? अगस्त 2010 में शरद पवार ने मुख्यमंत्रियों को जो पत्र लिखा था, उसमें ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, विकास और आर्थिक समृद्धि के लिए कृषि के लिए एक अच्छी कार्यप्रणाली वाले बाजार की आवश्यकता पर जोर दिया था। उनका कहना था कि इसके लिए कोल्ड चेन सहित पूरे मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश की आवश्यकता है।

उन्होंने तब इन सबके लिए प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी पर जोर दिया था, जबकि आज ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि प्राइवेट सेक्टर किसानों की जमीनें ले लेंगे और उन्हें रुपए नहीं देंगे। ये सब बावजूद इसके हो रहा है कि कानून में किसानों के हाथ में सारी चीजें दे दी गई हैं और कई राज्यों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए वो पहले से अच्छी कमाई कर रहे हैं। तब शरद पवार ने प्राइवेट सेक्टर की सहभागिता के लिए एक सटीक नीति-नियमन के माहौल की ज़रूरत पर बल दिया था।

शरद गोविंदराव पवार ने लिखा था कि इन सबके लिए राज्यों के APMC एक्ट में बदलाव की आवश्यकता है और किसानों व व्यापारियों के भले के लिए प्राइवेट सेक्टर को उत्साहित कर के उनमें प्रतियोगिता वाला वातावरण पैदा करना होगा। साथ ही 2007 में APMC एक्ट में बदलाव के लिए केंद्र ने एक ड्राफ्ट भी बनाया था, जिससे राज्य बदलाव को लेकर दिशा-निर्देश ले सकते थे। तब उन्होंने बिना देरी के इसे लागू करने की बात कही थी।

ये ऐसा पहला पत्र नहीं है, बल्कि तत्कालीन कृषि मंत्री ने 2011 में भी सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र में बताया था कि कैसे प्राइवेट सेक्टर का रोल कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में अहम रहने वाला है और इस सम्बन्ध में नीति-नियमन बनाया जाना चाहिए। कृषि मार्केटिंग को बढ़ावा देने के लिए यूपीए सरकार ने एक कमिटी भी बनाई थी। बकौल शरद पवार, इससे न सिर्फ उत्पादों की सप्लाई बढ़ेगी, बल्कि कटाई के बाद होने वाली हानि पर लगाम लगेगी और किसानों को ज्यादा दाम मिलेगा।

इधर केंद्र के कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए भाजपा सांसद और वरिष्ठ अभिनेता सनी देओल ने कहा है, “मेरी पूरी दुनिया से विनती है कि यह किसान और हमारी सरकार का मामला है, इसके बीच में कोई ना आए क्योंकि दोनों आपस में बातचीत कर इसका हल निकालेंगे। मैं जानता हूँ कि कई लोग इसका फायदा उठाना चाहते हैं और वो लोग अड़चन डाल रहे हैं। वह किसानों के बारे में बिल्कुल नहीं सोच रहे उनका अपना ही खुद का कोई स्वार्थ हो सकता है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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