BARC के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को तलोजा जेल के अधिकारियों द्वारा जेजे अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराने के बाद उनकी पत्नी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में उन्होंने कहा है कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को झूठे तरीके से फँसाने के लिए महाराष्ट्र पुलिस उनके पति को हिरासत में टॉर्चर कर रही है।
NHRC को लिखे पत्र में पार्थो दासगुप्ता की पत्नी समरजनी दासगुप्ता ने उल्लेख किया है कि उनके पति को तलोजा अधिकारियों द्वारा जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने कहा कि दासगुप्ता को 15 जनवरी को दोपहर 1 बजे अस्पताल लेकर जाया गया। उनका शुगर लेवल भी काफी उच्च स्तर (516) पर पहुँच गया था। वह अर्ध-बेहोशी की हालत में थे। वे बोल भी नहीं पा रहे थे।
समरजनी दासगुप्ता ने बताया, ”होश में आने के बाद उन्होंने नवी मुंबई के पुलिस अधिकारी के साथ मेरा नंबर साझा किया। मुझे उनकी गंभीर स्थिति के बारे में 16 जनवरी को सुबह 3.20 बजे सूचित किया गया था। जब हम अस्पताल पहुँचे, तो हमने उन्हें आपातकालीन वार्ड में गंभीर हालत में पाया। ना तो उनके बेड और न ही ओढ़ने का चादर था। इसके साथ ही उन्हें कोई तकिया भी नहीं दिया गया था। उन्होंने हमें बताया कि उन्हें 15 जनवरी से खाने के लिए कुछ नहीं दिया गया है। उन्होंने हमें बताया कि तलोजा जेल में भी उन्हें बेरहमी से पीटा गया था।”
पूर्व BARC CEO की पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि मुंबई पुलिस अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी को फँसाने के लिए उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए तलोजा जेल के अंदर किसी को भुगतान कर रही है। अपने पत्र में, समरजनी ने कहा कि पार्थो को तलोजा जेल में मानसिक रूप से भी परेशान किया गया है।
समरजनी ने पत्र में बताया, “उन्हें 6.30/7:00 बजे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। तब से हम उन्हें देख नहीं पाए या उनसे बात नहीं कर पाए। जेजे के डॉक्टरों ने किए गए टेस्ट और दी गई दवा की किसी भी रिपोर्ट को साझा करने से इनकार कर दिया।”
महाराष्ट्र सरकार पर अपने पति को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए, समरजनी दासगुप्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनके पति को मिला इलाज उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि वे उचित इलाज के लायक हैं। दूसरी बात उन्होंने यह कही कि परिवार को बताया जाना चाहिए कि उनको क्या उपचार दिया जा रहा है।
उन्होंने सवाल किया, “मेरी बेटी तलोजा जेल को अपने पिता के साथ एक कॉल करने के लिए लगातार ईमेल भेज रही है, जो कि जेल के नियमों के अनुसार आरोपित का अधिकार है। इस ईमेल में उसने हमेशा अपना फोन नंबर साझा किया है। 15 जनवरी की शाम 6 बजे, जब उसने जेल को ईमेल भेजा, तब भी हमें उनकी स्थिति के बारे में सूचित नहीं किया गया। जब अधिकारियों के पास परिवार तक पहुँचने के सभी साधन मौजूद हैं तो फिर उनके परिवार को अँधेरे में क्यों रखा जा रहा है?”
समरजनी दासगुप्ता ने पूछा कि शुरू से ही हर कदम पर सहयोग करने के बावजूद उन्हें परेशान क्यों किया जा रहा है। उनके मौलिक अधिकार को अस्वीकार क्यों किया जा रहा है। हम पार्थो को सुरक्षित चाहते हैं। उन्होंने एनएचआरसी को एक शिकायती पत्र में लिखा कि उन्हें नुकसान नहीं पहुँचाया जाना चाहिए और लोगों के निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए एक गलत बयान देने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।
मुंबई पुलिस और सिटी क्राइम ब्रांच ने 25 दिसंबर 2020 को फर्जी TRP घोटाले के सिलसिले में ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को गिरफ्तार किया था। यह आरोप लगाया जा रहा है कि BARC के पूर्व सीईओ को अर्नब गोस्वामी के खिलाफ झूठे बयान देने के लिए कथित रूप से प्रताड़ित किया गया था ताकि उन्हें मामले में फँसाया जा सके।
बेटी ने PM से लगाई गुहार
इससे पहले पार्थो दासगुप्ता की बेटी प्रत्यूषा ने एक पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई थी। उन्होंने इस पत्र में अपने पिता की ज़िंदगी बचाने की अपील की। प्रत्यूषा का कहना था कि उनके पिता शुक्रवार (जनवरी 15, 2021) से ही बेहोशी की अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं।
प्रत्यूषा ने कहा कि जनवरी 15, 2021 को दोपहर 1 बजे उन्हें अस्पताल लेकर जाया गया और अगले दिन 3 बजे दोपहर को परिजनों को इसकी सूचना दी गई, अर्थात 15 घंटे तक इस बात को छिपा कर रखा गया।
उन्होंने बताया कि जब वो अस्पताल पहुँचीं तो उनके पिता इमरजेंसी रूम में पड़े हुए थे। प्रत्यूषा ने सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर किए गए पत्र में लिखा है कि उनके पिता कुछ कहना चाहते थे और बातें करना चाहते थे, लेकिन वो कुछ बोल नहीं पा रहे थे। उनका शुगर लेवल भी काफी उच्च स्तर (516) पर पहुँच गया था। डायबिटीज, हाइपरटेंशन और एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस नामक एक ऑटो इम्यून डिसऑर्डर जैसी बीमारियों से वो कई सालों से पीड़ित हैं।
ऑपइंडिया ने स्थिति की वास्तविकता को जानने के लिए पार्थो दासगुप्ता के परिवार से संपर्क किया। परिवार ने ऑपइंडिया को बताया कि दासगुप्ता 15 जनवरी 2021 की दोपहर के बाद से गंभीर हालत में थे और उन्हें जेजे अस्पताल ले जाया गया। हालाँकि, तलोजा जेल के अधिकारियों ने नवी मुंबई पुलिस को उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी। लगभग 15 घंटे तक उनकी हालत के बारे में परिवार से संपर्क नहीं किया गया। दोपहर बाद, जब दासगुप्ता को जेजे अस्पताल ले जाया गया, तब सत्र न्यायालय में जमानत की सुनवाई चल रही थी, जहाँ उनकी बेटी और पत्नी दोनों मौजूद थे।
ऑपइंडिया से बात करते हुए प्रत्यूषा ने सवाल किया कि जब दासगुप्ता अस्पताल में बेहोश थे, तब अधिकारियों ने परिवार को इतने समय तक सूचित क्यों नहीं किया। उन्हें संदेह है कि अधिकारियों ने उस समय उनके गंभीर स्वास्थ्य के बारे में जानकारी छिपा दी थी, क्योंकि उनकी स्वास्थ्य स्थिति जमानत के लिए वैध होगी और पुलिस यह नहीं चाहती थी कि सुनवाई के दौरान ही ये जानकारी सामने आए।
परिवार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की
समरजनी दासगुप्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर पार्थो और उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण होने वाली मानसिक और शारीरिक यातना का विवरण भी दिया है। हलफनामे में उन्होंने कहा कि जब वह अस्पताल पहुँची, तो ‘स्ट्रेचर पर खून था’ जहाँ पर पार्थो लेटे हुए थे। उनके पैर बर्फ से ठंडे थे। उन्होंने कहा कि यहाँ तक कि डॉक्टरों ने उनकी तत्काल चिकित्सा के उनके अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया। हलफनामे में उन्होंने कहा है कि 16 जनवरी की सुबह 6:30 बजे आईसीयू में ले जाया गया, जबकि वह 15 जनवरी की दोपहर से अस्पताल में थे। उन्होंने दावा किया कि उसके बाद भी उन्हें उनकी बीमारी या स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में सूचित नहीं किया गया।
फेक टीआरपी घोटाला
अक्टूबर 2020 में मुंबई पुलिस ने कुछ टीवी चैनलों के खिलाफ सनसनीखेज दावे किए थे कि वे टीआरपी रेटिंग्स में हेरफेर कर रहे थे। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुंबई पुलिस कमिश्नर ने कहा था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन टीवी चैनल BARC के दर्शकों के डेटा में हेरफेर करने में शामिल थे, जिन घरों में बार-ओ-मीटर, टीवी व्यूअरशिप को ट्रैक करने वाले डिवाइस इंस्टॉल किए गए हैं।
पुलिस ने विशेष रूप से उल्लेख किया था कि हंसा रिसर्च ने पुलिस में शिकायत दर्ज की थी। हंसा ग्रुप एक ऐसा संगठन है जिसने BARC के लिए TRP रिकॉर्ड करने के लिए उपकरणों को विनियमित किया है। दिलचस्प बात यह है कि हंसा रिसर्च द्वारा दर्ज की गई इस एफआईआर में एक बार भी रिपब्लिक टीवी का जिक्र नहीं किया गया था। जिस चैनल का जिक्र कई बार किया गया वह इंडिया टुडे था।
जाँच के दौरान, कई सबूत और गवाह सामने आए कि कथित मुंबई पुलिस रिपब्लिक टीवी के खिलाफ बोलने के लिए उन्हें डरा रही है, जिसमें हंसा के अधिकारी भी शामिल हैं। हंसा ने यह भी शिकायत की है कि उन्हें मुंबई पुलिस द्वारा रिपब्लिक टीवी के खिलाफ बयान देने के लिए परेशान किया जा रहा है।