Wednesday, May 8, 2024
Homeरिपोर्टमीडिया'मिया खलीफा को न जानना पत्रकारिता का तिरस्कार': दलित चिंतक दिलीप मंडल का वैज्ञानिक...

‘मिया खलीफा को न जानना पत्रकारिता का तिरस्कार’: दलित चिंतक दिलीप मंडल का वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन पर हमला

“आपके लिए ये ऊँची जाति के गुण है! आप किसान आंदोलन पर उसके विचारों को नापसंद कर सकते हो, उसकी आलोचना कर सकते हो, लेकिन उसे न जानने की बात पत्रकारिता और जनसंचार में सिर्फ़ अपराध और तिरस्कार माना जाएगा। भारतीय पत्रकारिता पर दुखद टिप्पणी।”

पूर्व पॉर्न स्टार मिया खलीफा द्वारा भारत में चल रहे कथित किसान आंदोलन को समर्थन दिए जाने के बाद सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर लगातार प्रतिक्रिया दी जा रही है। कुछ लोग उन्हें बहुत अच्छे से जानते हैं और कुछ के लिए मिया एक नया नाम हैं। 

जेएनयू प्रोफेसर व वैज्ञानिक डॉ आनंद रंगनाथन उन्हीं लोगों की सूची में शामिल हैं जिन्हें मालूम ही नहीं था कि मिया खलीफा कौन हैं। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि उनको ग्रेटा थनबर्ग तक के बारे में जानकारी है लेकिन उन्हें नहीं पता कि मिया कौन है। वह कहते हैं कि उन्हें इस नाम के बारे में जानने के लिए गूगल करना पड़ा और अब उन्हें चिंता हो रही है क्योंकि गूगल उन्हें मिया के विज्ञापन दिखा रहा है।

आनंद रंगनाथन का यह ट्वीट सामान्य था, क्योंकि ये संभव है कि जो व्यक्ति पॉर्न में दिलचस्पी न रखे उसे मिया के बारे में गूगल ही करना पड़े। मगर, स्वघोषित दलित चिंतक व द प्रिंट के स्तंभकार दिलीप मंडल इस बात पर यकीन नहीं कर पाए। शायद वो स्वंय मिया को बहुत अच्छे से जानते थे इसलिए उन्होंने रंगनाथन के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मिया खलीफा को न जानना पत्रकारिता जगत के डोमेन में अपराध हैं।

दिलीप मंडल इस पूरे मुद्दे को जातिवाद पर ले आए। उन्होंने रंगनाथन के लिए लिखा, “आपके लिए ये ऊँची जाति के गुण है! आप किसान आंदोलन पर उसके विचारों को नापसंद कर सकते हो, उसकी आलोचना कर सकते हो, लेकिन उसे न जानने की बात पत्रकारिता और जनसंचार में सिर्फ़ अपराध और तिरस्कार माना जाएगा। भारतीय पत्रकारिता पर दुखद टिप्पणी।”

इसके बाद जातिगत हमला दिलीप मंडल ने यही नहीं रोका। हर मुद्दे में जाति ले आने वाले दिलीप मंडल ने कहा कि आनंद रंगनाथन इसलिए गुस्से में हैं क्योंकि इससे उनकी जाति के गुमान को ठेस पहुँची है।

गौरतलब है कि आज ही रिहाना और मिया खलीफा ने किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया था। रिहाना ने सीएनएन की खबर शेयर करते हुए लिखा था कि आखिर हम इस पर क्यों बात नहीं कर रहे। रिहाना के कुछ देर बाद मिया खलीफा ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया।

खलीफा ने दावा किया कि केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली में इंटरनेट भी बंद कर दिया है। साथ ही उन्होंने आंदोलन में शामिल बुजुर्ग महिलाओं की एक तस्वीर भी शेयर की, जिसमें लहराए जा रहे पोस्टर पर लिखा है – ‘किसानों की हत्या करना बंद करो’।

मालूम हो कि 26 जनवरी पर दिल्ली में हिंसा करने वाले कथित किसानों को ऐसे तमाम अंतरराष्ट्रीय हस्तियों का समर्थन मिलने के बाद विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि मामले पर पहले जानकारी लें, फिर टिप्पणी करें।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

प्रोपेगेंडा ‘खतरे में मुसलमान’ का, पर भारत में हिंदुओं की हिस्सेदारी 8% घटी: इस्लामी आबादी का शेयर 5 फीसदी बढ़ा, ईसाई भी फले-फूले

पिछले 65 साल में हिंदू किसी के लिए खतरा नहीं बने, उलटा देश की जनसंख्या बढ़ने के बावजूद उनका प्रतिशत पहले के मुकाबले कम हुआ है।

गोवा के जिस 7 स्टार होटल में ठहरे थे CM केजरीवाल, उसका खर्चा दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार चनप्रीत ने उठाया: ED ने सुप्रीम...

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ASG राजू ने कहा कि गोवा चुनाव के वक्त केजरीवाल वहाँ के एक 7 स्टार होटल में ठहरे थे। उनके खिलाफ सबूत हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -