Wednesday, November 27, 2024
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राजस्थान सरकार ने जिन 25 जिलों में बताई 3918 मौतें, वहाँ उठी 14482 अर्थियाँ: कोरोना के आँकड़ों में बड़ा घालमेल

जालौर जिले में सरकार ने 18 मौतें ही बताईं, जबकि यहाँ के सिर्फ 42 गाँवों में ही 190 लोगों की अंत्येष्टि हुई। ऐसे कई जिलों के आँकड़ों में घालमेल है।

राजस्थान में न सिर्फ कोरोना संक्रमण के कारण हालात बेकाबू हैं, बल्कि वहाँ मौत के आँकड़े भी छिपाए जा रहे हैं। पहले भी यहाँ संक्रमितों और कोरोना के कारण हुई मौतों के आँकड़े संदेह के घेरे में रहे हैं। अगर 1 अप्रैल से लेकर 20 मई तक की बात करें तो जिन 25 ग्रामीण जिलों में सरकारी आँकड़ों के हिसाब से 3918 मौतें हुई हैं, वहाँ के 512 प्रखंडों में इस अवधि में 14,482 लोगों के अंतिम संस्कार हुए।

‘दैनिक भास्कर’ ने अपनी एक पड़ताल में इसका खुलासा किया है। इस खबर की मानें तो सामान्य दिनों में यहाँ डेढ़ महीने में औसतन 7 गुना कम, यानी 2705 मौतें होती हैं, इसीलिए गाँवों में मौतों के इस आँकड़े को सामान्य कह कह कर खारिज नहीं किया जा सकता। गाँवों में कोरोना प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार नहीं किए जा रहे, लेकिन मृतकों मे अधिकतर कोरोना के ही मरीज थे। बूँदी जिले की बात करें तो यहाँ 42 दिन में 314 मौतें हुईं, लेकिन सरकारी आँकड़ा मात्र 18 है।

3034 गाँवों वाले श्रीगंगानागर में प्रशासन के हिसाब से मात्र 48 मौतें ही हुई हैं, लेकिन जबकि खबर की मानें तो यहाँ के मात्र 28 गाँवों में ही 50 दिनों में 517 लोगों के अंतिम संस्कार हुए हैं। ‘दैनिक भास्कर’ ने कहा है कि उसने अपनी ग्राउन्ड रिपोर्ट से ये आँकड़े जुटाए और स्थानीय ग्रामीण जनप्रतिनिधियों से इसकी पुष्टि भी कराई। उनका भी आरोप है कि गाँवों में स्वास्थ्य सुविधाएँ एकदम बेहाल हैं और प्रशासन का सहयोग नहीं मिल रहा।

झालावाड़ की एक घटना का जिक्र किया गया है, जहाँ एक महिला की कोरोना से मौत के बाद उसके बेटों ने अस्पताल और प्रशासन से मदद माँगी, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर खुद ही PPE किट पहन कर जाकर अंतिम संस्कार किया। शव को ठेले से श्मशान ले जाना पड़ा। दौसा के हापावास ग्राम पंचायत के बंदड़ी गाँव के एक मरीज को खाली सिलिंडर वाला मास्क ही लगा दिया गया, जिससे दम घुटने से उसकी मौत हो गई।

अलवर के विलासपुर में 37 और 42 वर्ष की उम्र के 2 सगे भाई ‘वर्क फ्रॉम होम’ कर रहे थे, लेकिन मात्र आधे घंटे के भीतर उनकी मौत हो गई। दोनों वेब डिजाइनर थे। चौमूं के मोरीजा रोड स्थित श्मशान भूमि में 50 अंतिम संस्कारों के लिए लकड़ियों का इंतजाम किया गया, लेकिन ये सभी तुरंत ही खत्म हो गई। देवली में आवां के चंदेल परिवार में 5 दिन के भीतर दो भाई नहीं रहे। तीसरे की दो महीने पहले हत्या कर दी गई थी।

अजमेर जिले की मसूदा पंचायत समिति के केसरपुरा गाँव में लोग प्रशासन से गारंटी माँगने लगे कि टीकाकरण के बाद मौतें नहीं होंगी। गाँव में मात्र एक महिला ने वैक्सीन ली। उससे पहले मात्र 10 दिनों में 15 लोगों की जान चली गई थी। जोधपुर के भावी में एक महीने मे 40 मौतें हुई हैं। जालौर जिले में सरकार ने 18 मौतें ही बताईं, जबकि यहाँ के सिर्फ 42 गाँवों में ही 190 लोगों की अंत्येष्टि हुई। ऐसे कई जिलों के आँकड़ों में घालमेल है।

राजसमंद मे पिछले 13 माह में कोरोना से राजसमंद जिले भर में 65 मौतें हुई थी। सरकारी आँकड़ों की मानें तो इस बार मई माह के 19 दिनों में ही 57 मौतें हो गई। लेकिन, नगर परिषद ने महज 19 दिनों में 114 डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिए हैं जो स्वास्थ्य विभाग की झूठ की पोल खोलता है। अकेले नगर परिषद राजसमंद ने 19 दिनों में 41 शवों का अंतिम संस्कार करवाया, जबकि प्रशासन 57 में से 29 को बाहरी बता रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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