Sunday, May 5, 2024
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’15+ साल की पत्नी से सेक्स रेप नहीं’: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज मोहम्मद असलम का फैसला, अली को मिली जमानत

जज ने कहा कि धारा 375 में लिखा है, "किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन क्रिया, जिसमें पत्नी पंद्रह वर्ष से कम उम्र की न हो, बलात्कार नहीं है।"

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार (6 अगस्त 2021) को अप्राकृतिक सेक्स और दहेज के लिए प्रताड़ित किए जाने के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि 15 वर्ष से अधिक उम्र की नाबालिग ‘पत्नी’ के साथ यौन संबंध को ‘बलात्कार’ नहीं माना जाएगा। इसी के साथ हाईकोर्ट ने आरोपित खुशाबे अली को जमानत दे दी।

दरअसल, नाबालिग लड़की ने अपने वयस्क पति खुशाबे अली के खिलाफ दहेज, मारपीट, आपराधिक धमकी और जबरन यौन संबंध बनाने के आरोप में मुरादाबाद के भोजपुर थाने में केस दर्ज कराया था। इसके बाद आरोपित ने जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने के आरोपित पति की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मोहम्मद असलम ने यह फैसला सुनाया।

जस्टिस असलम ने 2013 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 (बलात्कार के लिए सजा) में संशोधन जिक्र किया। जज ने कहा कि धारा 375 में लिखा है, “किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन क्रिया, जिसमें पत्नी पंद्रह वर्ष से कम उम्र की न हो, बलात्कार नहीं है।” मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पति के वकील ने दावा किया कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने अली और उसके भाइयों द्वारा उसका यौन शोषण करने के आरोपों को नकार दिया था। इसके बाद जस्टिस मोहम्मद असलम ने आरोपित को जमानत दे दी।

‘अगर आप शादी करना चाहें तो हम आपकी मदद कर सकते हैं: पूर्व सीजेआई एसए बोबडे

इसी साल मार्च में देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने महाराष्ट्र सरकार के एक 23 वर्षीय कर्मचारी को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी। जबकि, उस पर 2014-15 में 16 साल की एक स्कूली छात्रा के साथ कथित तौर पर बलात्कार का आरोप था। इस मामले में आरोपित के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। मामले में पूर्व CJI ने आरोपित से पूछा था कि क्या वह पीड़िता से शादी करेगा? गौरतलब है कि आरोपित मोहित सुभाष चव्हाण महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिक प्रोडक्शन कंपनी में टेक्नीशियन था।

उस मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश ने आरोपित से पूछा था, “क्या आप उससे शादी करेंगे?” कोर्ट ने कहा, “आपको नाबालिग लड़की को बहकाने और बलात्कार करने से पहले सोचना चाहिए था। आप जानते थे कि आप एक सरकारी कर्मचारी हैं।” जवाब में आरोपित ने कहा, “शुरू में मैं उससे शादी करना चाहता था, लेकिन उसने मना कर दिया। अब मैं शादी नहीं कर सकता, क्योंकि मैं पहले से ही शादीशुदा हूँ।” इस पर बोबडे ने आगे कहा, “अगर आप शादी करना चाहते हैं, तो हम आपकी मदद कर सकते हैं। यदि नहीं तो आप अपनी नौकरी खो देंगे और जेल जाएँगे।”

उल्लेखनीय है कि भारतीय कानून के मुताबिक बाल विवाह अपराध है और 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह को कानूनी नहीं माना जाता है। इसलिए किसी नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध बनाना दंडनीय अपराध माना गया है। हालाँकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ में ऐसा नहीं है। इसमें शादी और यौन संबंधों की अनुमति दी गई है, बशर्ते लड़की का यौवन आरंभ (puberty) हो गया हो। कानूनी प्रावधानों के इन अंतर्विरोधों को अभी भी बदला जाना बाकी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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