कॉन्ग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने गुरुवार (30 सितंबर 2021) को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से एक असामान्य अनुरोध करते हुए लेक एंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी (LAWDA) का नाम बदलने अथवा उसमें संशोधन करने की माँग की। जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अनुरोध के साथ ही उन्होंने भाजपा पर भी कटाक्ष किया और कहा कि वह नाम परिवर्तन के बहुत बड़े प्रशंसक नहीं हैं, लेकिन उन्होंने इस बार अपवाद बनाया है।
Although not a big fan of name change, I’ll do a Bhajpa here and request the J&K authorities to change / slightly amend the name of Lakes and Waterways Development Authority.
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) September 30, 2021
कॉन्ग्रेस के सीनियर लीडर ने नाम बदलने का अनुरोध करने का कारण बताया कि इसका संक्षिप्त नाम कुछ और ही लगता है। दरअसल, यह मामला गुरुवार को उस वक्त सामने आया जब एएनआई ने झीलों और जलमार्ग विकास प्राधिकरण (LAWDA) द्वारा श्रीनगर में डल झील में किए गए सफाई अभियान की खबर ट्वीट की। LAWDA के उपाध्यक्ष डॉ बशीर अहमद भट ने बताया कि प्रसिद्ध झील की सफाई के लिए 15-16 मशीनों को तैनात किया गया है। जबकि पिछले साल कोविड-19 के कारण यह रुक गया था।
J&K | The cleanliness drive of Dal Lake is in full swing in Srinagar. The drive was paused last year due to COVID-19 outbreak. Lakes and Waterways Development Authority (LAWDA) has taken the initiative to clean Dal Lake (29.09) pic.twitter.com/BQusOXAAhm
— ANI (@ANI) September 30, 2021
ट्वीट के तुरंत बाद एक हिंदी शब्द से इसकी समानता को दर्शाते हुए अथॉरिटी का संक्षिप्त नाम LAWDA ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। संगठन का पूरा नाम वास्तव में ‘जम्मू और कश्मीर झील और जलमार्ग विकास प्राधिकरण’ है, जिसे जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा राज्य के जल निकायों और जलमार्गों की देखभाल, प्रबंधन और संरक्षण के लिए एक स्वायत्त निकाय के रूप में बनाया गया था। इसलिए, प्राधिकरण का संक्षिप्त रूप JKLAWDA होना चाहिए, लेकिन इसके बजाय ANI ने LAWDA का उपयोग किया था।
दिलचस्प बात यह है कि संगठन की वेबसाइट LAWDA शब्द का उपयोग नहीं करती है। इसमें भी संगठन को JK LDA के रूप में संदर्भित किया गया है। हालाँकि, संगठन का फेसबुक पेज पर इसे LAWDA लिखा गया है, भले ही इसे JKLDA के नाम से जाना जाता हो। इसके अलावा संगठन अपने आधिकारिक कम्युनिकेशन में भी JK LAWDA का ही उपयोग करता है। उदाहरण के लिए, वेबसाइट पर अपलोड किए गए कुछ निविदा नोटिस इस संक्षिप्त नाम का उपयोग करते हैं, जबकि कुछ में एलडीए का उपयोग किया जाता है। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि संगठन स्वयं कुछ आधिकारिक दस्तावेजों में LAWDA शब्द का उपयोग कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि ऐसा पहली बार नहीं है कि LAWDA शब्द सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। जब भी संगठन से जुड़ी कुछ खबरें सामने आती हैं तो netizens इसके संक्षिप्त नाम पर जोर देते हुए ट्वीट करते हैं।
अगर सिंघवी के द्वारा की माँग को देखें तो ऐसा लगता है कि अगर प्राधिकरण चाहे तो इसे हटाकर इसका संक्षिप्त नाम बनाने के लिए पूरे नाम का उपयोग कर सकता है, जो कि JKLAWDA होगा। हालाँकि, शब्द के बीच में स्वर नहीं होने के कारण यहाँ प्रत्येक शब्द का उच्चारण अलग-अलग करना होगा। संक्षिप्त रूप में ‘ए’ जोड़ने से संक्षिप्त नाम LAWDA बन जाता है, जिसे एक शब्द के रूप में उच्चारित किया जा सकता है, और इस प्रकार छह अलग-अलग अक्षरों के उच्चारण की तुलना में इसका उच्चारण करना बहुत आसान हो जाता है। हो सकता है कि संगठन अपने नाम को जलमार्ग और झील विकास प्राधिकरण के रूप में शब्दों की अदला-बदली कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह ‘वाल्डा’ बन जाएगा।