Sunday, December 22, 2024
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टिकैत का ऐलान- दिल्ली की सीमा से नहीं हटेंगे, जारी रहेगा आंदोलन: टिकरी-सिंघु बॉर्डर पर बढ़ा ‘किसानों’ का जमावड़ा, पिज्जा पार्टी भी

"29 नवंबर को किसान संसद के सामने ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और अब किसान शांत बैठने वाले नहीं हैं क्योंकि सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान भले कर दिया हो, लेकिन किसान शुरू से एमएससी पर गारंटी कानून माँग रहे थे, इसलिए किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा।"

किसान आंदोलन को आज एक साल पूरे हो गए। नए कृषि कानूनों की वापसी की प्रक्रिया भी शुरू हो गई, लेकिन MSP समेत दूसरी कई माँगों के नाम पर किसान नेता बॉर्डर और महापंचायत बुलाकर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। टीकरी बॉर्डर के पास सेक्टर-13 में भी किसान महापंचायत हो रही है। इसके अलावा सिंघु बॉर्डर पर भी किसानों की काफी भीड़ है। यहाँ पिज्जा पार्टी करके आंदोलन की पहली सालगिरह मनाई जा रही है।

आंदोलन के एक साल पूरे होने के पर भी किसानों की वापसी के आसार नजर नहीं आ रहे हैं लगातार किसान नेताओं की डिमांड बढ़ रही है। राकेश टिकैत ने कहा, “दिल्ली की सीमाओं पर उन्हें बैठे हुए 1 साल हो गया है। सरकार ने तीनों ‘काले कानूनों’ को वापस लेने की घोषणा भले ही कर दी है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत कई अन्य मुद्दे पर सरकार ने मौन धारण किया हुआ है। सरकार इस मुद्दों पर किसानों से कोई बात नहीं कर रही है। जब तक किसानों की सभी माँगे पूरी नहीं होतीं तब तक किसान दिल्ली की सीमाओं से हटने वाले नहीं हैं।”

टिकैत ने अपने आगे के प्लान के बारे में बताते हुए कहा, “27 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है और उस बैठक में सभी मुद्दों को रखा जाएगा जिसके बाद किसानों के आंदोलन की आगे की रणनीति तय होगी। 29 नवंबर को किसान संसद के सामने ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और अब किसान शांत बैठने वाले नहीं हैं क्योंकि सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान भले कर दिया हो, लेकिन किसान शुरू से एमएससी पर गारंटी कानून माँग रहे थे, जिसको लेकर सरकार ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है, इसलिए किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा।”

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को जो खुला पत्र लिखा गया था उसका भी जवाब अभी तक नहीं आया है। यह सभी मुद्दे संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में उठाए जाएँगे और संयुक्त किसान मोर्चा तय करेगा कि किसानों का आंदोलन आगे क्या रूप लेगा। उन्होंने बताया कि किसान कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। ठंडी, गर्मी और बरसात में एक साल से खुले आसमान के नीचे धरना -प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान करीब 750 आंदोलनकारी किसान शहीद हो चुके हैं। इन मुद्दों को लेकर दिल्ली कि चारों सीमाओं पर हजारों की संख्या में जमा हो रहे हैं। किसानों से विचार-विमर्श के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।

बता दें कि इधर महापंचायत को लेकर पंजाब से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर फिर से इकठ्ठा हो रहे हैं। जिसके मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाई है। पैरामिलिट्री के जवानों की तादाद भी अधिक हुई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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