उत्तराखंड के हरिद्वार और दिल्ली धर्म संसद (Dharma Sansad) में पिछले साल दिसंबर में दिए गए कथित नफरत भरे भाषणों की जाँच के लिए एक विशेष जाँच दल (SIT) गठित करने की माँग को लेकर भारतीय सेना के तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि अगर ऐसे कार्यक्रमों पर कार्रवाई नहीं की तो ये देश की आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन जाएँगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत दायर इस रिट याचिका में पिछले साल 17 से 19 दिसंबर के बीच हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों के खिलाफ जाँच की माँग की गई है। मेजर जनरल (सेवानिवृत) एसजी वोंबाटकरे, कर्नल (सेवानिवृत) पीके नायर और मेजर (सेवानिवृत) प्रियदर्शी चौधरी ने अपनी याचिका में कहा है कि आस्था में मतभेदों के आधार पर जहरीली नफरत को बढ़ावा सशस्त्र बलों के सैनिकों को प्रभावित करेगा, जो विभिन्न समुदायों और धर्मों से आते हैं।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि सांप्रदायिक हिंसा को उकसाना समाज के सामाजिक ताने-बाने के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि सशस्त्र बलों के पाँच पूर्व प्रमुख और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियाँ पहले ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को इन भाषणों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए लिख चुके हैं।
क्या है मामला?
बता दें कि इस याचिका में मुस्लिमों के खिलाफ हेट स्पीच की SIT से स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जाँच की माँग की गई है। पहला मामला हरिद्वार में यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित और दूसरा दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम का है। हरिद्वार शहर में आयोजित कार्यक्रम में कथित तौर हिन्दू स्वाभिमान को लेकर बातें होने का दावा किया गया था, लेकिन जब इस कार्यक्रम के भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर आए तो इसको लेकर हंगामा हो गया।
इन वीडियो में कार्यक्रम में शामिल लोग हिंदू धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, मुस्लिमों की आबादी कम करने और हिंसा का आह्वान करते नजर आए। सभा में कथित तौर पर यति नरसिंहानंद ने कहा था कि ‘हिंदू ब्रिगेड को बड़े और बेहतर हथियारों से लैस करना’ ‘मुस्लिमों के खतरे’ के खिलाफ ‘समाधान’ होगा। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर स्वतंत्र जाँच की माँग की गई है।