केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने एंट्रिक्स-देवास सौदे को लेकर मंगलवार (18 जनवरी 2022) को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कॉन्ग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए के शासनकाल में सिर्फ संसाधनों का दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने कहा कि साल 2005 में हुआ यह सौदा यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) ने 2011 में रद्द कर दिया था, क्योंकि यह धोखाधड़ी का सौदा था।
वित्त मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उचित ठहराते हुए जानकारी दी कि 2005 में एंट्रिक्स-देवास के बीच यह डील फाइनल हुई थी। यह देश और देश के लोगों के साथ एक बहुत बड़ा धोखा था, इस मास्टर गेम की खिलाड़ी कॉन्ग्रेस है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पता चलता है कि कैसे यूपीए सरकार ने गलत हथकंडे अपनाए थे। निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि एंट्रिक्स-देवास सौदा पूरी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ था।
“It’s a fraud of the Congress, for the Congress and by the Congress,” says Finance Min Nirmala Sitharaman on the Devas-Antrix issue pic.twitter.com/5eIV0fXas8
— ANI (@ANI) January 18, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 जनवरी 2022) को देवास-एंट्रिक्स (Devas-Antrix Deal) डील मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें एनसीएलटी (NCLT) और एनसीएलएटी (NCLAT) कंपनी को बंद करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने एनसीएलटी के मई 2021 के बेंगलुरु स्थित देवास मल्टीमीडिया को बंद करने के आदेश को बरकरार रखा है।
क्या है देवास-एंट्रिक्स डील
साल 2005 में देवास मल्टीमीडिया और एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के बीच सैटेलाइट सेवा से जुड़ी एक डील हुई थी। इस डील के तहत सैटेलाइट का इस्तेमाल मोबाइल से बातचीत के लिए होना था, लेकिन इसके लिए सरकार की इजाजत नहीं ली गई थी। देवास मल्टीमीडिया उस वक्त एक स्टार्टअप था, जिसे 2004 में इसरो के ही पूर्व साइंटिफिक सेक्रेटरी एमडी चंद्रशेखर ने बनाया था। इसे 2011 में फर्जीवाड़े के आरोपों को चलते रद्द कर दिया गया था।
भारतीय कंपनी देवास मल्टीमीडिया में विदेशी निवेशकों का काफी पैसा लगा हुआ था। इस डील के रद्द होने से विदेशी निवेशकों को काफी दिक्कत हुई थी। देवास मल्टीमीडिया के फर्जीवाड़े को समझने में सरकार को 2005 से लेकर 2011 तक का वक्त लग गया, जिसके चलते विदेशी निवेशकों को भारत सरकार के खिलाफ कनाडा कोर्ट में जाने का मौका मिल गया था। पिछले साल कनाडा की एक अदालत ने एयर इंडिया और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की विदेश में स्थित संपत्ति को जब्त करने के आदेश दिए थे, लेकिन इसी महीने कनाडा की अदालत ने अपने ही फैसले पर रोक लगा दी है। बता दें कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद वर्ष 2015 में सीबीआई जाँच में इस मामले का खुलासा हुआ था।